बिहार में एक बार फिर पत्रकार पर हमला : बिहार में पत्रकारिता करना कितना कठिन है इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि एलपीजी सिलेंडर की कालाबाजारी करने वाले ने वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव पर हमला कर बुरी तरह जख्मी कर दिया। हमले में पत्रकार की उंगली सर और सीने में चोट आयी है। फिलहाल उनकी स्थिति सामान्य है।
मामला सारण जिला के माँझी थाने से है। ‘नंदपुर’ पत्रकार का गाँव भी है लेकिन वो राजधानी पटना से पत्र-पत्रिका, चैनल के लिए लिखते हैं। यूपी बिहार के बार्डर पर बसे नंदपुर गाँव में एक लम्बे समय से एलपीजी गैस सिलेंडर का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है। कभी पंकज श्रीवास्तव ने इसके विरुद्ध सोशल मीडिया पर मोर्चा खोला था।
24 दिसम्बर को अपने वृद्ध पिता का आँख का आपरेशन करा कर पटना से नंदपुर पहुंचे पत्रकार ने अपनी कार (किराए की) अपने घर के आगे खड़ा की तभी राकेश कुमार श्रीवास्तव उर्फ छोटे प्रसाद जो एलपीजी सिलेंडर का अवैध कारोबारी है। उसने अपनी बेलेरो ठीक उसके पीछे लगा दी। पत्रकार ने गुजारिश की “या तो आप अपनी कार चंद कदम आगे या चंद कदम पीछे कर लें ताकि मेरी कार निकल सके।”
आवेशित उसने गोली की रफ्तार से कार आगे बढाकर पत्रकार के घर के मुख्य दरवाजे पर लगा दी। पत्रकार ने कहा घर में बुढ़े माँ-बाप हैं संयोग से कोई निकल जाता तो क्या होता? छोटे प्रसाद अपनी गाड़ी से उतर कर पत्रकार पर टूट पड़ा। तकरीबन 6 फूट लम्बा और हट्ठा-कट्ठा वो शारीरिक रुप से कमजोर पत्रकार पर बुरी तरह टूट पड़ा। इस हमले के बाद घायल पत्रकार माँझी थाना पहुंचा। जहाँ से उसे सदर अस्पताल माँझी इंजूरी के लिए भेजा गया।
इधर पत्रकार की अनुपस्थित में छोटे प्रसाद ने पत्रकार के वृद्ध माँ को धमकी देते हुए बोला “जिन उंगली से तुम्हारे बेटे ने मेरे विरुद्ध लिखा उसे तो मैंने तोड़ दिया। भविष्य में इस बात का ख्याल रहे, नहीं तो अगली बार उसे गोली मार दूंगा।”
25 दिसम्बर की सुबह माँझी थाना की पुलिस छोटे प्रसाद के दुकान पहुंची वो पुलिस को देखते ही दुकान बंद कर भाग गया। उसके बाद पुलिस ने उसके घर पर दबिश दी। तब जाकर वो घर वापिस आया। पुलिस उसे माँझी थाना लेकर पहुँची और उससे और पत्रकार से एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कराया।
इस समझौता पत्र में छोटे प्रसाद ने इस बात को स्वीकार किया कि भविष्य में कभी पत्रकार या उसके वृद्ध माँ-बाप, छोटे भाई और उसके परिवार जो गाँव पर मौजूद हैं उनसे मारपीट नहीं करेगा।
अब सवाल है, पत्रकार की वो मुहिम अधूरी रह गयी जिसके लिए वो लिखने का जोखिम उठाया? क्योंकि आज भी उसका गैस कालाबाजारी का धंधा जारी है। घनी बस्ती में बड़ी मात्रा में दूसरे तीसरे के घर में गैस सिलेंडर रखना, बड़े सिलेंडरों से छोटे सिलेंडरों में गैस भरना, गैस सिलेंडरों से निकले अति ज्वलनशील पदार्थ को लापरवाही से यहाँ वहाँ फेंक देना जारी है।