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उत्तर प्रदेश

माया राज के 1410 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले में 39 लोगों पर कसा कानून का फंदा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मायावती सरकार के दौरान लखनऊ और नोएडा में हुए स्मारक घोटाला में संलिप्त पाए गए तत्कालीन आईएएस अफसर राम बोध मौर्य समेत कुल 39 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस चलाने की अनुमति दे दी है। सरकार ने जिन अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की स्वीकृति दी है, उनमें तत्कालीन निदेशक खनिज राम बोध मौर्य, राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन एमडी सीपी सिंह, संयुक्त निदेशक खनिज सुहेल अहमद फारुखी के अलावा 36 अन्य अधिकारी औ इंजीनियर शामिल हैं। ये सभी लोकायुक्त जांच में भी दोषी पाए गए थे। इनमें राम बोध व सीपी सिंह सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

गौरतलब है कि 1410 करोड़ रुपये के स्मारक घोटाले में सतर्कता अधिष्ठान ने इन अफसरों और इंजीनियरों के खिलाफ दो साल पहले केस चलाने की स्वीकृति मांगी थी। अब योगी सरकार की अनुमति मिलने के बाद इन अधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करेगा। इस मामले की शुरुआती जांच लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने की थी। लोकायुक्त ने पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 199 लोगों को जिम्मेदार ठहराया और सभी के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कराकर जांच कराने तथा घोटाले की धनराशि की वसूली करने के साथ ही पूरे मामले की जांच सीबीआई या स्पेशल टास्क फोर्स गठित कर कराने की भी संस्तुति की थी।

जस्टिस एनके मेहरोत्रा ने 20 मई 2013 को अपनी रिपोर्ट तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुख्य सचिव को भेजी थी। लोकायुक्त ने सभी दोषियों के खिलाफ विस्तृत जांच कराने की सिफारिश की थी। लोकायुक्त की रिपोर्ट के बाद सरकार ने शुरुआती जांच ईओडब्ल्यू से कराई थी और फिर मामले को सतर्कता अधिष्ठान के हवाले कर दिया गया।

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लोकायुक्त की रिपोर्ट के अनुसार पत्थरों की बाजार रेट से 34 फीसदी ज्यादा की रकम पर खरीद करने से सरकार को 14.10 अरब रुपये क्षति हुई थी और इसकी भरपाई के लिए क्रिमिनल लॉ एमेडमेंट ऑर्डिनेंस 1944 की धारा 3 के तहत न्यायालय से अनुमति लेकर आरोपियों की संपत्ति कुर्क करके वसूली की सिफारिश की गई थी। आरोपियों में एक विधायक, दो पूर्व विधायक, दो वकील, खनन विभाग के पांच अधिकारी, राजकीय निर्माण निगम के 57 इंजीनियर व 37 लेखाकार, एलडीए के पांच इंजीनियर, पत्थरों की आपूर्ति करने वाली 60 फर्में व 20 कंसोर्टियम प्रमुख और आठ बिचौलिये शामिल थे।

लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में नसीमुद्दीन, बाबू सिंह कुशवाहा, राजकीय निर्माण निगम के तत्कालीन एमडी सीपी सिंह, खनन के तत्कालीन संयुक्त निदेशक सुहेल अहमद फारूकी तथा 15 अन्य इंजीनियरों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कराकर जांच कराने तथा घोटाले की धनराशि की वसूली करने के साथ ही पूरे मामले की जांच सीबीआई या स्पेशल टास्क फोर्स गठित कर कराने की भी संस्तुति की थी।

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रिपोर्ट में लोकायुक्त ने नसीमुद्दीन व बाबू सिंह से कुल धनराशि का 30-30 प्रतिशत, सीपी सिंह से 15 प्रतिशत, एसए फारूकी से पांच प्रतिशत तथा आरएनएन के 15 इंजीनियरों से कुल 15 प्रतिशत धनराशि की वसूली की सिफारिश की थी। यह भी सिफारिश की गई थी कि जांच में आरएनएन के जिन लेखाकारों पर आय से अधिक संपत्ति पाई जाए उनसे शेष हानि का पांच प्रतिशत वसूल किया जाए।

इलाहाबाद के वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.

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