अभिषेक पाराशर-
मस्क जितनी हड़बड़ी में काम करते हैं, उसके फायदे कम नुकसान ज्यादा हैं और विडंबना यह है कि वे अपनी इस कमजोरी को अपनी ताकत बताकर उसका सार्वजनिक महिमामंडन करते हैं.
फार्मा दिग्गज कंपनी एलि लिली ने के नाम पर किसी ने ब्लू टिक लिया और फिर ‘फेक वेरिफाइड अकाउंट’ ( जी हां फेक वेरिफाइड अकाउंट) से यह ट्वीट कर दिया कि इंसुलिन अब फ्री हो गया है. नतीजा कंपनी के स्टॉक में करीब चार फीसदी की गिरावट आई. कंपनी का ऑफिशियल हैंडल ‘@LillyPad’ है और कंपनी ने इस हैंडल से स्पष्टीकरण जारी करते हुए माफी मांगी है.
शेयर में चार फीसदी की गिरावट से कंपनी के बाजार पूंजीकरण में करीब 10 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट आई और यह काम किसी ने ट्विटर को 8 डॉलर देकर कर दिया.
ऐसा ही कुछ लॉकहीड मार्टिन के साथ हुआ और और ‘फेक वेरिफाइड अकाउंट’ ने यह ट्वीट कर डाला कि कंपनी अब सऊदी अरब और इसरालय को हथियारों की बिक्री नहीं करेगी.
2018 में एक फेक वाट्सएप मैसेज की वजह से भारतीय कंपनी इन्फीबीम एवेन्यू का बाजार पूंजीकरण या मार्केट कैप एक झटके में करीब 70 फीसदी तक साफ हो गया था.
एलन मस्क के टेस्ला इंक के शेयर बेचने के बाद टेस्ला के शेयर रखने वाले इस शेयर को डंप कर रहे हैं. उन्हें लग रहा है कि मस्क अब ट्विटर को संभालेंगे और उनके पास टेस्ला को संभालने जितना वक्त नहीं होगा. मस्क ने ट्विटर डील को पूरा करने के लिए भी टेस्ला के शेयर डंप किए हैं. बेचने वाला बेहतर जानता है कि उसे कहां फायदा होगा और वह कहां पैसे बना सकता है.
टेस्ला की होल्डिंग से ट्विटर को फाइनैंस करने के पीछे मस्क के दिमाग में क्या चल रहा है, सिर्फ वहीं जानते हैं. टेस्ला का शेयर इस साल अब तक करीब 52 फीसदी गिर चुका है और इसकी होल्डिंग की मदद से मस्क जिस डील को फाइनैंस कर रहे हैं, वहां बड़े पैमाने पर छंटनी हुई और घाटे में चल रहा प्लेटफॉर्म है. कोविड के समय में टेक कंपनियों ने बेहतर मुनाफे की आस में जमकर भर्तियां की थी और मेटा भी इनमें से एक थी और आज की रिपोर्ट बता रही है कि वहां भी लोगों को कुछ दिनों में पिंक स्लिप मिलने वाला है.
कंपनियां अपने ऑपरेशंस को ऑप्टिमाइज कर रही है और इसके लिए सबसे पहला काम लोगों को हटाना ही होता है. मेटा का वैल्यूएशन ज्यादा कमजोर नजर आ रहा है. इस साल अभी तक मेटा इंक का शेयर करीब 70 फीसदी से अधिक तक ढह चुका है. भारत में भी BYJu’s में यह हो चुका है.
कुल मिलाकर टेक कंपनियों को जिस ग्रोथ की उम्मीद थी, वह उन्हें हासिल होता नहीं दिख रहा है. अमेरिकी बाजार में टेक कंपनियों के लिए एक लोकप्रिय शब्द है, FAANG…..यह फेसबुक (अब मेटा), एप्पल, एमेजॉन, नेटफ्लिक्स और अल्फाबेट के लिए इस्तेमाल होता है और इन स्टॉक्स ने निवेशकों को उनकी उम्मीद से अधिक रिटर्न दिया है. लेकिन 2022 में इनमें से अधिकांश शेयरों में व्यापक करेक्शन हो चुका है.
हालांकि इसके बावजूद इन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण करीब 3 ट्रिलियन डॉलर के आस-पास है और यह कितना बड़ा आकार है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था लगभग इसी साइज की है. कमजोर रिजल्ट और विज्ञापन आय में गिरावट ऐसी स्थिति है, जो इन कंपनियों को डरा रही है और मंदी की आशंका मनोवैज्ञानिक तौर पर निवेशकों को परेशान कर रही है.
ज्ञानेंद्र शुक्ला-
इतिहास खुद को दोहराता है!
कभी तुग़लक़ ने पीतल व ताँबे के सिक्के चलाकर अराजकता फैलाई थी तो इस बार 8 डॉलर वसूल कर अकाउंट वैरीफाईड करने का एलन मस्क का फ़ैसला भी महासनक से कम नहीं रहा, जीसस और अल्लाह तक के ब्लूटिक अकाउंट अवतरित हो गए, ब्लूटिक वैरीफाईड फेक अकाउंटस की बाढ़ आने से अलग क़िस्म की अराजकता पनप गई है…फ़िलहाल इन अकाउंटस को हटाया जा रहा है और रक़म देकर सब्सक्रिप्शन देने के तुग़लक़ी फ़ैसले पर ट्विटर को यूटर्न लेना पड़ा है