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सुख-दुख

मास्टर स्ट्रोक- कालाधन लाओ, सफेद धन ले जाओ!

सुमित अवस्थी-

दो हज़ार के नोट जमा करने के लिए किसी प्रूफ की ज़रूरत नहीं!

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₹2000 के नोट बंद करने के पीछे कहा गया था कि कालेधन और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिये ये कदम उठाया गया है! उम्मीद थी कि जो लोग बैंक जाकर 2000 का नोट बदलवायेंगे उनकी पहचान होगी ताकि सिस्टम को पता चले कि किन लोगों के पास ये बड़े नोट हैं और उनसे पूछा जा सकता था कि ये बड़े -२ नोट उनके पास कहां से आये? कहीं ये कालाधन तो नहीं? भ्रष्टाचार से कमाया पैसा तो नही?

@IndianExpress की ये रिपोर्ट उल्टा कह रही है! अब #SBI जैसे सबसे बड़े बैंक ने ऐलान कर दिया है कि ₹2000 के नोट बदलवाने के लिये किसी भी तरह की काग़ज़ी औपचारिकता की ज़रूरत नहीं है मतलब ना तो आधार कार्ड चाहिये, ना ही बैंक में कोई स्लिप आदि भरनी है! यानी बैंक कोई रिकॉर्ड नहीं रखेगा!

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तो अगर किसी के पास गलत तरीके से कमाया मोटा काला धन है और लाखों- करोडों में ₹2000 की गड्डियां हैं तो वो बड़ी आसानी से हर रोज दो हजार के 10 नोट तक बदलवा सकता है.. और वो ये काम कई लोगों (अपने अधीनस्थों) से एक साथ एक ही समय में भी करवा सकते हैं!

जब सबसे बड़ा सरकारी बैंक #स्टेटबैंकऑफ_इंडिया ये काम कर रहा है तो मानिये कि बाकी बैंक भी ऐसा ही करने का फैसला करेंगे…

….. तो फिर काले धन पर रोक लगने वाली बात तो गलत साबित हो गई! ये तो लग रहा है कि बैंकों के इस कदम से भ्रष्टाचारियों की मदद हो रही है! यानी पूरी ईमानदारी से बेईमानी का पैसा भी बदलवाया जा सकता है! बैंकों के इस कदम का विरोध होना चाहिये…!!

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श्याम सिंह रावत-

मास्टर स्ट्रोक- कालाधन लाओ, सफेद धन ले जाओ!

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दो हजार रुपए का नोट बंद करने को लेकर दो बड़ी महत्वपूर्ण बातें सामने आई हैं जिनमें से एक है रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्ति कांत दास का वह बयान जो उन्होंने मुंबई में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा और दूसरी खबर आई है भारतीय स्टेट बैंक से।

पहले शक्ति कांत दास की बात। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्ति कांत दास ने 2000 रुपये का नोट चलन से बाहर करने पर कहा कि इस नोट को लाने का मकसद पूरा हो गया है।

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आपको याद होगा कि 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी के समय सरकार ने कहा था कि इससे कालेधन और जाली नोट छापने का कारोबार खत्म हो जाएगा, आतंकवादियों को होने वाली फंडिंग बंद हो जायेगी, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा आदि-आदि।

तो क्या ये सभी लक्ष्य प्राप्त कर लिये गये हैं?

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और क्या अब सरकार पूरी तरह आश्वस्त है कि दो हजार रुपए का नोट बंद करने से वे सारी गतिविधियां फिर से चालू नहीं हो जायेंगी?

भारतीय स्टेट बैंक का कहना है कि दो हजार रुपए का नोट जमा करने या उसके बदले में दूसरे नोट लेने के लिए आधार कार्ड, पेनकार्ड या अन्य किसी भी तरह के पहचान पत्र (आइडी) की जरूरत नहीं है। मतलब यह है कि कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान छिपाकर इन्हें कितनी भी मात्रा में जमा/बदलवा सकता है।

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ऐसा करने से तो देश में दो हजार रुपए के नोट के रूप में जमा सारा काला धन सफेद हो जायेगा।

दरअसल, सरकार का लक्ष्य उसकी घोषणाओं के एकदम उल्टा एक हजार रुपए का नोट बंद कर दो हजार रुपए का नया नोट प्रचलित कर कालेधन के कारोबारियों तथा जाली नोट छापने वालों की मदद करना था, तो अब एक बार फिर उन्हीं लोगों की मदद की जा रही है।

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सरकार बहादुर सचमुच महान और विश्वगुरु हैं!

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