भड़ास संचालक ने मुझसे बिना अनुमति लिये कॉल टैप करके अपने पोर्टल पर डाल दिया!
–Uttpanna Chakravorty–
कल मैंने फेसबुक पर अविनाश दास और मेरे वॉट्सऐप चैट के तीन स्क्रीनशॉट शेयर किए थे, सिर्फ इसलिये कि आप सब को इनकी मंशा समझ आये तो मुझे भी समझायें. कल मैंने आरोप नहीं लगाये थे और आज भी किसी पर कोई आरोप नहीं लगाऊँगी.. बस चैट में कही गई बातों को हाईलाइट करके आपसे जानना चाहूँगी कि आप इस चैट का क्या अर्थ समझते हैं… आप ही फ़ैसला करें कि प्रभावशाली पद पर बैठा हुआ कोई व्यक्ति यदि नौकरी चाहने वाली किसी लड़की से एक ही मुलाक़ात के बाद – ध्यान दीजिए, केवल एक मुलाकात के बाद – उसके खाने-रहने का ख़र्चा उठाने को तैयार हो जाए तो क्या यह केवल स्नेहवश है…? यदि हाँ तो मैं जानना चाहूँगी और शायद आप भी जानना चाहेंगे कि अविनाश दास मुंबई में काम की तलाश में आई मुझ जैसी कितनी लड़कियों के खाने और रहने का ख़र्चा उठा रहे हैं या उठाने को तैयार हैं?
अरे हाँ, मैं तो भूल ही गई…वे तो खुद कह रहे हैं कि वे हर किसी के साथ यह दरियादिली नहीं दिखाते..तभी तो लिख रहे हैं –
‘…मैं इतना किसी से जुड़ता, जितना तुमसे जुड़ गया हूँ और तुमसे बातें कर रहा हूँ… पता नहीं क्यों… मुझे भी नहीं मालूम… इसलिए सब सच बोल रहा हूँ… इसे अपने लिए मेरा प्यार मानकर पढ़ना”..
ध्यान दीजिए, हम दोनों के बीच केवल एक मुलाक़ात हुई है आज तक और वह भी उनके ऑफिस में जब उन्होंने मुझे काम के लिए अपने ऑफिस बुलाया था और काम के अलावा इन्होंने बाकी सारी बातें की…इस एक मुलाकात के बाद कोई कहने लगे कि ‘पता नहीं क्यों, मैं तुमसे इतना जुड़ गया हूँ’ और यह कहते हुए अपने ‘प्यार’ की दुहाई देने लगे तो आप उसका क्या मतलब निकालेंगे?
मैंने भी उनकी बातों का वही मतलब निकाला जो निकलता था, मगर फिर भी जवाब में शालीनता बनाये हुये ये लिखा –“मुझे इतना पता है कि मैं बेवकूफ नहीं हूँ”
देखिए, वे इसकी प्रतिक्रिया में क्या लिख रहे हैं –
‘हाँ, तुम बेवकूफ नहीं हो, ये मुझे भी पता है… लेकिन तुम कुछ ज़्यादा ही सख्त हो, ये भी पता है”…
सोचिए, अगर कोई पुरुष किसी युवती से कहे कि तुम कुछ ज़्यादा ही ‘सख्त’ हो तो उसका क्या मतलब निकालेंगे आप? वह व्यक्ति उसे सख्त बताकर क्या यह नहीं कहना चाहता कि तुम थोड़ा नरम बनो? किसी लड़की से नरम बनने के अनुरोध का क्या अर्थ है?
आगे देखिए, यह व्यक्ति मुझसे क्या कह रहा है –
‘नहीं, मैं बस तुम्हें परेशान नहीं देखना चाहता… इसलिए जब तुम्हें लगे मुझसे फाइनेंशियल हेल्प ले लेना बेहिचक, काम आएगा तो तुम्हें जरूर जोड़ूँगा… यकीन करो”..
जवाब में मैंने कहा – यही कि ‘वित्तीय समस्याएँ हैं लेकिन जब तक मैं मैनेज कर सकती हूँ, करूँगी’…
फौरन उनका जवाब आया – ‘मैं हूँ, अकेला मत समझना”..
सिर्फ एक मुलाकात के बाद…क्यों? इसी चैट में एक जगह अविनाश दास ये भी कह रहा है कि “या तो किसी प्रोड्यूसर टाइप आदमी को पटाओ और फिर बिगशॉट खेलों..सीधे प्रोड्यूसर हो जाओ”
अब आप बताइए बिगशॉट कैसे खेलते है और क्या होता हैं उसका मतलब??
क्या ये अपनी बेटी या बीवी को भी ऐसी सलाह देंगे?
इसके जबाब में मैने लिखा था कि “मुझे मेहनत करनी है. यही करना होता तो चैनल की प्रोड्यूसर होती…”
आपने यह सब पढ़ा..अब बताइए, आपको क्या यह स्वाभाविक लगता है जब एक ही मुलाकात के बाद कोई पुरुष किसी लड़की के रहने-खाने का खर्च देने को तैयार हो जाए, जब एक ही मुलाकात के बाद वह यह कहने लगे कि तुम कुछ स्पेशल हो, इसलिए मैं तुमसे इतना जुड़ गया हूँ, जब एक ही मुलाकात के बाद वह बातचीत में प्यार शब्द ले आए, जब एक ही मुलाकात के बाद वह कहे कि खुद को अकेला मत समझना? क्या आपको यह सब नॉर्मल लगता है? फ़ैसला आप पर है…
फिर जब बार बार इनकी तरफ से मदद का ऑफ़र आना बँद नहीं हुआ, तो कुछ इनकी नीयत परखने को और कुछ अपना पीछा छुड़ाने को मैंने कहा – ठीक है! मैं अपना घर शिफ्ट कर रही हूँ और मुझे डिपॉजिट के तौर पर पचास हज़ार की रकम देनी थी उसमें आप मदद कर दीजिये…
ये सुनते ही ख़ुदाई मददगार अविनाश दास को अचानक पता लगा कि मुझे मल्टिपल पर्सनालिटी डिसऑर्डर है और कुछ भूत प्रेत की भी कहानी है मेरी… याने अविनाश दास एक साथ बैकग्राउंड वैरीफायर, साईकोलॉजिस्ट और तांत्रिक तीनों हो गये. वो अविनाश, जो मुझे सख्त न होने की सलाह दे रहा था और जो प्यार से मुझे प्रोड्यूसर पटाने की करीयर अडवाईस दे रहा था…
जब मैंने इस मल्टिपल पर्सनालिटी डिसऑर्डर और भूत प्रेतवाली बात पर इससे सवाल किया तो इसने शशि का हवाला दिया कि – तुम रिलायबल नहीं हो, तुमने शशी से पैसे लिए थे और लौटाए नहीं शशी ने तुम्हारी मदद की तुमने उसको डिच कर दिया (हालाँकि यह झूठ है)…
जब मैंने शशि से इसका आमना सामना करवाने की बात की तो अविनाश दास ने मुझे ब्लॉक कर दिया…
इसके बाद इस पूरे प्रकरण की एकतरफा और ग़लत रिपोर्ट भड़ास मीडिया पर आई…
भड़ास मीडिया का कहना है कि यह सब मैं इसलिए कर रही हूँ कि मैंने अविनाश से 50 हज़ार माँगे थे और जब उन्होंने नहीं दिए तो मैंने उनको बदनाम करने के लिए चैट के स्क्रीनशॉट सार्वजनिक कर दिए..जब मैंने फोन पर भड़ास मीडिया के संचालक से बात की तो उनका कहना था कि पर्सनल चैट को इस तरह सार्वजनिक करना ग़लत है और मुझे ये सही-ग़लत समझाते हुये उन्होंने मुझसे बिना अनुमति लिये या मुझे बताये वो कॉल टैप करके अपने पोर्टल पर डाल दिया…ये कितनी सही बात है आप बतायें…
एक अकेली लड़की की मदद के लिये आगे आनेवाले अविनाश दास अब सबके सामने आये और बताये कि मेरे मल्टिपल पर्सनालिटी डिसऑर्डर का ज्ञान और भूत प्रेत वाली कहानी का सच क्या है? किस हक़ से वो एक लड़की का इस तरह से चरित्र हनन कर रहा है?
क्या मेरा दोष सिर्फ ये है कि मैं बक़ौल अविनाश दास ‘कुछ ज़्यादा ही सख्त हूँ’? क्या यही कारण है कि अविनाश दास मददगार से अब साईकोलॉजिस्ट और तांत्रिक दोनों बन गया है और भड़ास मीडिया को अपने इस घिनौने खेल का भागीदार भी बना रहा है?
जैसा कि मैं समझती हूँ, मेरी चिंता जो अविनाश ने चैट में जताई, वह किसी भाई या पिता सरीखे व्यक्ति का स्नेह नहीं है…यह एक ऐसे पुरुष का फेंका हुआ जाल है जो मछली फँसाने के लिए पानी में डाला गया है और जब मछली फंसती नहीं दिखती और उसे लगता है कि उसका जाल फट जाएगा तो वह जाल खींच लेता है और कहता है, मछली ही गंदी है…
उत्पन्ना चक्रवर्ती की एफबी वॉल से.
पूरे प्रकरण को समझने के लिए इन्हें भी पढ़ें-