Prashant Tandon : बढ़िया धुलाई के बाद प्रेस भी – पूरा काम किया आज राहुल गांधी ने… राहुल गांधी ने मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर बेहतरीन भाषण दिया. राहुल ने आज वही बोला जो लोग सुनना चाहते थे. देश की तमाम समस्याओं, घटनाओं और सरकार की विफलताओं पर सरकार को जवाबदेह ठहराया और मोदी और अमित शाह को बड़ी होशियारी से बाकी बीजेपी से अलग खाने में भी डाल दिया. भाषण के बाद मोदी की सीट पर जाकर उन्हे गले लगा कर एक स्वस्थ्य संसदीय परंपरा भी निभाई.
सबसे अहम बात उनके पूरे भाषण की रही कि जियो के इश्तिहार के बहाने मुकेश अंबानी और राफेल डील के बहाने अनिल अंबानी – दोनों भाइयों को संसद में घसीटा. संसद में अंबानी पर इतना खुला हमला किसी राजनेता ने पहले नहीं किया और इन दोनों व्यापारी बंधुओं को इनकी जगह भी दिखा दी.
मुकेश अंबानी अब ये प्रचार नहीं कर पाएगा कि उसके एक जेब में बीजेपी और दूसरी में कांग्रेस हैं. राहुल गांधी ने आज संसद में ये बता दिया कि अंबानी की दोनों जेबों में अब सिर्फ नरेंद्र मोदी हैं। संसद पर अंबानी पर हमला बोलते हुये राहुल गांधी ने कुछ बाते तय भी की होंगी.
1. अंबानी का मीडिया के एक बड़े हिस्से में कब्जा है और मीडिया पहले से ही कांग्रेस और समूचे विपक्ष के खिलाफ है. राहुल गांधी ने ये ज़रूर तय किया होगा कि अंबानी के मीडिया की परवाह नहीं करनी है.
2. कांग्रेस के पास फंड की कमी है. ज़ाहिर है इस हमले के बाद अंबानी बंधु मोदी पर और ज़्यादा कृपा करेंगे. राहुल गांधी ने ये तय किया होगा कि अंबानी के चंदे की ज़रूरत नहीं है.
3. राफेल डील को लेकर अनिल अंबानी पर राहुल गांधी का हमला तीखा था. उन्होने बैंकों पर अंबानी के कर्ज़ और हजारों करोड़ की देनदारी और जहाज बनाने का कोई तजुर्बा न होने की बात भी उठाई. संसद में ये बोलने पहले उन्होने ये तय कर लिया होगा कि सरकार आई तो राफेल का ठेका अनिल अंबानी से वापस लेकर HAL को देना है.
4. अंबानी भाइयों के साथ साथ उन्होंने मोदी पर सीधा आरोप लगाया कि वो 10-12 उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए काम करते है. अडानी, टाटा समेत कई बड़े उद्योगपति पहले से ही मोदी पर दांव लगा चुके हैं. राहुल गांधी ने ये ज़रूर तय किया होगा कि इस सीडीकेट से कैसे निपटना है और अगर सरकार आती है तो उसकी आर्थिक नीतियाँ क्या होंगी और उद्योगपतियों के इस सिंडीकेट को भविष्य की सत्ता के गलियारों से कितनी दूर रखना है.
राहुल गांधी सिर्फ कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं हैं बल्कि गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी के नेता भी हैं और अगला चुनाव में उनकी भूमिका अग्रणी रहने वाली है. इस लिहाज से राहुल गांधी का आज के भाषण का देश की राजनीति में दूरगामी और सकारात्म्क असर पड़ेगा.
संसद में भाषण के बाद अपने साथियों से हंसी-मजाक करते राहुल गांधी.
Abhishek Srivastava : एक झूठ को छुपाने के लिए दूसरा झूठ बोलना पड़ता है। राफेल सौदा कांग्रेस ने किया था, ये दुरुस्त बात है। ज़ाहिर है गोपनीयता का सौदा भी उसी का हिस्सा था, जिसका जि़क्र निर्मला सीतारमण ने अभी सदन में किया और सबूत के तौर पर 2008 में एके एंटनी का दस्तखत किया एक काग़ज़ लहरा दिया। तो क्या जो 36 विमान मोदी सरकार ने ‘ऑफ द शेल्फ’ खरीदे, वे यूपीए के दौर में 2012 में हुई टेंडर प्रक्रिया के परिणामस्वरूप किए गए सौदे का हिस्सा थे जिसमें 18 विमान ‘ऑफ द शेल्फ’ खरीदे जाने थे और 108 एचएएल में असेंबल किए जाने थे? नहीं।
जो सौदा यूपीए ने किया था उसमें बेचने वाली कंपनी दसॉ (Dussault) एचएएल में असेंबल किए जाने वाले विमानों की गारंटी लेने से इनकार कर रही थी। यूपीए को यह मंजूर नहीं था कि अलग-अलग दो सौदे किए जाएं। सौदा फंस गया। इस सौदे के फंसने का सीधा सा मतलब था कि यूपीए सरकार देसी कंपनी एचएएल को लेकर कोई कमज़ोर समझौता नहीं करना चाहती थी।
जब मोदी सरकार आई, तो उसने सबसे पहले एमएमआरसीए वाले 2012 के टेंडर को रद्द कर दिया। टेंडर रद्द मतलब सौदा रद्द। सौदा रद्द मतलब सीक्रेसी क्लॉज रद्द। यानी मंत्रीजी ने जो काग़ज़ आज लहराया, वह रद्द हो चुके सौदे का काग़ज़ था जिसका कोई मतलब नहीं है। मोदी सरकार ने टेंडर प्रक्रिया को कूड़े में डालते हुए 36 राफेल ‘ऑफ द शेल्फ’ खरीद लिए। यह सौदा 2016 में हुआ। यह नया सौदा था। इसी सौदा की कीमत बताने से निर्मला सीतारमण ने इनकार किया था। मने इनकार किया 2016 के सौदे की कीमत बताने से लेकिन जब पूछा गया कि इनकार क्यों किया, तो गोपनीयता वाला काग़ज़ 2008 का दिखा दिया!
बाइ द वे, 2015 के बाद हुए मोदी सरकार वाले रक्षा सौदों में सीबीआइ ने भ्रष्टाचार के चार मुकदमे दर्ज किए हैं। राफेल सौदे में अनियमितताओं की जांच खुद सीएजी कर रहा है। ये मैं नहीं कह रहा, परसों रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने सदन को बताया है। आज रक्षामंत्री ने अपने ही मातहत मंत्री की कही बात को महज 48 घंटे बाद एक अप्रासंगिक हो चुके काग़ज़ से झूठा करार दिया। कीचड़ को कीचड़ से धोना इसी को कहते होंगे।
वरिष्ठ पत्रकार प्रशांत टंडन और अभिषेक श्रीवास्तव की एफबी वॉल से.
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