सर्वोच्च न्यायालय से गुहार. यूपी के आईजी अमिताभ ठाकुर के मामले में दखल दीजिए. सरकार की प्रताड़ना से बचायें, वरना सभी जनवादी और लोकतंत्र के नायक कालकोठरी में होंगे. अब जरा भी देरी न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना देगी. यूपी सरकार से भरोसा उठ रहा है. सुप्रीम कोर्ट से आस है. पूरा मामला देश के लोकतंत्र और कानूनी प्रक्रिया का माखौल उड़ाते साफ दिख रहा है. अब तो हर पत्रकार और अफसर को डर लगने लगा है कि जो यूपी सरकार के खिलाफ आवाज उठायेगा, वो फर्जी मुकदमे झेलेगा, जेल जायेगा. ये देश की सबसे बड़ी अदालत, अब जनता इंसाफ के लिए आप की तरफ टकटकी लगाये बैठी है. दखल दीजिए.
यूपी के बेहद संवेदनशील आईपीएस के अफसर हैं अमिताभ ठाकुर. कसूर मात्र इतना कि नौकरी के अलावा भी समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी मानते हैं. गलत बातों को रोकने के लिए आम नागरिक की तरह आवाज उठाते हैं. इस काम में पत्नी, बेटा और बेटी भी शामिल है. लेकिन सरकार तो सरकार होती है. अपनी तौहीन कैसे बर्दाश्त करे.
अपने काम से काम रखो, दुनिया जले तो जले. कुछ ऐसी ही छुपी नसीहत यूपी सरकार के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने फोन के जरिए सीधे आईजी अमिताभ ठाकुर को दे डाली. जिसकी शिकायत जब आईजी ठाकुर पुलिस थाने में करने गये तो यूपी सरकार का भड़कना तय था. लाद दिया रेप का केस. आनन-फानन में पुराने मामले में एफआईआर दर्ज की. दिखा दिया एक आईजी को उसकी औकात.
वो केस, जिसमें तथाकथित पीड़ित महिला की बेटी ने एक न्यूज चैनल पर साफ-साफ बोली कि मेरा परिवार समाजवादी पार्टी से जुड़ा है. लेकिन इस पीड़ित महिला की बेटी को ना तो इतनी बड़ी घटना के बारे में मालूम था ना ही अमिताभ ठाकुर के बारे में. असल में ये मामला खनन मंत्री गायत्री प्रजापति के कथित संरक्षण में अवैध खनन से जुड़ा है. जिसके बारे में आईजी ठाकुर ने आम आदमी की तरह से आवाज उठाई. मामला सुर्खियां में आया तो करीब 3-4 महीने पहले षड़यंत्र के तहत एक तथाकथित पीड़ित महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया जिसके वर्तमान पता-ठिकाने के बारे में केवल समाजवादी पार्टी के लोग ही जानते हैं. क्योंकि मामला सामने आते ही महिला गायब हो गई. लेकिन मीडिया में फर्जी मामले को तूल पकड़ते देख यूपी पुलिस ने भी महिला की शिकायत को एक किनारे कर दिया.
लेकिन सत्ता के तेवर देखिए, सारे के सारे पुलिस अफसर पस्त हो गये. आईजी ठाकुर की शिकायत पर तो एफआईआर नहीं हुई, लेकिन आईजी ठाकुर पर एफआईआर जरूर हो गई. यूपी का पुलिस महकमा भी अंदर से शर्मिंदा हुआ होगा. यूपी में कैसा जंगलराज चल रहा है. किस कारण लोकतांत्रिक प्रक्रिया के कट्टर समर्थक मुलायम सिंह यादव एक आईजी को धमकाने लगे. एक बार भी लोक-लाज के चलते मुलायम सिंह यादव ने इस बात का भी खंडन नहीं किया कि उन्होंने अमिताभ ठाकुर को धमकी नहीं दी. और तो और धमकी-चेतावनी नहीं मानने आईजी पर जड़ दिया गया रेप का मुकदमा.
अब आईजी अमिताभ ठाकुर किससे इंसाफ मांगे? क्या करें जब मेड़ ही खेत को खाने लगे. ठगे गये अमिताभ ठाकुर. कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी ढोने वाले ठाकुर अब उसी व्यवस्था की खामी के शिकार हो गये. इंसाफ की दरकार है कि सुप्रीम कोर्ट सारे मामले को स्वत: संज्ञान में लेते हुए राज्य की प्रताड़ना से एक संवेदनशील और समाज के प्रति जागरूक अफसर को बचाये. अन्यथा किसी भी बड़ी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता है.
वरिष्ठ पत्रकार प्रसून शुक्ला के फेसबुक वॉल से
Basti
July 13, 2015 at 2:05 am
Sabhi Sajjano ko IPS Mr.AT ka samarthan karma chahiye…. Prasoon ji…. Dhanyawad