वाराणसी : अब बनारस में दिखा मजीठिया बाबा का प्रकोप। मजीठिया वेज बोर्ड का जिन्न समाचारपत्र कर्मचारियों की बलि लगातार ले रहा है। केंद्र व राज्य सरकारों को अपने ठेंगे पर नचा रहे अखबार मालिकों के सम्मुख सुप्रीम कोर्ट से क्या राहत मिलेगी, यह तो कोई नहीं जानता। लेकिन यह राहत कब मिलेगी और तब तक लोकत्रंत का तथाकथित चौथा पाया किस कदर टूट चुका होगा, इसका अहसास होने लगा है।
यूपी का जहां तक सवाल है तो छोटे शहरों की बात ही छोड़िए…. पहले राजधानी लखनऊ, फिर गोरखपुर और अब बनारस में अखबार प्रबंधनों की प्रताड़ना के आगे तीन कर्मकारों को झुकना पड़ा। लखनऊ और गोरखपुर में हिन्दुस्तान प्रबंधन की दबंगई के सामने बीते एक माह में लगभग एक दर्जन पत्रकारों को नौकरी गंवानी पड़ी है और अब वे श्रम विभाग या कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं।
इधर वाराणसी में हिन्दुस्तान के तेजतर्रार युवा क्राइम रिपोर्टर अभिषेक त्रिपाठी को प्रबंधन के उलझाऊ दबाव में पिछले हफ्ते इस्तीफा देना पड़ा। पता चला है कि हिन्दुस्तान वाराणसी में बतौर स्थानीय सम्पादक अपनी दूसरी पारी खेलने आये विश्वेश्वर कुमार को कतरब्यौंत का निर्देश जारी किया गया है। यही वजह है कि सम्पादकजी को, जिन्हें लगभग सात वर्ष पूर्व इसी संस्थान से एक बार बेइज्जत करके निकाला जा चुका है, अति महत्वपूर्ण क्राइम बीट पर तीन रिपोर्टरों की मौजूदगी ज्यादा लगी और उन्होंने फरमान सुना दिया कि इस बीट के लिए एक ही व्यक्ति पर्याप्त है। अंतत: इतना दबाव बढ़ा कि बीट इंचार्ज अभिषेक ने इस्तीफा देना ही बेहतर समझा। अन्य दो में कितनी जान है, यह बताना उचित नहीं होगा।
बनारस के वरिष्ठ पत्रकार योगेश गुप्त पप्पू की रिपोर्ट.