रेहान अहमद-
अंबानी खानदान की एक शादी में शाहरुख, सलमान, और आमिर एक साथ डांस करते नजर आए। अब इंटरनेट की जनता ने बॉलीवुड वालो की असली औकात के टाइटल के साथ विडियो बनाना चालू कर दिया है। जो चीज उनके लिए मजाक है, वही चीज घूम कर एक दिन उन्ही को चोट पहुंचाएगी। दो चार जन तो ऐसे भी दिखे जिनके मुताबिक तीनों अब उनकी निगाह से गिर गए, कुछ तो ऐसे है जिनके मुताबिक अंबानी ने सबकी औकात बता दी है।
आप कचहरी जाते है, एक वकील करते है अपने मुकदमे के लिए, या फिर अपना घर पेंट करवाने के लिए चार लोगो को काम पर रखते है, तो इन सभी मामलों में दोनो पार्टी में से कोई पार्टी किसी के ऊपर एहसान नही कर रही है। इनमे से एक अपनी जरूरत के लिए पे कर रहा है, और दूसरा अपनी स्किल के लिए चार्ज कर रहा है। कोई बॉस नही है, कोई छोटा नही है कोई बड़ा नहीं है। दुनिया के चलने फिरने की शुरुआत इसी खोज के बाद हुई थी, जब लोगो ने ट्रेड करना शुरू किया एक दूसरे के साथ। ट्रेड की शुरुआती दिनों में एक चीज की कीमत दूसरी चीज से चुकाई जाती थी, थैंक यू वाली करेंसी तो बहुत बाद में आगे जाकर शुरू हुई।
प्रोफेशनल लाइफ का मतलब समझिए, ऐसे ही झोंके झोंके में सबके पीछे सोल्ड का स्टीकर चिपकाना बंद करिए। एक आदमी अगर अपनी पूरी जिंदगी सिर्फ एक काम, एक स्किल को देता है,भले वो उस स्किल में अच्छा हो या मामूली, पर वो अपनी स्किल के हिसाब से अपनी कीमत तय करने का हक रखता है। उसे ये हक है कि वो कही परफॉर्म करने से पहले अपनी जरुरते बताए, और सिर वही इंसान है जिसे हक है कि वो बेयर मिनिमम में भी परफॉर्म करने को राजी हो जाए। पंकज त्रिपाठी ने एक शॉर्ट फिल्म लाली की शूटिंग के दौरान कलकत्ता की सड़को पर एक कुर्सी पर बैठते थे शॉट देने के बाद, वो उनकी मर्जी उनका कंफर्ट था, अब कोई ये तो नही कह सकता कि हर फिल्म प्रोड्यूसर उन्हे वैनिटी की जगह प्लास्टिक की कुर्सी थमाना शुरू कर दे कि आप फला के शूट पर तो कुर्सी पर बैठे थे।
हमारे यहां कई प्रोफेशन को उनकी महानता के बोझ तले दबाने की कोशिश की जाती है, किसी कर्मचारी से सुविधा लेना सबका अधिकार है, पर उसी कर्मचारी के बेसिक अधिकारो पर बात आते ही लोग मुंह चुराने लगते है। अस्तित्व ही नकार दिया जाता है। एक सरकारी जर्जर बिल्डिंग के कमरे में अपने परिवार को छोड़ कर आया आदमी अपने काम में कितनी देर तक खुद को इंसान बनाए रख सकता है,ये तो उसकी बर्दाश्त करने की ताकत के ऊपर है।
ऐसा माहौल मत बनाइए कि इंसान को अपना काम करने के लिए शर्मिंदा होना पड़े, जामनगर के प्रोग्राम में खाना बनाने वाले आए होंगे, टेंट वाला भी रहा होगा, लाइट झूमर ताम झाम वालो को क्या कोई ये कहेगा कि यार तुमको तो अंबानी खरीद लिया, तुम्हारी औकात बता दिया वो। हम नही कहते क्युकी हमारे हिसाब से वो सब अपना अपना काम कर रहे थे। फिर तो तीनों खान भी तो वही कर रहे थे,अक्षय कुमार और रामचरण तेजा भी, रिहाना ने जितने करोड़ लिए है अपनी स्किल के मुताबिक लिए है। उसे यही सब आता है, उसने पूरी जिंदगी यही किया है। वो अपनी स्किल से अगर पैसे कमाए तो इसमें गलत क्या है? आप बाल कटवाने जाते हो,सर्विस के पैसे देते है, सलोन नही खरीदते है।
अंबानी भी दौड़ भाग काम करता रहता है बेचारा, इस उम्र में भी कमाने के लिए यहां वहा भटक रहा होता है, क्युकी भूख ही ऐसी होती है, बात पैसे की नही है, जिस प्रोफेशन में आप ने जिंदगी गुजारी है, उसकी आदत लग जाती है, उसके बगैर जिंदगी के मायने अधूरे लगने लगते है, तो जो कर सकते है, वो आखिरी सांस तक अपने प्रोफेशन से जुड़े रहते है। ऐसे में वो अपनी हैसियत जितना अपनी कीमत मांगते है, अपने टर्म अपने दाम से मुतमईन होकर कही परफॉर्म करते है।
और ये बहुत नॉर्मल बात है, इंसान कैसा भी हो किसी भी रंग का हो, उसकी एक प्रोफेशल लाइफ होती है, और हमारे लिए बात का मुद्दा सिर्फ उसकी परफॉर्मेंस होनी चाहिए। एक सिंगर ने लाइव शो में कहा गलत सुर लगाए है इस पर बात की जानी चाहिए, वो क्या पहन कर परफॉर्म कर रहा है, बाली झुमका पायल क्या पहन कर नाच रहा है ये उसका अपना फैसला है।आपके और उसके बीच का ताल्लुक सिर्फ उसके गाने का है, और आपकी हदे भी वही तक है। उस दरम्यान आप जितना चाहे उसे कोस सकते है क्युकी उसका प्रोफेशन पब्लिक है और आपके ही रिस्पॉन्स से उसका करियर रुकता है चलता है, बंद होता है। पर आप उसके पर्सनल स्पेस में जाकर उसके सर पर अपनी मॉरेलिट की टोपी नही पहना सकते है।
इसलिए व्यापार को घृणा की दृष्टि से देखना बंद करिए, व्यापार तुच्छ नही है।जिसे आप कलाकार का बिक जाना समझते है, वो।उसका काम है, उसकी रोजी रोटी है।कोई आर्टिस्ट अगर कुछ पैसे में कही काम करता है तो वो बिका नही है, उसने बस चार्ज किया है अपनी जिंदगी भर की मेहनत का, उसे बिका हुआ तब कहेंगे, जब उसे पैसों के बदले अपनी स्किल को छोड़ने के लिए कहा जाए और वो मान जाए। कही कोई डॉक्टर प्रैक्टिस करना छोड़ दे, कोई नाई बाल काटना छोड़ दे, या फिर पैसे लेकर कोई कवि कविता लिखना छोड़ दे। तब कहेंगे की फला इंसान बिक गया।
जिस दिन कोई आदमी आए, बहुत बड़ा आदमी आए, जो इतनी दौलत दे सके कि विराट कोहली क्रिकेट, सोनू निगम सिंगिंग, और मनोज बाजपेई एक्टिंग करना छोड़ दे, तब मैं मानूंगा कि हा फला ने फला को खरीद लिया है।वैसे तो मैं भी हर महीने तीन सौ रुपया अंबानी को देता हूं, अब क्या मैं जामनगर में जाकर पर्चे बांटू कि अंबानी परिवार मेरे पैसे पर पल रहा है? प्रोफेशनल बनो भाई, काम धंधे का माहौल सुधारो, क्युकी उतरना सबको एक न एक दिन मैदान में ही है, तब ये थैंक्यू की करेंसी से जब कोई पे करेगा, तब समझ आयेगा आपको कि प्रोफेशनल तमीज और तहजीब इस देश में क्यू जरूरी है।