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सुख-दुख

वीडियोकॉन घोटाले का दूसरा पार्ट सामने आ गया है!

गिरीश मालवीय-

वीडियोकॉन घोटाले का दूसरा पार्ट सामने आ गया है। NCLT कह रहा है कि वेदांता को कैसे मालूम पड़ गया कि वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज और उसकी 12 समूह कंपनियों की संपत्ति का परिसमापन मूल्य हमने 2,568 करोड़ रुपये रखा है ?…… वेदांता की ट्विन स्टार टेक्नोलॉजीज ने समाधान योजना के तहत 2,962 करोड़ रुपये की बोली जमा की है यानि सिर्फ 400 करोड़ रुपये ज्यादा।

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यानी वेदांता को यह इनसाइड इन्फॉर्मेशन थी कि पंजीकृत मूल्यांकनकर्ताओं ने संपत्ति और देनदारियों की क्या कीमत निर्धारित की है ?

एनसीएलटी ने कहा, ‘‘यह आश्चर्यजनक है कि समाधान योजना के तहत आवेदन करने वाली ट्विन स्टार टेक्नोलॉजीज ने संपत्ति और देनदारियों का लगभग वही मूल्य निर्धारित किया जो पंजीकृत मूल्यांकनकर्ताओं ने तय किया था।’’…न्यायाधिकरण ने भारतीय दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) से इस मामले की गहराई से जांच करने को कहा है ताकि यह सुनिश्चित हो कि गोपनीयता उपबंध का पालन बिना किसी समझौते के किया गया।

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आप समझ सकते हैं कि यह कितना बड़ा घोटाला हो सकता है।

दरअसल कंपनी ऋण शोधन अक्षमता समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के नियमों के तहत दो पंजीकृत मूल्यांकनकर्ता, परिसमापन मूल्य तय करते हैं और बाजार मूल्य के साथ इसे गोपनीय बनाये रखते हैं। केवल बोलियों को अंतिम रूप दिये जाने के समय ही कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) को इसकी सूचना दी जाती है।….वीडियोकॉन के मामले में समाधान बोलियां 2 सितंबर, 2020 को खुली। इसी दौरान NCLT को परिसमापन मूल्य और बाजार मूल्य की जानकारी दी गयी।

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बोली को परिसमापन मूल्य के इतने नजदीक पाकर सब आश्चर्य चकित रह गए।

एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने नौ जून के अपने आदेश में कहा, ‘‘इसलिए, भले ही गोपनीयता उपबंध अस्तित्व में हो, ऊपर चर्चा किए गए तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर इसको लेकर संदेह उत्पन्न होता है। इसलिए हम आईबीबीआई से इस मुद्दे की गहराई से जांच करने का अनुरोध करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सीआईआरपी से जुड़े सभी संबंधित पक्षों, संस्थाओं द्वारा किसी भी समझौते के बिना, गोपनीयता उपबंध का अक्षरश: पालन किया गया है।’’

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इस बोली को मंजूरी दिए जाने से कर्जदारों की 96 प्रतिशत रकम डूब गई है वीडियो कॉन के हजारों निवेशकों के करोड़ो रूपये भी डूब गए हैं क्योंकि वीडियोकॉन के शेयर के बदले में शेयरधारकों को कोई पैसा नहीं मिलेगा इसे डीलिस्ट किया जा रहा है।

वीडियोकॉन ग्रुप की 15 में से 13 कंपनियों के लिए इंसोल्वेंसी प्रक्रिया 2018 में शुरू हुई थी.क्रेडिटर्स द्वारा वीडियोकॉन समूह की कंपनियों पर उनके कुल 71,433 करोड़ बकाया होने की बात कही गई. इसमें NCLT ने 64,838 करोड़ के क्लेम को स्वीकार किया।

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वेदांता की ट्विन स्टार वीडियोकॉन की 13 कम्पनियो का अधिग्रहण मात्र 2962 करोड़ में कर रही है. यह क्लेम किए गए कुल राशि का केवल 4.15% है. इसको ऐसे भी समझा जा सकता है कि अगर वीडियोकॉन समूह को कुल 100 रुपयों का लोन या अन्य उधार दिया गया था तो वेदांता ग्रुप क्रेडिटर को केवल 4 रु15 पैसे देकर ही बरी हो रहा है।

यह समाधान नही कहलाएगा यह जनता के पैसे पर डाका डालना कहलाएगा क्योंकि सबसे बड़े क्रेडिटर्स भारत के सार्वजनिक बैंक है जो आपकी हमारी जमा रकम का इस्तेमाल कर ऐसी कम्पनियो को लोन देते हैं।

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क्रोनी केपेटेलिज़्म भारत मे लगातार अपना खेल खेलते जा रहा है ओर जनता को उलझा कर रखने के लिए दिन-रात मीडिया हिन्दू – मुस्लिम में ही लगी हुई है।


krishna Iyer-

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विडियोकॉन के असली आंकड़े अब सामने आए है..और आंकड़े देख कर मेरा दिमाग भी घूम गया..अब तक केवल 46,000 करोड़ की बात हो रही थी..पर आंकड़े लगभग डबल है..

NCLT की डिवीज़न बेंच ने विडियोकॉन के असली आंकड़े बताते हुए पूरी बिकवाली पर ही सवाल उठाए है..असली आंकड़े जानिए..(करोड़ ₹)

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  • विडियोकॉन का टोटल लोन 71, 433.75
  • NCLT ने लोन की मान्यता दी 64,838.63
  • अनिल अग्रवाल ने पेमेंट किया 2962.02

◆ यानी विडियोकॉन के नए मालिक को विडियोकॉन 95.85% डिस्काउंट में मिल गई..पूराने मालिक धूत परिवार का 100% कर्जा भी माफ हो गया..(है ना मजेदार, 5% में 100% साफ)

● नए मालिक अनिल अग्रवाल को 95.85% डिस्काउंट में क्या क्या मिला? : ऑयल फील्ड, कंस्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, होम एप्लायंस, डिजिटल सॉल्यूशन, रियल एस्टेट और इलेक्ट्रॉनिक रिटेल चेन..(अक्खा इंडिया बेच डाला)

-एक बात समझिए : लोन डिफ़ॉल्ट हुआ था पर बिज़नेस बन्द नही हुआ था..यानी बिज़नेस में पैसों की कमी थी और माल बिक रहा था..कनपटी पर बंदूक लगाए बिना और कुछ इधर उधर बिना 95.85% डिस्काउंट में इतना बड़ा घराना बिक नही सकता..

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-सबसे बड़ा घोटाला : वीडियोकॉन के पुराने मालिक 30,000 करोड़ लोन चुकाने को तैयार थे..पर उनका ऑफर हटा कर 30,000 करोड़ के बदले केवल 2962.02 करोड़ में 71,433.75 करोड़ का लोन निपटा दिया गया..

अब भी अगर आपको मन्दिर चंदे का 18 करोड़ का विवाद सही लगता है तो खुद के दिमाग का इलाज करवाइए..अडानी के शेयर और विडियोकॉन की लूट को ढकने के लिए मन्दिर विवाद लाया गया था..कोई शक?

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पहला पार्ट पढ़ने के लिए इस शीर्षक पर क्लिक करें-

मोदी जी तो सच में अपने उद्योगपति मित्रों को भरपेट खिला रहे हैं!

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