मौलिक भारत संगठन ने आरोप लगाया है कि यादव सिंह ने ठेकों से कमाए कमीशन अपनी पत्नी, बेटे, बेटियों और रिश्तेदारों के नाम से बनी कंपनियां में लगा दिए। इससे इन कंपनियों का टर्न ओवर और वैल्यू चंद सालों में ही कई लाख गुना तक बढ़ गया। मौलिक भारत संगठन के उत्तर प्रदेश प्रभारी और भाजपा नेता कैप्टन विकास गुप्ता ने अपने आवास पर प्रेस वार्ता में कहा कि यादव सिंह प्रकरण में मीडिया जितने करोड़ रुपये या घोटाले की बात कर रही है, हकीकत में मामला इससे कई गुना ज्यादा है। मीडिया 40-50 कंपनियों की ही बात कर रही है जबकि यादव सिंह ने करीब 200 से ज्यादा कंपनियों में पैसा लगाया है।
इस पैसे से कंपनियों का टर्न ओवर और कमाई कई लाख गुना तक बढ़ गई। विकास गुप्ता ने कुछ कंपनियों का उदाहरण देते हुए बताया कि चाहत टेक्नोलोजी प्राइवेट लिमिटेड यादव सिंह की बेटी गरिमा यादव ऊर्फ गरिमा भूषण की है। कंपनी का गठन मई, 2007 में हुआ। इसी समय सूबे में बसपा की सरकार बनी थी और यादव सिंह को अथॉरिटी में फिर से चार्ज मिला था। कंपनी की शुरुआत महज (पेड अप कैपिटल) 100 रुपये से हुई। पहले वित्तीय वर्ष (साल 2007-08) में कंपनी का टर्नओवर 1,856 रुपये रहा। जबकि 31 मार्च 2009 में कंपनी की पेड अप कैपिटल (शुरुआती निवेश राशि) एक लाख रुपये दर्शाई गई और कंपनी की वैल्यू बढ़कर पांच करोड़ 47 लाख रुपये हो गई। जो शुरुआती पेडअप कैपिटल का साढ़े पांच लाख गुना है।
एक अन्य कंपनी कुसुम गारमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड में यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता, बेटा सन्नी यादव, पुत्री करुणा और गरिमा निदेशक हैं। इस कंपनी की पेड अप कैपिटल 100 रुपये था। वित्तीय वर्ष 2007-08 में टर्न ओवर महज 2,300 रुपये था, जबकि अगले कुछ सालों में कंपनी की वैल्यू बढ़कर दो करोड़ रुपये हो गई। यह शुरुआती धन का दो लाख गुना है। आयकर अधिकारियों की मानें तो कुसुम गारमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड का पिछले वित्तीय वर्ष में टर्न ओवर 23,00 करोड़ रुपये हो गया है।