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उदय प्रकाश ने नाराज होकर मुझे अपनी फ्रेंड लिस्ट से निकाल दिया!

Roshan Premyogi : उदय प्रकाश और प्रभात रंजन में एफ़बी पर बहस चल रही थी, बहस में उदय प्रकाश हिंदी को भी गाली दे रहे थे. उन्होंने हिंदी के एक महान साहित्यकार के नाम पर मिले सम्मान के प्रमाणपत्र को शौचालय में फ़्लश करने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि हिंदी ने मुझे क्या दिया? जब दोनों के बीच यह चल रहा था तो उनके कुकुर झौं-२ को पढ़ते हुए मैं यह सोच रहा था कि जिस हिंदी लेखक उदय प्रकाश को पढ़ते हुए मैं बड़ा हुआ क्या यह वही व्यक्ति है. जिसकी हर कहानी पर हिंदी में गली-गली चर्चा होती थी, क्या यह वही लेखक है?

<p>Roshan Premyogi : उदय प्रकाश और प्रभात रंजन में एफ़बी पर बहस चल रही थी, बहस में उदय प्रकाश हिंदी को भी गाली दे रहे थे. उन्होंने हिंदी के एक महान साहित्यकार के नाम पर मिले सम्मान के प्रमाणपत्र को शौचालय में फ़्लश करने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि हिंदी ने मुझे क्या दिया? जब दोनों के बीच यह चल रहा था तो उनके कुकुर झौं-२ को पढ़ते हुए मैं यह सोच रहा था कि जिस हिंदी लेखक उदय प्रकाश को पढ़ते हुए मैं बड़ा हुआ क्या यह वही व्यक्ति है. जिसकी हर कहानी पर हिंदी में गली-गली चर्चा होती थी, क्या यह वही लेखक है?</p>

Roshan Premyogi : उदय प्रकाश और प्रभात रंजन में एफ़बी पर बहस चल रही थी, बहस में उदय प्रकाश हिंदी को भी गाली दे रहे थे. उन्होंने हिंदी के एक महान साहित्यकार के नाम पर मिले सम्मान के प्रमाणपत्र को शौचालय में फ़्लश करने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि हिंदी ने मुझे क्या दिया? जब दोनों के बीच यह चल रहा था तो उनके कुकुर झौं-२ को पढ़ते हुए मैं यह सोच रहा था कि जिस हिंदी लेखक उदय प्रकाश को पढ़ते हुए मैं बड़ा हुआ क्या यह वही व्यक्ति है. जिसकी हर कहानी पर हिंदी में गली-गली चर्चा होती थी, क्या यह वही लेखक है?

मैं हैरान था. कि हिंदी में इतनी उत्कृष्ट कहानियां लिखने वाला लेखक अब अपनी मातृभाषा को गाली दे रहा है. गुस्सा बहुत आई, लेकिन सिर्फ प्रभात रंजन (हम दोनों को कभी एक साथ हंस का पुरस्कार मिला था) को कोसते हुए मैंने उदय को मैसेज कर दिया. उसमे उनसे मैंने सिर्फ यह कहा था, कि आप कह रहे हैं कि हिंदी ने आपको क्या दिया, आपके पास बहुत पैसे नहीं हैं, तो जितना आपके कुत्ते खाते-पीते हैं, उतने से भी कम में तमाम हिंदी लेखक गुजर करते हैं और बहुत खुश रहते हैं. आप फिर से सोचिये कि हिंदी ने आपको क्या नहीं दिया.

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दोस्तों, नाराज होकर उदय ने मुझे अपनी फ्रेंड लिस्ट से निकाल दिया. सोचता हूँ, हिंदी के बड़े लेखक क्या इतने ही लोकतान्त्रिक होते है? क्या मातृभाषा ने कम धन दिया तो उसे गाली देना चाहिए?

रोशन प्रेमयोगी के फेसबुक वॉल से.

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