शशि शेखर-
भारत में चल रहे “बौना-काल” की जीवंत तस्वीर… सफ़ेद कुर्ते में आचार्य किशोर कुणाल है. अपने समय के एक तेज-तर्रार आईपीएस ऑफिसर. हमारे बिहार में उनके हनुमत-भक्ति की किदवदंतियाँ तक प्रचलित है. पटना का महावीर मंदिर हो या मंदिर की कमाई से बना महावीर कैंसर अस्पताल, आचार्य किशोर कुणाल जी के बारे में जो तनिक भी जानकारी रखते हैं, वे उनके प्रति श्रद्धा-सम्मान का भाव भी रखते है. अभी पूर्वी चंपारण के केसरिया में विश्व का सबसे बड़ा राम मंदिर बनवा रहे हैं, बिना किसी हंगामे के.
इसी सिलसिले में कुछेक महीने पहले वे मोतीहारी में थे. उनसे बातचीत हुई. बता रहे थे कि उक्त मंदिर में दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग स्थापित होने जा रहा है, जिसके लिए दक्षिण भारत से शिला लाया जा रहा है, विशेष गाडी से. अपने मोबाइल में मौजूद कुछ वीडियों भी उन्होंने दिखाए. मैंने जब उनसे कहा, सर, जब इतना बड़ा काम हो रहा है तो इसे विजुअली documented क्यों नहीं करवाते तो बड़े आराम से उन्होंने कहा, क्या करेंगे इसका. बस, मंदिर बन जाए यही बहुत है.
उनका राजनीतिक रूझान कुछ भी हो, लेकिन उनके व्यक्तित्व और कीर्ति तक पहुँचने के लिए किसी भी बाबा को अभी बहुत मेहनत करनी पड़ेगी.
अब इस तस्वीर की क्या हकीकत हैं, नहीं पता. लेकिन जो इस तस्वीर में दिख रहा है, वह निश्चित भारत देश में चल रहे मौजूदा “बौना-काल” की जीवंत तस्वीर मालूम पड़ती है…प्रतिमान ढाहे जा रहे हैं, तथ्य उलटे जा चुके हैं. क्योंकि मौजूदा दौर (सामाजिक-राजनीति) पुराने प्रतिमानों और तथ्यों के आगे इतना बौना है, इतना छोटा है कि नए बड़े प्रतिमान गढ़ पाना उसके वश में ही नहीं…
डॉ उज्ज्वल कुमार-
आचार्य किशोर कुणाल की कर दी बेइज़्ज़ती! शर्मनाक हरकत कर गये धीरेंद्र शास्त्री जी….आपको माफी मांगनी चाहिए।
bageshwar dham sarkar के महंत धीरेंद्र शास्त्री जी, आपका यह रवैया बिल्कुल ठीक नहीं लगा। कम उम्र में लोकप्रियता मिल जाने पर लोग अक्सर इस तरह की गलतियां कर ही बैठते हैं। आपके सामने आचार्य किशोर कुणाल जी के साथ सिक्यूरिटी वाले जिस तरह से कर रहे हैं, क्या आपको हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था।
आज पटना जंक्शन स्थित जिस हनुमान मंदिर में आप पूजा करने गये थे, उसका स्वरूप निखारने में आचार्य किशोर कुणाल जी के योगदान को भूलाया नहीं जा सकता। मुझे नहीं मालूम कि आपकी पर्ची किस तरह लोगों को लाभ पहुंचाती है, लेकिन किशोर कुणाल जी के प्रयास से जो हॉस्पिटल संचालित हो रहे हैं, वह जरूर लोगों की पीड़ा कम कर ही है। कई लोगों की जान भी बचा रही है। आपकी ओर से इस तरह की कोई गतिविधि चल रही है या नहीं, मुझे मालूम नहीं।
किशोर कुणाल जी न केवल आपसे उम्र में बड़े हैं, बल्कि काबिल भी हैं। समाज के लिए उन्होंने जो किया है, उसे इंसानियत के शब्दकोश में हमेशा पढ़ा जायेगा। मुझे लगता है कि आपमें सच में हनुमान जी का कोई आचरण आया होगा, तब तो आपको Acharya Kishore Kunal जी से माफी मांगनी चाहिए। बिहार ने आपको इतना मान-सम्मान दिया। इसका मतलब यह थोड़े ही है कि आप इसके बदले में इस तरह का तिरस्कार देंगे। अभी आप युवा हैं। विनम्रता भी हासिल करिये। अन्यथा आप जैसे कई बाबाओं को उठते और सलाखों के पीछे जाते देखा है। तस्वीर देखने के बाद बहुत गुस्सा आ रहा था। मन व्यथित भी हुआ।
आचार्य किशोर कुणाल जी को अपनी प्रतिष्ठा का खुद ही ख्याल रखना चाहिए, नहीं तो ऐसा ही होगा। -प्रगति मेहता
बागेशर के कुछ बागड़ों का कहना है कि धीरेंद्र शास्त्री महावीर मंदिर के सचिव आचार्य किशोर कुणाल को नहीं पहचानता था! मेरा कहना है कि वैसे धर्म के ठेकेदार जो आचार्य किशोर कुणाल जैसे विभूति और मानस मर्मज्ञ को नहीं पहचानता है वह अधकपारी है! बिहारवासियों से माफी मांगो बागेशर। -सुजीत कुमार
संजीव चंदन-
ये तस्वीर हमारे बहुत से मित्रों को दुखी कर रही है। ये धीरेन्द्र शास्त्री है, जिसके हनुमान मंदिर, पटना पहुंचने पर मंदिर के ट्रस्टी पूर्व आईपीएस कुणाल को निजी सुरक्षा कर्मियों ने कुछ यूं धकियाया। बहुत से लोग बहुत सी बातों पर तत्काल दुखी हो जाते हैं।
सवाल है कि धीरेन्द्र जैसे आवारा चमत्कारी शास्त्री के उदय पर कुणाल जैसे पुराने धर्म-ठेकेदारों की यह नियति क्योंकर आश्चर्यकर होना चाहिए? उसपर दुःख कैसा?
बॉबी कांड में स्ट्रिक्ट आईपीएस के रूप में दर्ज रहे हैं कुणाल। फिर पटना के हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार कराकर धर्म के धंधे में लग गये। खबरों में बने रहने की अदा उन्हें आती रही है, कभी वे भी खबर में रहे। तब निजी टीवी का भी जमाना नहीं था। वे अखबारों के उत्पाद थे, सवर्ण पत्रकारों के प्रिय। बूढ़े जरदगव को आज भी पटना के सवर्ण पत्रकार ढोते हैं। रामचरित मानस विवाद में उनकी विद्वता की अधजल छलकती गगरी सबने देखी।
टीवी का उत्पाद था कभी निर्मल बाबा। उसे सामने लाने और उसके चमत्कार को लोकप्रिय करने में टीवी के उन सवर्ण बहादुरों की भूमिका थी और टीवी के मुगलों की, जिनमें से कई आजकल कथित प्रगतिशील टीआरपी बटोर रहे हैं।
और अब यूट्यूब का उत्पाद है ये कल का छोकरा, धीरेन्द्र शास्त्री। नागपुर से श्याम मानव जी ने इसे भागने को मजबूर कर दिया था। वहां भाजपा नेता बचाव में नहीं आ पाये। क्योंकि वहां अंधश्रद्धा निर्मूलन का कानून बनाने में वे भी शमिल थे, अन्य दलों के साथ।
बिहार में उसकी पालकी भाजपा के बड़े नेता ढो रहे थे और सवर्ण यूट्यूबर लौंडे। अखबारों और टीवी का सवर्ण नेटवर्क भी। जबकि बिहार में भी चमत्कार विरोधी कानून 1999 से है। ऐसा कानून बनाने वाला यह पहला राज्य है।
नया स्टार है, नये लिफाफे में पुराना चमत्कार है तो बूढ़े धर्म-धंधे वाले तो जायेंगे ही नेपथ्य में। कुणाल के साथ जो हो रहा है वह राजनीति में आडवाणी जी के साथ हो चुका है। नये स्टार के चमत्कार ने उन्हें सद्गति दे दी जीते जी।
कैमरों के फोकस का आलम यह है कि कोई भी अपनी लफ्फाजी से भीड़ और भक्त पैदा कर लेता है। धर्म और राजनीति में, हर जगह। अगतिशीलों और प्रगतिशीलों, सबके बीच।
मैं बिहारी जमीन से एक क्रांतिकारी स्टेप का इंतजार कर रहा हूँ, जब ये घोषित दरबार के लिए गया आयेगा और कोई व्यक्ति बिहार के कानून का इसके खिलाफ इस्तेमाल करेगा और इसे नागपुर की तरह भागने को मजबूर करेगा। तब यहां के नेताओं का भी एक टेस्ट हो जाना चाहिए-हां, महागठबंधन का भी।