Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

संध्या बहसें टीवी चैनलों को फ़ील्ड रिपोर्टिंग से कहीं ज्यादा सस्ती पड़ती हैं

Sheetal P Singh : टीवी के जनरल कर्नल… दूरदराज़ क़स्बों छोटे मंझोले शहरों और बड़े शहरों के भीतर बसे क़स्बों के दर्शक टीवी को बड़ी श्रद्धा से देखते हैं और टी वी पूरी मक्कारी/योजना से उनकी इस अबोधता का शिकार करता है । वह इन अबोध लोगों को सूचना देने / मनोरंजित करने के दौरान तमाम घटिया माल इन खुली आँखों को परोस देता है जो भौतिक रूप में भी है और विचार के रूप में भी और खुली आँखों वाले ये अबोध उसे तालाब की भूखी मछलियों को फेंके गये चारे की तरह निगल जाते हैं!

<p>Sheetal P Singh : टीवी के जनरल कर्नल... दूरदराज़ क़स्बों छोटे मंझोले शहरों और बड़े शहरों के भीतर बसे क़स्बों के दर्शक टीवी को बड़ी श्रद्धा से देखते हैं और टी वी पूरी मक्कारी/योजना से उनकी इस अबोधता का शिकार करता है । वह इन अबोध लोगों को सूचना देने / मनोरंजित करने के दौरान तमाम घटिया माल इन खुली आँखों को परोस देता है जो भौतिक रूप में भी है और विचार के रूप में भी और खुली आँखों वाले ये अबोध उसे तालाब की भूखी मछलियों को फेंके गये चारे की तरह निगल जाते हैं!</p>

Sheetal P Singh : टीवी के जनरल कर्नल… दूरदराज़ क़स्बों छोटे मंझोले शहरों और बड़े शहरों के भीतर बसे क़स्बों के दर्शक टीवी को बड़ी श्रद्धा से देखते हैं और टी वी पूरी मक्कारी/योजना से उनकी इस अबोधता का शिकार करता है । वह इन अबोध लोगों को सूचना देने / मनोरंजित करने के दौरान तमाम घटिया माल इन खुली आँखों को परोस देता है जो भौतिक रूप में भी है और विचार के रूप में भी और खुली आँखों वाले ये अबोध उसे तालाब की भूखी मछलियों को फेंके गये चारे की तरह निगल जाते हैं!

आजकल न्यूज़ चैनलों पर रिटायर्ड फौजी अफ़सरों का बाज़ार गर्म है। कम लोग जानते होंगे कि टी वी चैनल अपने स्टूडियो में बुलाये मेहमानों को आने के पैसे देते हैं! इसी वजह से तमाम पाकिसतानी फौजी जनरल कर्नल भी बेइज़्ज़त होने के लिये वहाँ बैठे मिलते हैं। हमारे रिटायर्ड जनरलों का तो कहना ही क्या? बीजेपी जैसी विकराल पार्टियाँ अपनी लाइन के जनरलों को टीवी बहसों में विशेषज्ञ के रूप में स्थापित करने का योजनाबद्ध अभियान चलाती हैं। नतीजा यह है कि तमाम जनरल एक सी भाषा बोलते हैं जबकि सोशल मीडिया पर हम एक से बढ़कर एक क़ाबिल रिटायर्ड आफिसरों का लिखा पढ़ते हैं जो कभी टी वी डिबेट में नहीं होते!

Advertisement. Scroll to continue reading.

टीवी पर परोसे गये इन जनरलों के रूप रंग हाव भाव से बीजेपी को भले फ़ायदा हो सेना की छवि को ज़बरदस्त नुक़सान हो रहा है। ज़्यादातर स्तरहीन हैं, चीख़ते चिल्लाते हैं, बेडौल शरीरों के स्वामी हैं और सुब्रह्मण्यम स्वामी के चेले लगते हैं! ये सब सरकसों में पाये जाने वाले मरघिल्ले शेरों की याद दिलाते हैं! संध्या बहसें टीवी चैनलों को फ़ील्ड रिपोर्टिंग से कहीं ज्यादा सस्ती पड़ती हैं। इसलिये सारे चैनलों ने इसे अपना लिया है। राज्यों के चैनल तो मेहमानों को कोई पैसा नहीं देते। उन्हे तो काफ़ी सस्ता पड़ता है! खैर जब तक पाकिसतान है कश्मीर सड़क पर है तब तक जनरलों कर्नलों की बनरघुडकियों के करतब देखते रहिये….

वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह की एफबी वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement