गौरव सिंह राठौर-
एक अमरीकी रिसर्च वेबसाइट और एक भारतीय कंपनी के बीच जो चल रहा है उसकी ख़ास बात यह है कि 99% भारतीयों को वो समझ ही नहीं आएगा । स्टाक मार्केट- बैलेंस सीट आदि टेक्नीकल बातें है । शेयर बाज़ार के उतार चढ़ाव को खेत में पानी लगाता व्यक्ति कितनी गंभीरता से लेता है यह सब जानते ही है । तो मोटे तौर पर मसला यह है कि –

- आरोप है कि अडानी भाई ने अपने चोर – उचक्के , फोरजर, जालसाज़ी का मुक़दमा झेल रहे भाई – भतीजों – रिश्तेदारों को अपनी कंपनी में उच्च पदों पर आसीन किया और यह बात एक हद तक निवेशकों से छिपाई भी ।
- एक कंपनी में लोन लिया और वही पैसा दूसरी कंपनी में लगा दिया । जैसे आप मकान बनवाने के लिए लोन ले और उस पैसे से गाड़ी ख़रीद लें जलवा दिखाने को ।
- एक बैंक लोन को भरने के लिए दूसरा लोन ले लिया और उन्हें न जाने किसकी कृपा से मिल भी गया ।
- अपने ही चेले – चापडो के नाम विदेश में कंपनियाँ बनाई और फिर उन कंपनियों के ज़रिए अपनी ही कंपनी में निवेश करवाया ताकि बाज़ार को लगे कि तगड़ा निवेश आ रहा और शेयर वैल्यू बढ़ जाए । अमरीकी रिसर्च वेबसाइट के हिसाब से अडानी जी कि 81% वैल्यूएशन फ़र्ज़ी है , मने 100 रूपय की औक़ात बता रहे हैं पर असलियत में 19 रूपय की हैसियत है ।
- कई कंपनियों में अडानी भाई ने बड़ा निवेश किया परन्तु यह नहीं बताया कि पैसा आया कहाँ से ! पैसे के स्रोत का पता ही नहीं कि बैंक से लोन लिया , काला धन है या कहीं खजाना हाथ लग गया ।
- अडानी भाई ग़ुस्सा गए हैं और अमरीकी रिसर्च वेबसाइट पर मुक़दमे की धमकी दे दी है । इस बीच दुनिया की नामचीन वित्तीय कंपनी मार्गन स्टेनले भी बीच में कूद पड़ी है ।
- होना हवाना कुछ नहीं है , इतने बड़े हो चुके हैं अडानी भाई कि उन्हें बचाने के लिए पक्ष – विपक्ष का ज्वाइंट आपरेशन भी चल सकता है , चंदा सबको चाहिए ।
One comment on “अदाणी-हिंडन कांड को इससे ज्यादा सरल भाषा में नहीं समझाया जा सकता!”
What a long term investment, market is operated by FII,DII , operator and brokerage houses and not by fundamental, earning and dividend from companies