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आज़म खान की वक़्फ़ लूट का पर्दाफाश करने वाले पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने सीबीआई जांच आदेश के बाद नए खुलासे किए

अभिषेक उपाध्याय

Abhishek Upadhyay : आज़म खान के मामले में सीबीआई जांच के आदेश हो गए। करीब दो माह पहले तीन किस्तों में आज़म खान की वक़्फ़ लूट का पर्दाफाश किया था। आज़म बुरी तरह बौखला गए थे। पूरे रामपुर में इंडिया टीवी के पोस्टर लगाकर गालियां दीं। प्रेस कॉन्फेंस कर धमकी दी। आज़म के ख़िलाफ़ जो मामले सामने आए थे, उनका शिकार मुसलमान ही थे। वही मुसलमान जिनकी मसीहाई का दावाकर आज़म सालों साल सत्ता की मलाई खाते रहे।

अभिषेक उपाध्याय

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Abhishek Upadhyay : आज़म खान के मामले में सीबीआई जांच के आदेश हो गए। करीब दो माह पहले तीन किस्तों में आज़म खान की वक़्फ़ लूट का पर्दाफाश किया था। आज़म बुरी तरह बौखला गए थे। पूरे रामपुर में इंडिया टीवी के पोस्टर लगाकर गालियां दीं। प्रेस कॉन्फेंस कर धमकी दी। आज़म के ख़िलाफ़ जो मामले सामने आए थे, उनका शिकार मुसलमान ही थे। वही मुसलमान जिनकी मसीहाई का दावाकर आज़म सालों साल सत्ता की मलाई खाते रहे।

सबूतों समेत एक से बढ़कर एक गम्भीर आरोप। गरीब मुसलमानों की जमीनें हड़प कर। उन्हें रातों रात धक्के मारकर। बेघर कर। यतीमखाने की सम्पत्ति नेस्तनाबूद कर। कब्रिस्तान से कब्रें खुदवाकर उसकी मिट्टी से अपनी अली जौहर यूनिवर्सिटी की सड़कें पटवाकर। आज़म ने अपने ऐशो आराम का साम्राज्य खड़ा किया था।

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आलम ये था कि 50 करोड़ की वक़्फ़ सम्पत्ति आज़म की बीबी के ट्रस्ट के नाम सिर्फ एक रुपये के किराए में हड़प ली गई। जिन गरीबों को बेघरकर ज़मीने हथियाई गईं, उन्हें घरों से अपने बर्तन तक निकालने की मोहलत नही दी गयी। उनके बच्चे कड़कड़ाती ठंड में ठिठुरते रह गए। आगरा, इलाहाबाद, बरेली, लखनऊ, रामपुर एक के बाद दूसरे शहरों में अरबों की वक़्फ़ प्रॉपर्टी की लूट हुई। जिसने विरोध किया उसे पुलिस के दम पर अंदर कर दिया गया।

आज़म के इस कहर से कोई नही बचा। न शिया। न सुन्नी। शिया, सुन्नी दोनों ही वक़्फ़ बोर्ड के भीतर सम्पत्तियों की लूट का नंगा नाच हुआ। पुलिस, प्रशासन से उगाहीकर अली जौहर यूनिवर्सिटी की नींव मजबूत की गई। जगह जगह ज़मीन रजिस्ट्रियों पर आज़म की पत्नी और बेटे की तस्वीरें मिलीं।

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आज भी मेरे मोबाइल की contact list में उन मुसलमानों के नम्बर भरे पड़े हैं जो आज़म की दबंगई और ज़मीन लूट के आगे हाथ जोड़कर बेबस हैं। ये एक उदाहरण है कौम की बात करने वालों की कथित मसीहाई का। ऐसी मसीहाई जो अपनी ही क़ौम को सताकर उसकी तकलीफों की ईंट से अपने ऐशो आराम का महल खड़े करने के काम आती है। पर ये भी सच है कि आहों का असर ज़रूर होता है।

उम्मीद की जानी चाहिए कि सीबीआई जांच में इन बेसहारा, गरीब आहों को इंसाफ़ मिले और हर बात में आंख मूंदकर क़ौम का झुनझुना बजाने वालों की आंख खुले।

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इंडिया टीवी के तेजतर्रार पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की एफबी वॉल से.

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