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सुख-दुख

एक और महाविनाश ज्यादा दूर नहीं, अबकी इंसान खत्म हो जाएंगे!

Nadim Akhter-

स्वर्ग-नरक और तरह-तरह के ईश्वर का तो पता नहीं, पर अपनी ही गैलेक्सी में कुछ कदम दूर चलने पर हमारी धरती बिंदु मात्र बन जाती है। फिर बाहर जाकर अरबों-खरबों तारे समेटी हमारी गैलेक्सी भी इसी बिंदु की तरह दिखने लगती है। उसके भी बाहर जाएं तो करोड़ों अलग-अलग गैलेक्सीज इसी बिंदु की तरह दिखकर एक पतले जाल सा दिखने लगती हैं।

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यानी अनंत अंतरिक्ष में किसी की कोई औकात नहीं। लेकिन इसके एक बिंदु के भी बराबर स्थान नहीं रखने वाली हमारी धरती पर खड़े आठ फ़ीट से कम कद वाले इंसान खुद को खुदा मानने को बेताब हैं। धार्मिक आडम्बर दिखाकर अपने-अपने भगवान को खुश करने की खुशफहमी पाले हुए है। जातीय-नस्ली श्रेष्ठता के बहकावे में है। अपने-अपने राष्ट्र, संस्कृति और राष्ट्रीयता के छलावे में है। मतलब अंतरिक्ष में जो पृथ्वी सूक्ष्म का भी दर्जा नहीं पाती, वहां हाड़-मांस का बना इंसान एकमात्र ऐसा जीवित प्राणी है, जो सबसे ज्यादा भटका हुआ है।

हाड़-मांस के बने बाकी जानवर भी इस इंसान से परेशान हैं। यानी धरती पर इंसान ही सारी बुराइयों और बखेड़ों की जड़ में है। ऐसे में यदि अनंत अंतरिक्ष का विधान चले और पृथ्वी पर शांति कायम करने की कवायद फिर शुरू हो तो सबसे पहले किसका सफाया होगा? ज़ाहिर है, इंसानों का, जो अंतरिक्ष से गिरे एक विशाल पत्थर के ताप को भी ना सह पाएंगे। डायनासोरों का उदाहरण सामने है। उन्होंने भी अपने तथाकथित विशाल रूप का बड़ा घमंड था और इसके वशीभूत होकर उन्होंने पृथ्वी पर आतंक मचा रखा था।

फिर एक दिन वे सभी के सभी खत्म होकर मिट्टी में दफन हो गए। वनस्पतियों से लेकर हाड़-मांस के जानवरों की एक नई नस्ल इस धरती पर पनपी, जिसमें इंसान यानी होमोसेपियंस भी शामिल हैं। अब इंसानों का आतंक भी धरती पर चरम पे है। इस मामले में वह डायनासोर से भी आगे निकल चुका है। रोचक ये है कि हाल ही में उसने Gravitational Wave का अंतरिक्ष में पता लगाया है। लेकिन हम ये अब भी नहीं जानते कि इन waves पर सवार होकर सुदूर अंतरिक्ष से कौन से संकेत प्रसारित हो रहे हैं? अगर मानव की आतंक गाथा सुदूर अंतरिक्ष के नियामक के पास पहुंच चुकी है तो फिर पृथ्वी पर शांति की दुबारा स्थापना के कोड भी जल्द भेजे जाएंगे। यानी धर्मशास्त्रों के अनुसार क़यामत और अंतरिक्ष के कानून के मुताबिक एक और महाविनाश ज्यादा दूर नहीं।

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