सर्वेश कुमार सिंह-
क्या पत्रकार होना अब अभिशाप है? यह प्रश्न 19 मई की शामली की दर्दनाक घटना के बीच से उपजा है। हम पत्रकार दोहरी तिहरी अलोचनाओ से घिरे रहते हैं लेकिन हम अपने निजी जीवन और घरेलू मामलों में कितने कमजोर और असहाय हैं कोई नहीं जान पाता। लेकिन शामली जैसी घटनाएं उस सच को उजाकर कर देती हैं,जिसे छिपाकर हम कलम के सिपाही,लोकतंत्र के प्रहरी और चौथे स्तंभ बने रहने का भ्रम पाले रहते हैं।
शामली के पत्रकार अमित मोहन गुप्ता यूं तो दो मीडिया संस्थान से जुड़े थे,लेकिन उनकी स्थिति इतनी कमजोर थी कि उन्हें जब ब्रेन हेमरेज हुआ तो स्थानीय अस्पताल में निर्धारित फीस भी परिवार जमा ना कर सका। फीस में 100 रुपए कम रह गए तो इलाज नहीं हुआ और पत्रकार गुप्ता की जान चली गई। चालीस साल की उम्र में परिवार को असहाय छोड़ गए। इस घटना ने जहां समूचे पत्रकार जगत को झकझोर कर रख दिया है। वहीं एक चिकित्सक जिसे भगवान के रूप में भी समाज देखता है क्या ऐसी संवेदनहीनता भी दिखा सकता है जैसी शामली में दिखी।
अब पत्रकार अमित गुप्ता तो चले गए लेकिन परिवार को न्याय मिले, दोषी को सजा। इसके लिए उत्तर प्रदेश एसोसिएशन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए पहल की है। उपज की मुजफ्फरनगर इकाई और शामली के पत्रकार आंदोलनरत हैं। हमने प्रदेश मुख्यालय पर उप मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक को ज्ञापन देकर कार्रवाई और पत्रकार के परिवार को सहायता की मांग की है। श्री पाठक ने आश्वासन दिया है।आशा है पत्रकार के परिवार को न्याय मिलेगा।


Comments on “फीस में 100 रुपए कम रह गए तो इलाज नहीं हुआ और पत्रकार अमित मोहन गुप्ता की जान चली गई!”
Immediate action should be taken against the hospital and doctor.
Deep condolences .
May God give strength to his family.
Mostly companies are providing medical insurance to their employees and
Govt is also providing 5 lakh medical insurance to all poor families. Why this person did not use that facility.