अजयमेरु प्रेस क्लब की मासिक साहित्यिक गोष्ठी साहित्यधारा में रविवार 21 जनवरी को नगर के 35 साहित्यकारों ने सहभागिता की. कार्यक्रम में इस बार “आशाओं की पतंग गगन में” विषय पर केंद्रित रचनाएं प्रस्तुत की गईं, जिनमें बच्चे से लेकर वयोवृद्ध लेखक भी शामिल हुए.
अध्यक्षता करते हुए रामावतार यादव ‘सहर’ नसीराबादी ने उम्मीद की पतंग उड़े आसमान पर रचना पढ़ी. वरिष्ठ साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया ने आरंभ में साहित्यधारा समिति के नव मनोनित संयोजक प्रदीप गुप्ता, सह संयोजक सुमन शर्मा और सदस्य विपिन जैन, सादिक अली व अमित टंडन का अभिनंदन किया फिर लघुकथा पतंग और उत्सव सुनाई.
प्रभावी संचालन करते हुए गोविंद भारद्वाज ने कई रोचक मुक्तक प्रस्तुत किए. गोष्ठी में कुलदीप खन्ना ने वफ़ाएँ बिका नहीं करती, प्रतिभा जोशी ने कच्ची बस्तियों की उत्तरायण, मंजू माथुर ने रूढ़ियों का अँधेरा आशाओं की किरण, स्वर्णकांता अरोड़ा ने गंगा माँ तेरी अविरल धारा, विपिन जैन ने गजल सफ़र अधूरा है तुम साथ आकर मुकम्मल कर दो, बालक आर्यन ने शिव ताण्डव स्त्रोत, पायल गुप्ता पहल ने जग रीत बनी वहीं प्रीत नहीं, बनवारी लाल जी शर्मा ने आसमान में बादलों के पार पतंग जो किसी ने उड़ाई, सादिक़ अली ने गीत तुम्हें दिल ने फिर पुकारा लौट आओ तुम कहीं से, सुमन शर्मा ने हमने तो हरदम जज़्बात संभाले हैं रिश्तों में, विनीता अशित जैन ने आस का जीवन से बड़ा है नाता, सुरेन्द्र वर्मा ने असम्भव को अब सम्भव बनाओ, भावना शर्मा ने राम पर एक गीत सुनाया.
मुकेश आर्य ने बुढापो बैरी मन डर पावे, अंजू अग्रवाल लखनवी ने चलो आशाओं की पतंग गगन में उड़ाएँ, अमित टण्डन ने डूब रहा हो जब जब बन्दे, संतोष गुप्ता ने यादों के साए धुँधले धुँधले और अव्यवस्था पर व्यंग्य, पुष्पा क्षेत्रपाल ने गीत, मीनू यादव ने नीले गगन के तले, मेरी पतंग उड़े, प्रदीप गुप्ता ने कवि बनने के नुस्खे हास्य व्यंग्य सुनकर रंग जमाया.
इस अवसर पर प्यारे मोहन त्रिपाठी , सत्यनारायण जाला, चंद्र प्रकाश कटारिया आदि भी उपस्थित रहे.