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महिला एंकर के आरोप सुन अचंभित हूं, ये तो संपादक जी की टीम में भी नहीं है!

माधुरी कलाल-

फिस में साथ काम करने वाले संपादक महोदय जी पर एक महिला एंकर के गंभीर आरोप सुन कर अचंभित हूं… महिला का कहना है की मुझे ड्रिंक ऑफर किया… जबकि महिला एंकर के चैनल से इनका कोई वास्ता नहीं है यानी अलग अलग डिपार्टमेंट… तो फिर ये सब कैसे?

करीब 5 साल वो मेरे इमिडिएट बॉस रह चुके है और मुझे याद नहीं की कभी उन्होंने 9 घंटे की शिफ्ट में सिर्फ 9 ही घंटे काम किया हो , शिफ्ट के बाद भी डेस्क पर रहकर टीम के असाइनमेंट को पूरा करवाना यानी 100 परसेंट workoholic… बाहर छोड़िए कभी ऑफिस कैंटीन में भी किसी और एंकर महिला/पुरुष के साथ तो क्या ,खुद भी बैठ कर चाय पी हो.

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सर, बिहार से है उनकी बोली में ‘ बाबू’ शब्द बहुत कॉमन है जो उनके गुस्से और शाबासी दोनों में सुनने मिलता है इसमें भी कोई जेंडर बायसनेस नहीं .. सभी पर लागू होता हैं.. जो साथ काम कर चुके है वो सब सहमत होंगे …

हां आरोप ये हो सकता था की इनकी टीम में ऐंकर सिर्फ प्रोड्यूसर की पोस्ट पर नहीं होंगे एंकर को वाकई शो लिखना भी होगा… खबर जो असाइनमेंट से आती है उसे प्रोड्यूसर की तरह ट्रीट भी करना होगा .. एक एंकर को खुद अपना VO एडिट करके विडियो एडिटर को देना भी होगा… एंकर मेकअप रूम में बैठ कर बातें न करें 9 घंटे की शिफ्ट में 4 बुलेटिन के बाद सिर्फ कैंटीन में ही या गुप्ता चौक पर जाकर अमरूद खाने की बजाय डेस्क वर्क करें.

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रील बनाकर सिर्फ खुद को प्रचारित करने से बेहतर की आप पढ़ कर स्टूडियो में जाएं ताकि आपके स्क्रीन वर्क बेहतर हो पाएं और अगर ये सख्ती है तो फिर भाई माफ करिए संपादक खुद की टीम को केसे मजबूत करेगा? खेर, ये सब भी टीम पर ही लागू होता है तो इस केस में महिला एंकर संपादक जी की टीम में भी नहीं…

इसलिए अफवाहों का बाजार चलाने वालों को कलम चलाने से पहले थोड़ा दिमाग चलाना चाहिए….

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महिला होने का सम्मान बरकरार रखने के लिए महिला कार्ड खेलना उचित नहीं लगता
Dignity is an emotion in our core..

सौजन्य- एक्स

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