Connect with us

Hi, what are you looking for?

वेब-सिनेमा

‘उड़ता पंजाब’ में किरदारों और गल्‍प के नकलीपन ने गंदगी मचाई, ‘धनक’ एक अफ़सोस बन कर रह गई

Abhishek Srivastava : कोई ज़रूरी नहीं कि हर फिल्‍म यथार्थवादी हो, बल्कि मैं तो कहता हूं कि कोई भी फिक्‍शन यथार्थवादी क्‍यों हो। गल्‍प, गल्‍प है। बस, गल्‍प को बरतने की तमीज़ हो तो बेहतर है वरना गंदगी मच जाती है। कभी-कभार यह तमीज़ होते हुए भी जब रचनात्‍मक उड़ान पर बंदिश लगाई जाती है तो रचना अफ़सोस बनकर रह जाती है। Udta Punjab में किरदारों और गल्‍प के नकलीपन ने गंदगी मचाई है, तो नागेश कुकनूर खुलकर नहीं खेल पाए हैं इसलिए Dhanak एक अफ़सोस बन कर रह गई है।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>Abhishek Srivastava : कोई ज़रूरी नहीं कि हर फिल्‍म यथार्थवादी हो, बल्कि मैं तो कहता हूं कि कोई भी फिक्‍शन यथार्थवादी क्‍यों हो। गल्‍प, गल्‍प है। बस, गल्‍प को बरतने की तमीज़ हो तो बेहतर है वरना गंदगी मच जाती है। कभी-कभार यह तमीज़ होते हुए भी जब रचनात्‍मक उड़ान पर बंदिश लगाई जाती है तो रचना अफ़सोस बनकर रह जाती है। Udta Punjab में किरदारों और गल्‍प के नकलीपन ने गंदगी मचाई है, तो नागेश कुकनूर खुलकर नहीं खेल पाए हैं इसलिए Dhanak एक अफ़सोस बन कर रह गई है।</p>

Abhishek Srivastava : कोई ज़रूरी नहीं कि हर फिल्‍म यथार्थवादी हो, बल्कि मैं तो कहता हूं कि कोई भी फिक्‍शन यथार्थवादी क्‍यों हो। गल्‍प, गल्‍प है। बस, गल्‍प को बरतने की तमीज़ हो तो बेहतर है वरना गंदगी मच जाती है। कभी-कभार यह तमीज़ होते हुए भी जब रचनात्‍मक उड़ान पर बंदिश लगाई जाती है तो रचना अफ़सोस बनकर रह जाती है। Udta Punjab में किरदारों और गल्‍प के नकलीपन ने गंदगी मचाई है, तो नागेश कुकनूर खुलकर नहीं खेल पाए हैं इसलिए Dhanak एक अफ़सोस बन कर रह गई है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पता नहीं अनुराग कश्‍यप के कारखाने में क्‍या मैन्‍युफैक्‍चरिंग डिफेक्‍ट है कि कोई चीज़ सीधी-सरल वहां बरती ही नहीं जाती। अच्‍छा-खासा आदमी अभिषेक चौबे भी इस कदर लटपटा जाता है कि वह आलिया भट्ट के किरदार को कल्‍पना से भी ज्‍यादा नकली बना देता है। निजी तौर पर मुझे निस्‍पृहता नामक गुण (या अवगुण) से बेहद लगाव है, लेकिन ड्रग कार्टेल में फंसकर सीरियल बलात्‍कार झेल चुकी एक लड़की का उड़ता पंजाब में चित्रण जिस भोंडे तरीके से किया गया है वह मास मीडियम में अक्षम्‍य अपराध है। यह बात मैं इसलिए दावे से कहता हूं क्‍योंकि ऐसे एक जीवित किरदार पर मैंने अकेले स्‍टोरी की है और अनिल यादव उसके गवाह हैं।

आप किस ग्रह से ऐसे किरदार ले आते हैं जिनकी निजी अभिव्‍यक्ति में अपने पर गुज़रे की कोई संवेदना न व्‍यक्‍त हो पाए? आलिया भट्ट जैसा किरदार इस देश में तो कम से कम नहीं मिलता। वैसे, उड़ता पंजाब में से बस गालियां निकाल दीजिए, सलाद के पत्‍तों से भी बदज़ायका बन जाएगी यह फिल्‍म। पहलाज निहलानी जैसों से बचने के लिए अनुराग कश्‍यप को गालीमुक्‍त फिल्‍में बनाने का अभ्‍यास करना चाहिए, वरना अभिव्‍यक्ति की आज़ादी का वज़न वे खुद ही कम कर देंगे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

धनक देखकर पाउलो कोएल्‍हो की अलकेमिस्‍ट बरबस याद आ जाती है। बिलकुल सही मौके पर यह फिल्‍म अपनी स्‍वाभाविक गति से फैक्‍ट से फिक्‍शन में तब्‍दील हो रही थी। बंजारों की सरदार की कीमियागिरी और पागल ड्राइवर बद्रीनाथ के किरदार ने फिल्‍म को नए प्‍लेन पर ले जाकर बैठा दिया था, लेकिन अंत में बच्‍चों के रेत में बेहोश हो जाने के बाद नागेश कुकनूर भी बेहोश हो गए। वे फिल्‍म को वहां से ऊपर उठा नहीं सके। समेट दिया जल्‍दबाज़ी में। एक जादुई यथार्थ पैदा हो कर भी दिव्‍यांग निकल गया। इसी मोड़ पर ‘रोड मूवी’ की याद हो आई जहां कच्‍छ के रेगिस्‍तान में एक रंग-बिरंगे मेले का मिराज फिल्‍म को नई ऊंचाई पर ले गया और उम्‍मीद कायम रही। अभिषेक चौबे नकल और भोंडेपन में फंस गए। कुकनूर पर खोलते ही लोकरंजकता के हवाई जहाज से टकरा गए। मेरे जैसा दर्शक बैक-टु-बैक दोनों फिल्‍में देखकर भी असंतुष्‍ट रहा। अथ श्री नारायण कथा।

सिनेमा और साहित्य विश्लेषक अभिषेक श्रीवास्तव के एफबी वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement