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राजनीतिक कार्यकर्ता को डंडा खिलवाने व फर्जी आरोप में जेल भिजवाने का ठेका लेता है प्रभात खबर का यह पत्रकार

अधिवक्ता व पत्रकार श्रीकृष्ण प्रसाद की रिपोर्ट

पटना । बिहार में विगत दशकों में पत्रकारिता के क्षेत्र में अनेक चेहरे देखने को मिल रहे हैं। सीवान के राजदेव रंजन जैसे पत्रकार देश, समाज और अपने मीडिया हाउस के हित और सुरक्षा में अपनी कीमती जिन्दगी की कुर्बानी दे रहे हैं। दूसरी ओर, बिहार के ही मुंगेर जिले के दैनिक ‘प्रभात खबर‘ के पत्रकार विजय शंकर सिंह अपने आपराधिक कारनामों से पत्रकारिता के पेशे को कलंकित कर रहे हैं। पुलिस अनुसंधान में इस पत्रकार के षड़यंत्र में नाम आने के बाद भी दैनिक प्रभात खबर, दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर का प्रबंधन व संपादकीय विभाग मामले को उजागर नहीं कर रहा है।

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अधिवक्ता व पत्रकार श्रीकृष्ण प्रसाद की रिपोर्ट

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पटना । बिहार में विगत दशकों में पत्रकारिता के क्षेत्र में अनेक चेहरे देखने को मिल रहे हैं। सीवान के राजदेव रंजन जैसे पत्रकार देश, समाज और अपने मीडिया हाउस के हित और सुरक्षा में अपनी कीमती जिन्दगी की कुर्बानी दे रहे हैं। दूसरी ओर, बिहार के ही मुंगेर जिले के दैनिक ‘प्रभात खबर‘ के पत्रकार विजय शंकर सिंह अपने आपराधिक कारनामों से पत्रकारिता के पेशे को कलंकित कर रहे हैं। पुलिस अनुसंधान में इस पत्रकार के षड़यंत्र में नाम आने के बाद भी दैनिक प्रभात खबर, दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर का प्रबंधन व संपादकीय विभाग मामले को उजागर नहीं कर रहा है।

उल्टे, इन अखबारों के मुंगेर प्रमंडलीय कार्यालयों के प्रमुख दोषी पत्रकार, पुलिस पदाधिकारी और एनजीओ के सचिव को कानून की गिरफ्त से बचाने के लिए ऐड़ी-चोटी एक कर रहा है। प्रमाण यह है कि पत्रकार विजय शंकर सिंह के आपराधिक कुकृत्यों को व्यूरो प्रमुख अपने संपादकों और प्रबंधन के इशारे पर अपने-अपने अखबारों में प्रकाशित नहीं कर रहे हैं।

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मामला क्या है

जनता दल यू के मुंगेर जिला के पूर्व जिला सचिव नरेन्द्र कुमार सिंह कुशवाहा एक गीतकार हैं। एनजीओ ‘हक‘ ने नरेन्द्र कुशवाहा सहित तीन कलाकारों को नुक्कड़ नाटक केमंचन के लिए अनुबंध किया। परन्तु जब हक संस्था के सचिव पंकज कुमार सिंह ने नाटक मंचन के एवज में 22 हजार रूपया मजदूरी के रूप में नहीं दी तो श्री कुशवहा ने मुंगेर के डीएम से इसकी लिखित शिकायत की। डीएम के आदेश पर मुंगेर कोतवाली ने सूचक जनता दल यू नेता नरेन्द्र कुमार सिंह कुशवाहा के आवेदन पर हक के सचिव पंकज कुमार सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। जांचोपरांत कोतवाली पुलिस ने पर्याप्त साक्ष्य के आधार पर हक संस्था के सचिव पंकज कुमार सिंह के विरूद्ध आरोप-पत्र मुंगेर न्यायालय में सुपुर्द कर दिया। अभी भी मामला न्यायालय में लंबित है।

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जान मारने की कोशिश की गई

आरोप-पत्र समर्पित होने के डेढ़ माह बाद मुंगेर की कासिम बाजार पुलिस ने जनता दल यू के तात्कालीक जिला सचिव नरेन्द्र कुमार सिंह कुशवाहा को 15 जून, 2013 की शाम धोखा में बुलाकर गिरफ्तार किया। उसे कासिम बाजार थाना उठा ले गई पुलिस और पुलिस पदाधिकारियों व होमगार्ड्स के जवानों ने श्री कुशवाहा को थाना के गाछ में रस्सी से बांधकर तब तक पिटाई की जब तक वह बेहोश नहीं हो गया। जब होश आया तो वह भागलपुर मेडिकल कालेज अस्पताल में बेड में अपने को पाया। उसने अपने साथ घटी घटना को भागलपुर से मुंगेर के डीएम, एसपी, आयुक्त, डीआईजी और अन्य को बता दिया। किसी ने उसके आवेदन पर सुनवाई नहीं की।

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पहले जान से मारने की कोशिश हुई, बाद में भेजे गए जेल

भागलपुर में इलाज के दौरान ही मुंगेर के कासिम बाजार थाना की पुलिस पहुंची और पुलिस ने चार जिन्दा कारतूस पाकेट में रखने के आरोप में इलाजरत श्री कुशवाहा को मुंगेर जेल न्यायिक हिरासत में भेज दिया। लगभग तीन महीनों तक जेल में रहे कुशवाहा। पहले थाना में गाछ से बांध कर पिटाई और फिर जीवित कारतूस रखने के जुर्म में जेल जाने के बाद भी कुशवाहा ने हिम्मत नहीं हारी। उसने न्याय के लिए मुंगेर मंडल कारा में आमरण-अनशन शुरू कर दिया। पटना उच्च न्यायालय से जमानत मिलने तक कुशवाहा मुंगेर जेल में महीनों आमरण-अनशन पर रहे। परन्तु बिहार के मीडिया हाउस दैनिक प्रभात खबर, दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर ने उनके आमरण अनशन की खबर को केवल दबाने का काम किया।  एक राजनीतिक व्यक्ति के जीवन को समाप्त कर देने की अनोखी मुहिम मुंगेर के मीडिया हाउस के लोगों ने चलाई।

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मुख्यमंत्री निरीह बने रहे

पुलिस जुल्म की फरियाद लेकर जद यू नेता की भतीजी मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के जनता दरबार में अकेले तीन बार पहुंची लेकिन परन्तु मुख्यमंत्री भी निरीह प्रमाणित हुए। अंत में मुंगेर जेल से ही श्री कुशवाहा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखित आवेदन भेजा। उसकी भतीजी मुक्ता कुमारी अकेले नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के कार्यालय में पहुंचीं और अपने चाचा पर हो रहे बिहार पुलिस के जुल्म की दास्तान कह सुनाईं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान और बिहार सरकार को पूरे मामले में जांच का आदेश दिया। बिहार सरकार ने मामले को अपराध अनुसंधान विभाग के पुलिस अधीक्षक एसपी शुक्ला को सुपुर्द कर दिया। शुक्ला ने जो जांच रिपोर्ट राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली और मुंगेर पुलिस अधीक्षक को सुपुर्द की, उस रिपोर्ट ने कलम, खाकी और सफदेपोश अपराधियों के संगठित षड़यंत्र को पूरी तरह बेनकाव बेनकाब कर दिया। मुंगेर पुलिस ने कुशवाहा को गोली रखने के आरोप से अनुसंधान में मुक्त कर दिया है। अब कुशवाहा अपने कंधे के थैला में अब तक की सभी पुलिस रिपोर्ट लेकर मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के जनता दरबार की दौड़ लगा रहे हैं और भीख मांग रहे हैं कि -‘हुजूर, पिटाई और गोली के आरोप में निर्दोष होकर जेल जाने से बचा नहीं सके। अब तो दोषी पत्रकार, पुलिस पदाधिकारी और एनजीओ के सचिव के विरूद्ध कानूनी काररवाई कीजिए। अपने हक के लिए आवाज उठाने के जुर्म में पुलिस ने गाछ में बांध कर पिटाई की और महीनों जेल की सजा काट ली। अब तो हुजूर, दोषी को जेल भेजने का काम कीजिए।‘

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मुख्यमंत्री नीतिश कुमार हो गए गंभीर

पटना के जनता दरबार में जब श्री कुशवाहा ने पूरे दस्तावेजी साक्ष्य के साथ मुख्यमंत्री को सारी बातें बताई तो मुख्यमंत्री गंभीर हो गए। उन्होंने भागलपुर के आरक्षी महानिरीक्षक सुशील खोपडे को इस मामले में कानूनी पक्षों के अध्ययन कर दोषी पत्रकार, पुलिस पदाधिकारी और एन0जी0ओ0 के सचिव के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। आरक्षी महानिरीक्षक सुशील खोपडे ने श्री कुशवाहा को इस सप्ताह भागलपुर स्थित कार्यालय में बुलाया और एक घंटा तक पूरी घटना की जानकारी ली और पुलिस अनुसंधान में आए दस्तावेजी साक्ष्यों का गंभीरता से अध्ययन किया। श्री कुशवाहा ने आई0जी0 को स्पष्ट कर दिया है कि मुंगेर के डी0आई0जी0 वरूण कुमार सिन्हा दोषी पत्रकार, पुलिस पदाधिकारी और एन0जी0ओ0 के सचिव के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई में रोड़ा बने हुए हैं।

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इस बीच, मुंगेर पुलिस अधीक्षक के पुलिस प्रतिवेदन-04 में पुलिस अधीक्षक ने मंतव्य दिय है कि -‘‘एन0जी0ओ0 हक के सचिव पंकज कुमार सिंह और प्रभात खबर के पत्रकार विजय शंकर सिंह ने षड़यंत्र कर पुलिस पदाधिकारियों की मदद से गोली नरेन्द्र कु0 सिंह कुशवाहा के थैला में रखवा दिया था और उसकी गिरफ्तारी कराई गईं। इस प्रकार यह प्रमाणित हो जाता है कि पत्रकार पुलिस की नजदीकियों का फायदा उठाते हैं और पुलिस के हाथों राजनीतिक कार्यकर्ता और नेता को डंडा खिलवाने और फर्जी आरोप में जेल भिजवाने का ठेका लेने का भी काम कर रहे हैं जो काम समाज के नामी-गिरामी अपराधी कर रहे हैं।‘‘

पुलिस अधीक्षक ने अपने पुलिस प्रतिवेदन संख्या-04 में आगे लिखा है कि ‘‘पुलिस अनुसंधानकर्ता साक्ष्यानुसार एन0जी0ओ0 ‘‘हक‘‘ के सचिव पंकज कुमार सिंह और दैनिक प्रभात खबर के पत्रकार विजय शंकर सिंह की गिरफ्तारी की कार्रवाई करेंगे।‘‘

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इस बीच, मुंगेर के पूर्व के पुलिस अधीक्षक ने इस प्रकरण में कासिम बाजार थाना के पूर्व थाना ध्यक्ष दीपक कुमार और पुलिस अवर निरीक्षक सफदर अली  के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई के तहत उनकी सेवा पुस्तिकाओं में एक ‘‘कलांक‘‘ की सजा दी है और छः माह के वेतन वृद्धि पर रोक लगाई है। दोनों पुलिस पदाधिकारियों की सेवा पुस्तिकाओं में कलांक की सजा को अंकित कर दिया गया है।

जनता दल यू नेता नरेन्द्र कु0 सिंह कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से प्रार्थना की है कि – ‘‘यदि दोषी पुलिस पदाधिकारी दीपक कुमार और सफदर अली, पत्रकार विजय शंकर सिंह और एन0जी0ओ0 सचिव पंकज कुमार सिंह के विरूद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई सरकार नहीं करती है, तो पुलिस, पत्रकार और एन0जी0ओ0 का गठजोड़ उसकी हत्या करा देगा। फिर आप लोग जांच पर जांच कराते रह जाएंगे।‘‘

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इस बीच, दैनिक प्रभात खबर, दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर के मुंगेर कार्यालयों के ब्यूरो प्रमुख ने ठान लिया है कि नरेन्द्र कुमार सिंह कुशवाहा पर हुए पुलिस जुल्म की खबर को कतई प्रकाशित प्रसारित नहीं किया जाएगा। नरेन्द्र कुमार सिंह कुशवाहा के साथ हुए पुलिस उत्पीड़न की खबर को जिस तरह तीन वर्षों तक हिन्दी अखबारों और न्यूज चैनलों ने दबा कर रखा, ऐसी ही चट्टानी एकता आगे भी बरकरार रखने की कोशिश की जाती रहेगी।

मुंगेर से अधिवक्ता व पत्रकार श्रीकृष्ण प्रसाद की रिपोर्ट. संपर्क: मो. 09470400813

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