ये खबर पत्रकारों के लिए है। बिना पुष्टि के तोड़–मरोड़ कर गलत तथ्यों पर नकारात्क खबर किया तो ज़िलाधिकारी मीडिया संस्थान को पत्र भेज कर स्पष्टीकरण मांग सकता है।
बताया जा रहा है कि प्रदेश सरकार 2024 चुनाव से पहले उन यूट्यूब चैनलों और न्यूज़ पोर्टलों पर लगाम कसना चाहती है जो बिना सही तथ्यों के खबरों को दूसरा एंगल दे कर अपने व्यूज के लिए रायता फैलाते हैं।
वहीं कुछ अन्य लोगों का कहना है कि ये नई व्यवस्था मीडिया को दबाव में रखने के लिए है ताकि स्वस्थ आलोचना करने वालों को भी प्रशासनिक कार्रवाई से डराया जा सके। देखें ऑर्डर-
त्वरित टिप्पणी-
मीडिया तो पहले ही योगी-मोदी के चरणों में गिरा हुआ है!
अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-
मीडिया को दबाव में रखने के लिए योगी सरकार ने एक आदेश जारी किया है. समझ नहीं आ रहा है कि इस आदेश का मतलब क्या है ?
मीडिया तो पहले ही योगी-मोदी के चरणों में गिरा हुआ है, उस बेचारे पर दबाव डालकर अब कितना और गिराएंगे योगी जी !!!
यही नहीं, जिस 180 डिग्री के कोण से मीडिया योगी- मोदी के सामने नतमस्तक है, उसको देखकर तो इसे मीडिया कहा ही नहीं जाना चाहिए. इसलिए मुझे तो यह आदेश गैरजरूरी और निरर्थक लग रहा है.
न कहीं मीडिया बचा है और मीडिया के नाम पर चारण- भांट बन चुके संस्थानों को न ही अब इससे ज्यादा दबाया या झुकाया जा सकता है.
बल्कि मेरा सुझाव तो यह है कि मोदी- योगी सरकार अब इस पर विचार करें कि चीन की तरह यहां भी केवल एक ही मीडिया रहे, वह भी सरकार नियंत्रित.
बाकी की सारी जानकारी या खबरें भाजपा की आईटी सेल वॉट्सएप, फेसबुक, ट्विटर और YouTube आदि से पहुंचा ही रही है.
Bhadas4media ने यह खबर योगी सरकार के आदेश के साथ प्रसारित की है. मीडिया अगर कहीं देश में है तो बस यही भड़ास4मीडिया ही है.
कोई और मीडिया अगर है तो इस आदेश का विरोध छोड़िए बस इस खबर को सामने लाकर योगी सरकार की आलोचना या अपने चैनल पर चर्चा करके ही दिखा दे…
प्रेस की आजादी के लिए ऐसा अगर कोई नहीं कर रहा है तो उस संस्थान को मीडिया संस्थान और व्यक्ति को पत्रकार कहकर वास्तविक मीडिया या पत्रकार का अपमान तो न कीजिए.
ये शीर्ष प्राथमिकता वाला पत्र है। ‘नकारात्मक खबरें’ लिखने वाले सावधान हो जाएँ। -Samiratmaj mishra
In proximity with the days of Lord Lytton and his Vernacular Press Act. It is said that history repeats itself but why only two phases- Medival and Modern? -santosh kumar pandey
चरण चारण वंदना मे रसपान कीजिये, सरकार की कामना है सकारात्मक गुणगान कीजिये। हजारों करोड़ खर्च होते है अखबारी विज्ञापन मे, इस पर भी मन न भरे तो प्रायोजित सम्मान लीजिये। -Ashish Sagar Dixit
भाईसाहब…. मतलब फेक न्यूज नहीं चलनी है…. ये तो अच्छा है, लेकिन IT Cell के फेक प्रपोगेन्डा और ट्रोलर्स को इसकी छूट होगी या उन पर भी लगाम लगेगी ?? -Ashok Mishra
पत्रकारों और मीडिया संस्थानों पर नकेल कसी जा रही है लेकिन उत्तर प्रदेश के चंद पत्रकारों द्वारा इस हिटलरी फरमान की निंदा न करके लखनऊ की नजाकत और नफ़ासत भरे लफ़्ज़ों से प्रशंसा की जा रही है।।। डिबेट के नाम पर चिल्लाने और चीखने के संबंध में दिशानिर्देश भी लागू कर दीजिए जनाब, कलाम पर अंकुश और बोलती बंद हो जाएगी तो सब तरफ खुशहाली नज़र आएगी। -मोहम्मद कामरान
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संदीप केशरवानी
August 20, 2023 at 11:57 pm
मेरा मानना है कि यह सरकार का फैसला नही है, क्योकि सरकार है कहा सरकार अगर होती तो लोगो को इंसाफ मिलता सैकड़ो ऐसे मामले हैं जहाँ आज भी लोगो की शिकायत के पन्ने रद्दी की टोकरी में पड़ी है, उन्ही समस्या को उठाने में अधिकारी ऐसे फरमान जारी कर रहे हक की उनकी पोल ना खुले, जनता सब जानती है इन कुर्सी में बैठे चापलूसों को जिस दिन जनता भड़की न तो यह सारे के सारे आदेश धरे के धरे राह जाएंगे, एक शिकायत करो नीचे से लेकर ऊपर तक सारे सेटिंग में लग जाते है लूटेरे, पहले सिस्टम से काम होता था लेकिन आज सिस्टम नही धन लक्ष्मी से काम होता, ऐसी खबर को चलाने वाले या तो लोकल के यूट्यूब य तो सोशल मीडिया इन्ही से घबड़ाकर यह सारा ड्रामा किया जा रहा है, अगर सरकार है तो बिना बताए किसी एक जनपद का अचानक दौरा करे और वर्क के रजिस्टरों को देखे उसमे कितना घोटाला हुआ है, वहीं खबर इन्हें हिलाकर रखती है जिससे डर रहे है