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उत्तर प्रदेश

यूपी से सपा का साफ रहना पिछड़े वर्ग के हित में है! वजह बता रहे वरिष्ठ पत्रकार सत्येंद्र

Satyendra PS : यूपी से सपा का सफाया जारी रहना पिछड़े वर्ग के हित में है। पिछड़े वर्ग की एकता के लिए जरूरी है कि अहीरों में 30 साल के सपा के शासन ने जो ठकुरैती भर दी है वो निकल जाए, वो अपने को पिछड़ा वर्ग का समझने लगें। मुलायम सिंह ने जब संघर्ष किया तो उसमें बेनी प्रसाद, आजम खां, मोहन सिंह, जनेश्वर मिश्र जैसे लोग उनके कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे। धीरे धीरे करके एक एक नेता को ठिकाने लगाया गया। उसके बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष और ब्लाक अध्यक्ष तक यादव यादव हो गया। इतना ही नहीं, हेलीकाप्टर, जहाज, कार से लेकर साइकिल तक यादव हो गया।

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Satyendra PS : यूपी से सपा का सफाया जारी रहना पिछड़े वर्ग के हित में है। पिछड़े वर्ग की एकता के लिए जरूरी है कि अहीरों में 30 साल के सपा के शासन ने जो ठकुरैती भर दी है वो निकल जाए, वो अपने को पिछड़ा वर्ग का समझने लगें। मुलायम सिंह ने जब संघर्ष किया तो उसमें बेनी प्रसाद, आजम खां, मोहन सिंह, जनेश्वर मिश्र जैसे लोग उनके कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे। धीरे धीरे करके एक एक नेता को ठिकाने लगाया गया। उसके बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष और ब्लाक अध्यक्ष तक यादव यादव हो गया। इतना ही नहीं, हेलीकाप्टर, जहाज, कार से लेकर साइकिल तक यादव हो गया।

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ठहरिए जरा, इतना ही नहीं हुआ। 2 साल पहले मेरे एक वरिष्ठ मित्र ने पूछा कि सपा क्यो हारेगी ? तो उन्हें मैंने कहा था कि हर थाना यादव हो गया है और किसी यादव के खिलाफ एफ आई आर नहीं लिखा जाता। यह मैंने Akhilesh Yadav के ट्विटर हैंडल पर भी कहा था कि आपके समर्थन में प्रतिक्रिया देने वाले सिर्फ यादव क्यो हैं, पता नहीं वह फेसबुक ट्विटर पढ़ते हैं या नहीं, लेकिन इस उम्मीद में लिख दिया था कि शायद किला बचा लें। चलिए यह भी ठीक। लेकिन गांव मोहल्ले तक के दूधिये भी यदुवंशी क्षत्रिय हो गए हैं और वो अन्य पिछड़े वर्ग, दलितों पर हमले बोल रहे हैं ( क्षत्रिय ब्राह्मण के समानांतर खड़े होने की औकात तो हुई नहीं है)। ऐसे में यह जरूरी है कि सपा सत्ता से बाहर रहकर संघर्ष करे और अपने पतन की समीक्षा करे। 

यह एक विचार है, जिसके पक्ष या विपक्ष में प्रतिक्रिया दी जा सकती है।

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बिजनेस स्टैंडर्ड दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार सत्येंद्र पी सिंह की उपरोक्त एफबी पोस्ट पर आए ढेर सारे कमेंट्स में से कुछ प्रमुख यूं हैं…

CB Singh सपा ने नव सामंतवाद का नया इतिहास लिखा। हमारा समर्थन इसलिए था कि जो आगे बढ़ रहें है उनका नेतृत्व स्वीकार कर उनका साथ देना चाहिए क्योंकि सामंतवाद के खिलाफ लड़ने में ये कारगर होगा। लेकिन सत्ता मिलते ही नवसामंतवाद का नया इतिहास लिखना शुरु कर दिये।

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Satyendra PS यादव सबसे मजबूत कड़ी है ओबीसी की जंजीर का। वो ठाकुर हो गया और उसने खुद को पिछड़े वर्ग से अलग कर लिया।

Piyush Ranjan Yadav अभी सैफई राजवंश के कुँवर साहब के बोल सुनिए वे 2022 में सत्ता पाने का ही दावा ठोंक रहे है और वो भी तब जब सिवाय यादवों के पिछड़ों में कोई जनाधार नहीं बचा रह गया है। उन कामों के उदाहरण देकर बो और उनके चपरकनाती अपनी पीठ ठोंकते है जिन्हें जनता चुनाव में सिरे से खारिज कर चुकी है। हार की हताशा बर्दाश्त नहीं हो रहीं है।

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Kanwal Kishor Prajapati आपके विचार से अक्षरसः सहमत।

Dharmendra Rawat Very well explained sir

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Vikas Yadav गैर यादवों की बोलती बन्द हो गयी, अब क्यों नही सवाल कर रहे हैं।

Satyendra PS गैर यादव ओबीसी bjp के साथ खुश हैं। उनकी बोलती खुली हुई है। सपा शासन में बोलती बंद थी। कम से कम सपा के रणनीतिकारों को यह समझना चाहिए।

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Piyush Ranjan Yadav पिछड़ों और दलित में क्रमशः यादव व जाटव को छोड़कर शेष वर्ग क्रमशः स पा और ब स पा को 2014 में ही छोड़ गया था। 2017 के यूपी विधानसभा के चुनावों ने उसी trend को जारी रखा।

Satyendra PS अभी भी जारी है वो ट्रेंड।

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डॉ सुनील पटेल शास्त्री पिछडो को चाहे जितने सूरज दिखाओ, उन्हें अमावस ही पसंद आती है।

Vikas Yadav हारेगी या जीतेगी वो बात अलग है। सचाई आपको भी अच्छी तरह से पता है।

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Satyendra PS सच्चाई तो यही है कि ओबीसी बीजेपी के साथ फ़िलहाल खुश हैं।

Vikas Yadav सुनील जी हर व्यक्ति एक जैसे नहीं हैं। कौन खुद को क्या समझता है उसका व्यक्तिगत मामला है। क्या हिन्दू कुर्मी समाज नहीं बना क्या चुनाव में।

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डॉ सुनील पटेल शास्त्री पहली बात जाति व्यक्तिगत मामला नही है।दूसरी बात मैने सब पिछडो पर टिप्पणी की। कुछ सच्चाई आप भी जानते हैं, पर स्वीकार नही कर पा रहे हैं।

Satyendra PS कुर्मी तो लम्बे समय से सपा से खार खाए हैं। उसके अलावा भी जो ओबीसी हैं, सपा से कटे हुए हैं।

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Vikas Yadav कटना भी जरूरी है।।सब हिस्सा यादव खा जा रहे है और दलित पिछडो का उत्पीड़न कर तो कटेगा ही ना।।

Satyendra PS लेकिन 10 साल बाद बड़े दुख में रहेंगे। तब तक सपा और ओबीसी के नेतृत्वकर्ता यादव की भी अच्छे से तबीयत हरी हो जाएगी। फिर शायद पिछड़ा वर्ग बने 1989 और 1991 वाला।

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Vikas Yadav अब कौन सा समय आएगा वो तो वक्त ही बताएगा फिलहाल रामराज्य मजा लीजिये।।

Piyush Ranjan Yadav एकदम सहमत। यादवी वर्चस्व से पिछड़ों को इकठ्ठा होने की मुहीम को धक्का लगा और वह सब बिखर गए। यादवों में भी कवरियाँ घोषी बाद दवा कर चलाया गया। यादव भी जिंदाबाद करने के लिए था सत्ता कुर्सी सब सैफई राजवंश के पास या उनके पालतुओं के पास बनी रही जो सवाल न पूछ सकें।

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Vikas Yadav 1989 और 1991 का पिछड़ा वर्ग का सपना छोड़ दीजिये।।जो है उसी को बचा ले वही बहुत है।।

Satyendra PS Piyush Ranjan Yadav ji हमको तो कांग्रेस का चांस लग रहा है कि वो अगर बढ़िया से ओबीसी खेल गई तो अच्छा रिकवर करेगी। राजस्थान मध्य प्रदेश में तो गुज्जर कुर्मी खेल ही रही है। यूपी में भी बाबा लोग योगी जी से भरे बैठे हैं, ओबीसी को भी अगर ठीक रणनीति बनाई तो खींच लेगी।

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Piyush Ranjan Yadav सर गुजरात के चुनाव परिणाम के बाद कुछ कह पाना सम्भव हो पायेगा।

Satyendra PS हां, गुजरात अहम है। उसका असर राजस्थान एम पी पर भी पड़ सकता है। यूपी में तो अभी जमीन में धंसे हैं।

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Surendra Pratap Singh कोई भी राजनीतिक दल ऐसा नहीं है जिसका बुरा दौर न आया हो आज अगर सपा और बसपा जैसे दल बुरे दौर में दिख रहे हैं तो उन्हें इसे आत्म चिंतन के लिए प्रयोग में लेना चाहिए | इन दलों में जरूर ऐसा कुछ बुरा हो रहा है जिसे रोका जाना अत्यंत आवश्यक है |

Pradeep Yadav बहुत सटीक…इन्हें sc bc और अल्पसंख्यक की लड़ाई लड़नी थी या खुद क्षत्रिय बनने चल पड़े

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Dhananjai Yadav Gair yadav..ke naam par ..sarkar bani….aur bante hi..aukat bata di bjp..ne sabki…..ab koi nahi pucha ki thane me kitne ..thakur ..jile me kitne ..thakur ..sp dm hai……puchne ki himmat hai.kya….mansik ghulamo ki…

Satyendra PS हाँ। यह वैसे ओपन सेक्रेट है। यूपी के चुनाव के बारे में मेरा अंदाजा यही था कि सपा 2 नम्बर पर रहेगी बसपा और बीजेपी में मुकाबला है कि कौन पहले और कौन तीसरे पर रहेगा। ओबीसी वोट छोड़कर मायवती मुसलमान वोट की ओर भागीं और गच्चा खा गईं। ऐसा कि दलित भी उनके हाथ से निकल गया।

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Raghubir Singh Apka vishlezhan sabi hai yadav kaise kdhstriya ho jayrnge jab vizhvamitta kdhsttiiya she Brahman nAhin ho paya

Satyendra PS अभी तो 5 साल यही जश्न चलेगा कि अहीर साफ हुए। उसके बाद अहीर भी औकात में आएंगे कि वो ओबीसी हैं।
फिर सत्ता में आ सकते हैं।

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Dhananjai Yadav Ahir satta me rahe ..na rahe..lekin koi saaf nahi kar..payega…Satyendra PS ..sir..

Deepak Pandey सपा के लिए मुझे व्यक्तिगत तौर पर अखिलेश की बजाय शिवपाल ज्यादा उपयुक्त लगते हैं।

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Alok Mall समसामायिक विश्लेषण

Satyendra PS यह गफलत निकलनी जरूरी है धनन्जय भाई, तभी लोगों को औकात समझ मै आएगा कि 30 साल में मुलायम ने क्या दिया है। 30 साल पहले जो अंडा थे और अब राष्ट्रवादी बच्चा बनकर उभरे हैं उन्हें दुनिया देखना जरूरी है।

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Dhananjai Yadav Aapki baat bahut hud tak sahi..hai…tabhi bhugat bhi ..rahe..hai…..sapa ko…agar ..badhana hai..satta me aana hai…to..obc ko apne sath ..jodna hi hoga……warna result samne hai….

Satyendra PS Deepak Pandey यही तो प्राब्लम है। मुलायम तक ठीक था। जैसे जैसे सपा शिवपाल, रामगोपाल, अखिलेश , धर्मेंद्र, और पता नही कौन कौन होती गई, उसकी दिक्कत बढ़ गई। मुलायम के बाद शिवपाल ही क्यों ? आजम खां या बेनी प्रसाद या गायत्री प्रजापति क्यो नहीं?

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Pradeep Yadav नेता सपा को यादवमय होने से बचाये रहे….समस्त obc जातियां 2012 में नेता के आश्वासन पर साथ आने को तैयार हुईं….नेताजी के किनारे लगते ही सपा को यादवमय कर दिया गया और इसका प्रोपगेंडा वास्तविकता से भी अधिक हुआ लिहाजा मंडल राजनीति पूरे देश में चारो खाने चित हुयी

Deepak Pandey बहुत सही सवाल किया है आपने। अन्य परिवार के लोगों और मौजूदा नामों को छोड़ दूं तो शिवपाल उनमें सबसे बेहतर हैं। उन्हें केवल परिवार की वजह से तौला नहीं जा सकता। ग्राउंड पर उनकी दूसरो की अपेक्षा बेहतर पकड़ है।

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Veer Bhadra Pratap Singh मुझे ऐसा लगता हैं कि यादव हमेशा गलत के खिलाफ खडा़ हो जाता है इसलिए ज्यादा बदनाम हैं….

Satyendra PS Pradeep Yadav भाई विपक्ष तो लाभ उठाने के लिए बैठा ही रहता है। खासकर ऐसी स्थिति में, जब मानसिक, राजनीतिक, बौद्धिक रूप से कमजोर वर्ग वोटर हो। कम से कम नेतृत्व के लेवल पर अगर ओबीसी की एकता होती तो नीचे भी कुछ असर पड़ता।…See more

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Pradeep Yadav ठीक कह रहे हैं भैया

Kamal Sharma यादव कुल की ठकुराई निकलने पर ही अक्‍ल आएगी क्‍योंकि इस समय अक्‍ल नहीं भैंस बड़ी है इनके लिए।

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Satyendra PS भैंस तो हमेशा बड़ी रहेगी। चाहे जो सत्ता में आए

Sunil Rawat ठीक कह रहे हैं सर सपा और बसपा की सोच हो गई थी कि बाकी सब कहां जायेगा ।

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Nikesh Singh वो भी समाजवादी पार्टी करने लगे थे जिन्हें समाजवाद तक का मतलब मालूम नहीं

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