स्वदेश कुमार,लखनऊ
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में जब से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए हैं तब से लेकर आज तक यूपी के सांसदों-विधायकों एवं अन्य जनप्रतिनिधिओं का एक ही रोना रहा है कि योगी सरकार में जनप्रतिनिधियों को कोई तवज्जो नहीं दी जा रही है।
योगी को अपने नेताओ से अधिक भरोसा ब्यूरोक्रेसी पर है। योगी ने ‘नवरत्न’ बना रखे हैं। यही नवरत्न हर बड़ा फैसला लेते हैं। यह ‘नवरत्न’ और कोई नहीं 11 सीनियर आईएएस अधिकारी हैं। इनकी सलाह पर ही योगी महत्वपूर्ण फैसले लेते हैं,जबकि बीजेपी के नेता और जनप्रतिनिधि करीब पांच सालों तक मूलदर्शक बने रहने को मजबूर रहे।
इन नेताओं की न जिलाधिकारी कार्यालय में सुनवाई होती, न थाने-चौकी पर कोई इनकी सुनता। क्षेत्र में कौन से विकास कार्य कैसे चलने और पूरे किये जाएंगे, यह भी अधिकारी ही तय करते हैं, जिसके चलते उक्त नेताओं और जनप्रतिनिधियों को जनता का कोपभजन भी बनना पड़ता है।
अपनी व्यथा कई बार सांसद-विधायक और सभासद आलाकमान तक पहुंचा चुके हैं, लेकिन कहीं कोई पत्ता नहीं खड़का। यहां तक कि कुछ विधायकों ने तो यह बात विधान सभा तक में उठाई थी और धरने पर बैठ गए थे, फिर भी योगी के आगे किसी की एक नहीं चली। अब जब चुनाव सिर पर है तो इन लोगों का रिपोर्ट कार्ड तैयार किया जा रहा है। उनसे उनके विधान सभा क्षेत्र में हुए विकास कार्यों की जानकारी ली जा रही है।
इस पर जनप्रतिनिधियों का गुस्सा होना स्वभाविक है। इसीलिए गत दिनों जब बीजेपी के सांसदों और विधायक को चुनाव तैयारी के लिए लखनऊ बुलाया गया तो चुनौती तैयारी बैठक में विधायकों ने सरकार और संगठन के सामने अफसरों पर जमकर गुबार निकाला। विधायकों ने कहा कि अफसर जिले में उनकी सुनते नहीं हैं, मनचाहे ढंग से काम करते हैं। जन प्रतिनिधियों ने कहा कि कई बार बिना विधायक की जानकारी के ही जिले में एक साथ कई थानेदार बदल दिए जाते हैं और पता तक नहीं चलता।
कुछ विधायकों ने थानेदरों के न सुनने के अलावा डीएम और एसपी की भी शिकायत की। गत दिवस गोरक्षा और काशी क्षेत्र की मुख्यमंत्री आवास पर हुई बैठक में ज्यादातर विधायकों और सांसदों ने बिजली कटौती और तहसील थाना दिवसों में तत्काल सुनवाई करने का मामला रखा। विधायक ने कहा कि बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में बांध बनाए जाने हैं पर वित्त विभाग ने बहुत सी फाइलें रोक रखी है। अगर जल्दी बंधों की मरम्मत नहीं हुई तो दिक्कत होगी। एक विधायक ने पूर्वांचल विकास निधि के प्रस्ताव को जारी करने की मांग उठाई।
सांसदों-विधायकों की नाराजगी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कितनी गंभीरता से लिया, यह तो नहीं कहा जा सकता है, लेकिन उन्हें हिदायत जरूर दी कि जनता के बीच हमारी (बीजेपी सरकार) सकारात्मक और प्रभावी मौजूदगी दिखनी चाहिए। सांसद और विधायक के बीच टीम वर्क दिखाना चाहिए। योगी ने कहा कि सरकार ने साढ़े चार सालों में काफी काम हुआ। विकास योजनाओं को आगे बढ़ाया गया है। इन कामों को हर घर तक पहुंचाया सबकी जिम्मेदारी लें।
उधर इस अवसर पर मौजूद उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने सांसदों और विधायकों से सवाल पूछा कि यहां मौजूद लोग अपने कार्यकर्ता का सम्मान करते हैं या नहीं? कितने विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने अपने मंडल अध्यक्ष को घर बुलाकर खाना खिलाया है या कितने सांसद ऐसे हैं, जिन्होंने किसी के घर जाकर चाय पी है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं के बल पर हम चुनाव जीतते हैं, उनका सम्मान सर्वोपरि है।
संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने और सदस्य बनवाने पर जोर दिया और कहा कि जो विधायक सबसे ज्यादा वोट बनवाएंगे, पार्टी उन्हीं का सबसे ज्यादा ध्यान रखेगी। इसी के साथ बैठक समाप्त हो जाती है।
अल्पसंख्यक विकास यात्राओं के सहारे बीजेपी रोकेगी मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण
अजय कुमार,लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पहले से कोई धारणा बनाकर चुनाव मैदान में नहीं उतरेगी। कौन बीजेपी को वोट देता है और कौन नहीं, इसकी चिंता किए बिना बीजेपी के कार्यकर्ता हर वोटर के दरवाजे पर दस्तक देंगे। सभी वोटरों से सम्पर्क बनाने को मूलमंत्र बनाकर बीजेपी नेता और कार्यकर्ता पूरे प्रदेष में मुस्लिम वोटरो के दरवाजे उनसे भी वोट मांगने जाएंगे। इसी मूलमंत्र को धारण करके उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने मिशन 2022 के लिए तैयारी तेज कर दी है। योगी सरकार ने पिछले महीने ही अपना रिपोर्ट कार्ड जारी किया था और अब अल्पसंख्यकों तक मोदी सरकार और योगी सरकार के फैसलों को पहुंचाने के लिए बीजेपी ने प्रदेष के सभी जिलों में रथयात्रा निकालने का फैसला लिया है,तो समाजवादी पार्टी जैसे दलों को बीजेपी का यह फैसला रास नहीं आ रहा है समाजवादी नेता नरेन्द्र भदौरिया आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी के खाने के दांत और दिखाने के दांत अलग-अलग हैं। भाजपा पहले मुसलमानों को डराती है और उसके बाद उससे वोट मांगती है।
बहरहाल, बीजेपी अपनी प्रस्तावित रथयात्रा के जरिए अल्पसंख्यकों तक जाकर मोदी और योगी के फैसलों की जानकारी पहुंचाएगी।बीजेपी अल्पसंख्यक जन जागरुक यात्रा के नाम से रथयात्रा निकाल कर हर विधानसभा में बीजेपी राज में अल्पसंख्यकों की भागीदारी और अन्य फैसलों को गिनाएगी। इन यात्राओं में बीजेपी अपने दिग्गज मुस्लिम चेहरों को भी आगे करेगी। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, बिहार सरकार में मंत्री शाहनवाज हुसैन और राज्यसभा सांसद जफर इस्लाम जैसे नेताओं को भी शामिल किया जाएगा। इतना ही नहीं, हर जिल में अल्पसंख्यकों के लिए एक इंटेलेक्चुअल कॉन्फ्रेंस का आयोजन भी किया जाएगा. माना जा रहा है कि यूपी में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की सक्रियता को बढ़ते देख बीजेपी ने ये फैसला लिया है.
उत्तर प्रदेश में अगले साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2017 के चुनाव में बीजेपी ने यहां की 403 में से 312 सीटों पर जीत दर्ज की थी। सपा और कांग्रेस ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। सपा ने 47 और कांग्रेस ने 7 सीटें ही जीती थीं। मायावती की बसपा 19 सीटें जीतने में कामयाब रही थी.
बीजेपी आलाकामन ने तय किया है कि अल्पसंख्यकों तक पार्टी अपनी अच्छी बातों और जनहित के फ़ैसले को पहुंचाएगी इसमे साथ ही मुसमलानों को यह भी बताया जाएगा कि ये उनकी सकरार सभी के लिए हैं। केंद्रीय योजनाओं का लाभ अल्पसंख्यकों को कैसे मिला, इस बारे में भी बतायाजाएगा।यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के महामंत्री दानिश आज़ाद कहते हैं कि ‘पीएम आवास योजना हो या आयुष्मान कार्ड योजना,किसी भी योजना के आंकड़े देख लीजिए, अल्पसंख्यकों को भी इससे फायदा हुआ है। ये बहुत महत्वपूर्ण बात है. हम लोगों की जिम्मेदारी इसी बात को और सच्चाई को आगे रखने की है।’ इसके अलावा पार्टी सभी जिलों में इंटेलेक्चुअल कॉन्फ़्रेन्स भी करेगी जिसमें अल्पसंख्यक बुद्धिजीवियों को शामिल किया जाएगा।
गौरतलब हो रथयात्रा से पूर्व हाल ही में योगी सरकार ने उर्दू अखबारों में विज्ञापन देकर इस बात को विस्तार से बताने की पहल की थी कि सरकार के फैसलों से अल्पसंख्यकों को अन्य सभी वर्गों की तरह कितना लाभ हुआ है। दरअसल, यूपी में सभी राजनीतिक दलों की मुस्लिम वोटों पर नजर और खासतौर पर असद्दुद्दीन ओवैसी के दौरे और भाषण को देखते हुए बीजेपी के लिए ‘मायनॉरिटी प्लान’ जरूरी है। हालांकि, विपक्षी दल इस बात पर ही सवाल उठाते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हैदर का कहना है, बीजेपी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया। क्या बीजेपी को लगता है कि मुसलमानों को प्रतिनिधित्व देने की जरूरत नहीं है? खासतौर पर तब जब बीजेपी जाति के आधार कर टिकट बांटती है. क्या बीजेपी को लगता है कि मुस्लिम समाज ये सवाल उनसे नहीं करेगा?
बीजेपी की अल्पसंख्यक विकास यात्रा को लेकर जहां विपक्ष मोदी-योगी पर हमलावर है,वहीं जानकारों का कहना है कि बीजेपी को अच्छी तरह से यह मालूम है कि मुस्लिम वोटर उसे वोट नहीं देंगे,लेकिन बीजेपी चाहती है कि उसके अपने प्रयासों से भले ही उसे वोट नहीं मिले,परंतु यदि मुस्लिम वोट के धु्रवीकरण को रोकने में वह(बीजेपी)कामयाब हो गई तो आधी लड़ाई तो वह वैसे ही जीत लेगी। इसी को ध्यान में रखकर बीजेपी अपनी गोटियां बिछा रही है।