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उत्तर प्रदेश

सावधान रहें इस फर्जी कंपनी से… किराये के तीन कमरे में चल रही कंपनी में 1555 लोगों को रोजगार देने की कवायद

इंदिरानगर, लखनऊ में तीन कमरे किराये पर ले कर 1555  व्यक्तियों को रोजगार देने का दावा करने वाली एक कंपनी का मामला सामने आया है. प्रा कृषि विपणन विकास लिमिटेड नाम की इस कंपनी ने जिला विपणन अधिकारी, खंड विपणन अधिकारी, केंद्र प्रभारी, कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे पदनाम बना कर 4800 से 20900 रुपये वेतन के कुल 1555 पदों की भर्ती का विज्ञापन दिया है. विज्ञापन को यथासंभव सरकारी स्वरुप दिया गया है जिसमें पिछड़ी जाति, एससी/एसटी के लिए आरक्षण, आयु में छूट आदि की बात है.

<p>इंदिरानगर, लखनऊ में तीन कमरे किराये पर ले कर 1555  व्यक्तियों को रोजगार देने का दावा करने वाली एक कंपनी का मामला सामने आया है. प्रा कृषि विपणन विकास लिमिटेड नाम की इस कंपनी ने जिला विपणन अधिकारी, खंड विपणन अधिकारी, केंद्र प्रभारी, कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे पदनाम बना कर 4800 से 20900 रुपये वेतन के कुल 1555 पदों की भर्ती का विज्ञापन दिया है. विज्ञापन को यथासंभव सरकारी स्वरुप दिया गया है जिसमें पिछड़ी जाति, एससी/एसटी के लिए आरक्षण, आयु में छूट आदि की बात है.</p>

इंदिरानगर, लखनऊ में तीन कमरे किराये पर ले कर 1555  व्यक्तियों को रोजगार देने का दावा करने वाली एक कंपनी का मामला सामने आया है. प्रा कृषि विपणन विकास लिमिटेड नाम की इस कंपनी ने जिला विपणन अधिकारी, खंड विपणन अधिकारी, केंद्र प्रभारी, कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे पदनाम बना कर 4800 से 20900 रुपये वेतन के कुल 1555 पदों की भर्ती का विज्ञापन दिया है. विज्ञापन को यथासंभव सरकारी स्वरुप दिया गया है जिसमें पिछड़ी जाति, एससी/एसटी के लिए आरक्षण, आयु में छूट आदि की बात है.

नौकरी के लिए आवेदन शुल्क 550 और एससी, एसटी के लिए 400 रुपये रखा गया है. इस बारे में कुछ लोगों द्वारा शंका व्यक्त किये जाने पर आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने अपने स्तर से जांच की तो पाया कि कंपनी 22 अगस्त 2014 को ही अस्तित्व में आई. इस कंपनी का पेड-अप और औथोराइज़ड कैपिटल मात्र पांच लाख रुपये है. कंपनी के वेबसाइट पर ना तो कंपनी के निदेशकों का उल्लेख है और ना ही अन्य बुनियादी तथ्यों की जानकारी. कंपनी कार्यालय किराये के मकान में है जिसमें मात्र चार-पांच कर्मचारी हैं. कार्यालय भी मात्र नाममात्र का है.   इन बातों को अत्यंत संदिग्ध मानते हुए श्री ठाकुर ने डीएम और एसएसपी लखनऊ से इस कंपनी के आतंरिक तथ्यों की पूरी जानकारी करने और इस पर कड़ी निगाह रखे जाने हेतु पत्र लिखा है ताकि भविष्य में युवा बेरोजगारों से आवेदन शुल्क के पैसे ले कर भागे जाने का मामला एक बार फिर सामने नहीं आये. कम्पनी का नंबर 0522-4006599 है और इसके पीआरओ रामानुज मौर्या, का फोन नंबर 073982-07935 है.

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सेवा में,
जिलाधिकारी,
जनपद लखनऊ

विषय- प्रा कृषि विपणन विकास लिमिटेड की अत्यंत संदिग्ध गतिविधियों पर सतर्क दृष्टि रखे जाने विषयक

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महोदय,

मैं आपके समक्ष एक प्रा कृषि विपणन विकास लिमिटेड, प्रधान/रजिस्टर्ड कार्यालय बी 1165,  इंदिरा नगर, लखनऊ- 226010 दूरभाष 0522-4006599 वेबसाइट www.kvvl.org नामक एक प्राइवेट कंपनी से जुड़ा प्रकरण प्रस्तुत कर रहा हूँ जो कतिपय सूत्रों द्वारा मेरे संज्ञान में लाया गया कि यह कंपनी हज़ारों लोगों को अच्छी-खासी नौकरी दे रही है जो प्रथमद्रष्टया अत्यंत रहस्यमय लग रहा है.

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मैंने इस कंपनी के विषय में अपने स्तर से अनुसन्धान किया तो पाया कि इस कंपनी ने दिनांक 26/09/2014 को अपना एक आतंरिक आदेश निर्गत किया था जिसमे जिला विपणन अधिकारी वेतन 15600-20900 के 80 पद, खंड विपणन अधिकारी वेतन 11500-15840 के 350 पद, सहायक खंड विपणन अधिकारी वेतन 5800-844 के 750 पद, केंद्र प्रभारी वेतन 4800-7200 के 350 पद तथा कंप्यूटर ऑपरेटर वेतन 4800-7200 के 25 पद अर्थात अच्छी-खासी सैलरी के कुल 1555 पदों के लिए विज्ञापन दिया है. इनमे से न्यूनतम वेतन रुपये 4800 तथा अधिकतम रुपये 15600 का बताया गया है. इस आतंरिक आदेश के अनुसार सामान्य और पिछड़ी जाति के लिए आवेदन शुल्क रुपये 550 और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आवेदन शुल्क 400 रुपये बताया गया है. यह आवेदन शुल्क PRA KRISHI VIPNAN VIKASH LIMITED, Lucknow को देय है. पुनः दिनांक 28/09/2014 को इस संवंध में समाचार पत्र में विज्ञापन निकाला गया जिसमे आवेदन की अंतिम तिथि 10/11/2014 को 05.00  बजे राखी गयी है.

इस कंपनी के वेबसाइट के About Us  और Services में बहुत बड़ी-बड़ी बातें लिखी हुई हैं. कैरियर पेज पर तमाम आतंरिक नियम बताये गए हैं जिसमे पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण से ले कर जाति प्रमाणपत्र के तरीके, प्रोबेशन, पोस्टिंग का समय, यावु में छूट, न्यूनतम अर्हता, परीक्षा का तरीका, परीक्षा केंद्र, परीक्षा में गलत तरीके अख्तियार करने पर दंड आदि शामिल हैं.

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लेकिन इस पूरे वेबसाइट पर ना तो कंपनी के निदेशकों का उल्लेख है और ना ही कंपनी के अन्य बुनियादी तथ्यों के बारे में जानकारी. यानी कुल मिला कर केवल गैर-जरुरी बातें ही इसमें दिखती हैं, कंपनी से जुडी कोई भी बुनियादी बात पूरे वेबसाइट से गायब हैं. जब मैंने वेबसाइट की यह स्थिति देखी तो मैं स्वयं इंदिरा नगर स्थित इस कंपनी के कार्यालय में गया. यह कार्यालय उपरोक्त पते पर श्री एस पी आर्या के मकान की दूसरी मंजिल पर है. वहां मैंने कई सारे युवकों को नौकरी की तलाश में इंतज़ार करते देखा. मैंने कई सारे लोगों द्वारा भेजे गए आवेदन पत्र भी देखे. यानी कुल मिला कर बड़ी अच्छी संख्या में लोग कूरियर द्वारा अथवा स्वयं आ कर आवेदन करते हुए दिखे.

मैं अपना नाम बदल कर वहां कुछ लोगों से मिला जिसमे मुख्य रूप से श्री रामानुज मौर्या, पीआरओ (फोन 073982-07935) और श्री प्रणव विश्वकर्मा (094156-09413) थे. इन लोगों को देख कर इनकी बात सुन कर मुझे साफ़ लग रहा था कि इन्हें ना तो कंपनी या उसके प्रस्तावित काम की ख़ास जानकारी है और ना ही ये किसी प्रकार के जिम्मेदार आदमी लग रहे थे. ये बिलकुल सामान्य किस्म के नए बेरोजगार नवयुवक लग रहे थे जिन्हें किसी ने नयी-नयी नौकरी दे दी हो. इस पते पर, जो कंपनी का प्रधान कार्यालय कहा जा रहा है, किसी भी प्रकार की ऐसी स्थिति नहीं दिख रही थी जिसमे कोई कंपनी 1555 लोगों को अच्छी सैलरी पर नौकरी देने वाली हो. मात्र दो से तीन कमरों को किराए पर ले कर चल रही इस कंपनी में बाहर रिसेप्शन पर एक नयी लड़की और उसके बगल में स्टूल पर बैठा एक आदमी और दुसरे कमरे में बैठे श्री मौर्या और श्री विश्वकर्मा के अलावा और कोई नहीं दिखे. ना तो कोई कागज़ दिखे, ना कोई फाइल, ना कोई रजिस्टर, ना कोई आलमारी.

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मैंने जब इन दोनों से कंपनी के बारे में पूछा तो ये कत्तई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके. इन्होंने यह भी नहीं बताया कि इस कंपनी के निदेशक कौन हैं. कहा कि वे निदेशक का नाम नहीं जानते हैं जबकि बाद में अपने प्रयासों से मुझे ज्ञात हुआ कि इनमे श्री प्रणव कंपनी के सिग्नेटरी हैं और श्री रामानुज भी इसके निदेशक हैं, जबकि मुझे इन लोगों ने कह दिया वे नहीं जानते कि कंपनी के निदेशक कौन हैं. ये निदेशक के नाम सहित हर प्रश्न का कुछ गोल-मोल उत्तर देते रहे. मुझे कहा कि ये एमआरपी रेट पर धान की खरीद करेंगे और उसे चावल में बदल कर बड़ी-बड़ी मंडियों में बेचेंगे. वे चावल, सरसों, गेहूं कलेक्ट पर उसे सप्प्लाई करेंगे. उन्होंने बताया कि उनका काम बलरामपुर के गैंडास बुजुर्ग (कृष्णा देव 099184-60248), बस्ती के रामनगर (सत्यनारायण 096707-89983), सोनभद्र के घोरावल (कमलेश 091989-21145), चंदौली के कियामताबाद  (अतीक अहमद 089240-50571) गोंडा के बभनजोत (संतोष 099189-70438) में शुरू भी हो गया है.

मैंने इस कंपनी का प्रोफाइल कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के वेबसाइट पर ज्ञात किया तो इसका CIN नंबर U01403UP2014PLC065627, कंपनी नाम- PRA KRISHI VIPRAN VIKASH LIMITED रजिस्ट्रेशन नंबर 065627 है. इस कंपनी का Authorised Capital(in Rs.) तथा Paid up capital(in Rs.) मात्र पांच लाख रुपये हैं. इस कंपनी के सिग्नटरी निम्नवत हैं- 

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SNo
   

Director Name
   

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DIN
   

Address
   

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Designation
   

Date Of Appointment
   

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Whether Accused
   
   
1
   

MAHENDRA KUMAR KAUSHAL
   

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06427658
   

RATHAINA, BHAWANIGANJ, SIDDHARTHNAGAR, 272195, Uttar Pradesh, INDIA
   

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Director
   

22/08/2014
   
   
2
   

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MANISH KUMAR PANDEY
   

06946469
   

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863 Ka,SHREEPALPUR, VALTARAGANJ, BASTI, 272182, Uttar Pradesh, INDIA
   

Director
   

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22/08/2014
   
   
3
   

PRANAV VISHWAKARMA KUMAR
   

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06946504
   

391, AANTA (AN0), COLONELGANJ, GONDA, 271504, Uttar Pradesh, INDIA
   

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Director
   

22/08/2014
   
कंपनी दिनांक 22/08/2014 को अस्तित्व में आई है. उपरोक्त तथ्यों से लगभग स्पष्ट है कि एक इतनी नयी कंपनी जिसके पास अपना कोई भी एसेट नहीं हो, जिसका कोई अपना स्वयं का भवन नहीं हो, जिसके पास कोई वेयरहाउस नहीं हो, जिसके पास कोई ढंग का कार्यालय नहीं हो, जिसके पास मात्र चार-पांच कर्मचारी हों, जिसका Authorised Capital(in Rs.) तथा Paid up capital(in Rs.) मात्र पांच लाख रुपये हो, जो दो माह पुरानी हो, वह कैसे और किस प्रकार डेढ़ हजार से अधिक लोगों को अच्छा-ख़ासा रोजगार दे सकती है? जाहिर है कि ये स्थितियां किसी भी व्यक्ति के मन में बहुत गहरी आशंका देने को पर्याप्त हैं.

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यह सही है कि अभी तक कानूनी रूप से इस कंपनी ने संभवतः कोई अपराध नहीं किया है क्योंकि इन्होंने मात्र सरकारी कंपनी से मिलता-जुलता नाम रखना, कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय का नाम इस प्रकार प्रयोग करना जिससे भ्रम हो जाए, बार-बार जातिगत आरक्षण की बात करना, अलग-अलग केन्द्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकार और उसके प्राधिकारियों का उल्लेख करना, अपने स्वरुप को यथासंभव किसी सरकारी विज्ञापन की तरह दिखाने का प्रयास करना, अपने सभी पदों और उनके वेतनमान आदि को पूरी तरह से सरकारी ढंग का दिखाना, अपने विज्ञापित पदों को भी सरकारी नाम की तरह प्रस्तुत करने के अलावा संभवतः अभी तक कोई वास्तविक अपराध नहीं किया है. पर इसके विपरीत यह भी सभी है कि जिस प्रकार की बेरोजगारी हमारे देश में है, जिस प्रकार के रोजगार देने के नाम पर अलग-अलग किस्म के धंधे हमारे यहाँ आये-दिन देखने और सुनने को मिलते हैं, जिस प्रकार के नए-नए ठगी के तरीके हमारे यहाँ लोग खोजते रहते हैं और इसमें तमाम लोग फंसते रहते हैं उससे इस कथित कंपनी के वर्तमान स्वरुप, उसकी वर्तमान हैसियत और उसके कथित डेढ़ हज़ार वैकेंसी के लिए आवेदन और उसके लिए पांच सौ के आस-पास शुल्क लिया जाना मुझे व्यक्तिगत रूप से यह प्रबल आशंका देता है कि प्रकरण में संदेह की पूरी गुंजाइश है. मुझे इस बात की प्रबल आशंका हो रही है कि आज नहीं तो कल इसमें भी शुल्क ले कर गायब हो जाने जैसी कोई बात हो सकती है.

मैंने अपने सूत्रों से इस कंपनी के तीन निदेशकों के निवास स्थान से जानकारी हासिल की तो श्री महेंद्र कौशल पुत्र श्री गंगाराम कौशल (मोबाइल 098395-63966) का फोन नंबर 094552-80858 ज्ञात हुआ. श्री मनीष पाण्डेय का पता वाल्टरगंज के अपने बताये स्थान पर नहीं मिला. इसी प्रकार श्री प्रणव का पता भी उनके बताये स्थान ग्राम आटा, थाना परसपुर में ज्ञात नहीं हो सका.

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चूँकि ऐसे मामलों में ज्यादातर गरीब और बेरोजगार लोग ही फंसते हैं, अतः व्यापक जनहित में उपरोक्त सभी तथ्य आपके संज्ञान में लाते हुए मैं आपसे यह निवेदन करता हूँ कि पूर्व में इस प्रकार के तमाम हुए हादसों और ठगी की घटनाओं के दृष्टिगत लखनऊ प्रशासन के समस्त सम्बंधित अधिकारियों को इस कंपनी की आतंरिक स्थिति, आतंरिक व्यवस्था और सत्यपरक तथ्यों की जानकारी प्राप्त करने और इस कंपनी पर अत्यंत सतर्क दृष्टि रखने के आदेश देने की कृपा करें ताकि भविष्य में किसी प्रकार की ठगी की घटना की पुनरावृत्ति ना हो जाये.

अमिताभ ठाकुर
5/426, विराम खंड,
गोमती नगर, लखनऊ
94155-34526

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पत्र संख्या- AT/Complaint/13/14
भवदीय,
दिनांक-29/10/2014

प्रतिलिपि- एसएसपी लखनऊ को कृपया आवश्यक कार्यवाही हेतु

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0 Comments

  1. शमीम इकबाल

    December 25, 2014 at 11:38 am

    ऐसे धंधेबाजबहुत है 4

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