-Prathak Batohi-
आप रवीश कुमार पांडेय के दो सालों के न्यूज कार्यक्रम प्राइम टाइम को देख लीजिए बन्दा सर्दी गर्मी बरसात दंगा तूफान या चुनाव में सिर्फ सरकारी नौकरी की चर्चा करता रहा है। सरकारी नौकरी में चयन प्रक्रिया व नौकरी के अभ्यार्थियों को उन्होंने प्राइम टाइम का फोकल पॉइंट बना दिया।
यह अजेंडा सेटिंग वह अपने गृह राज्य बिहार के चुनावों के लिए पिछले दो साल से कर रहै थे। यह कोई संयोग नही अपितु रवीश का सहयोग है की इन चुनावों में तेजस्वी यादव ने सरकारी नौकरियों को ही प्रमुख मुद्दा बनाकर चुनावी अजेंडा सेट कर दिया हैं।
नीतीश और मोदी जी को क़ाबिलमानते हुए भी बूढ़ा करार कर आउटडेटेड बताया जा रहा हैं यानी सीधी आलोचना नही बस आउटडेटेड करार दिया जा रहा है। बड़ी संख्या में युवा आबादी वाले बिहार में बेरोजगारी पर तेजस्वी ने 10 लाख सरकारी नौकरी का लॉलीपॉप दिया हैं। 10 लाख सरकारी नौकरी देने की औकात तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पंजाब व कर्नाटक जैसे औद्योगिक रूप से आगे चल रहे राज्य भी नही रखते…
पर यह लालू के बेटे है, जब इनकी बहन मेडिकल इक्जाम टॉप कर सकती है, जब इनकी अराजनैतिक माँ मुख्यमंत्री बन सकती हैं और जब इनके साधु मामा रातों रात टाटा की सूमो गाड़िया लूट सकते हैं तो कुछ भी हो सकता हैं।
बिहार में नौकरियों के आंकड़ा समझिए…
बिहार का बजट 2.1 लाख करोड़ का हैं, इसमे से 52 हजार करोड़ रुपये सरकारी नौकरियों में खर्च होते हैं। बाकी का विकास कार्यों में खर्च होता है। नीतीश के विकास कार्यों से जनता को इस बार हताशा हुई हैं।
जो जनता करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये, विकास व सामाजिक कार्यों पर खर्च करने वाले नीतीश जैसे ईमानदार नेता से खुश नही हैं वो नई नौकरियों देने पर होने वाले 50 हजार करोड़ के खर्च निकालने के बाद मात्र 1 लाख करोड़ बचने वाले बजट से और तेजस्वी के बाहुबलीयों से कैसे खुश होगी ?
राइट विंग थिंकर प्रथक बटोही की एफबी वॉल से.