400 किलो सोना-चांदी और 12 करोड़ रुपये कैश अपने कमरे में छोड़ गए साईं…
हैदराबाद। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के पुट्टापर्थी स्थित प्रशांति निलयम आश्रम मेंस्थित आध्यात्मिक गुरु सत्य साईं बाबा के निजी कक्ष यजुर मंदिर से करीब 400 किलोग्राम सोना-चांदी और लगभग 12 करोड़ रुपये मिले हैं। सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट द्वारा सत्य साईं बाबा के निजी कक्ष यजुर मंदिर के द्वार खोले जाने के अगले दिन ट्रस्ट के सदस्य एवं बाबा के भतीजे आर. जे. रत्नाकर ने पाई गई नकदी तथा अन्य बहुमूल्य वस्तुओं की घोषणा की।
सभी सामान को पांच जीपों में भरकर पुट्टपर्थी के स्टेट बैंक ले जाया गया। सोना, चांदी को एक्साइज विभाग के पास जमा किया गया है। इस दौरान वहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। मीडियाकर्मियों को भी वहां फटकने नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा कि पुट्टापर्थी में 11.56 करोड़ रुपये, 98 किलोग्राम सोना तथा 307 किलोग्राम चांदी पाई गई। नकदी की गिनती एवं सोने के आभूषणों के मूल्य का आंकलन करने में कुछ बैंक अधिकारी तथा बाबा के लगभग 15 शिष्य जुटे हुए थे।
रत्नाकर ने हालांकि बाबा का कोई वसीयतनामा मिलने से इंकार किया। वे इस सवाल का जवाब देने से भी बचते रहे कि यदि ट्रस्ट को बाबा की देखभाल करने वाले सत्यजीत के बारे में कोई दस्तावेज मिला तो उनकी क्या प्रतिक्रिया होगी। कहा जा रहा है कि आध्यात्मिक गुरु चाहते थे कि सत्यजीत को ट्रस्ट का प्रभावी सदस्य बनाया जाए।
ज्ञात हो कि यजुर मंदिर को यजुर्वेद मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर अस्वस्थ होने पर सत्य साईं बाबा को वर्ष 2011 के 28 मार्च को अस्पताल में भर्ती कराए जाने के बाद से ही बंद था। बाबा का निधन 24 अप्रैल 2011 को हुआ था। बाबा के विशाल आध्यात्कि साम्राज्य का प्रबंधन ट्रस्ट के जिम्मे है। बाबा की सम्पत्ति पुट्टापर्थी, बेंगलूरु, हैदराबाद एवं अन्य शहरों में है।
गौरतलब है कि सत्य साईं बाबा के निधन के लगभग दो महीने बाद गुरुवार को कुछ वरिष्ठ न्यायिक व पुलिस अधिकारियों के सामने ट्रस्ट के सदस्यों ने उनके आवास का ताला खोला था। इस दौरान मीडियाकर्मियों को मौजूद रहने की इजाजत नहीं थी।
ट्रस्ट द्वारा यजुर मंदिर खोलने का निर्णय लिए जाने के दो दिन बाद ट्रस्ट के सदस्यों ने उसमें अंदर प्रवेश किया। ट्रस्ट की सदस्यता से अपने इस्तीफे की घोषणा करने वाले भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी.एन. भगवती भी इस दौरान मौजूद थे। वैसे भगवती ने कहा है कि वह श्री सत्य साईं विश्वविद्यालय के कुलपति बने रहेंगे। सत्य साईं बाबा की देखभाल करने वाले सत्यजीत को ही यजुर मंदिर के बायोमीट्रिक ताले को खोलने के सम्बंध में जानकारी थी। वे भी ट्रस्ट के सदस्यों व अधिकारियों के साथ मौजूद थे। सत्य साईं बाबा के जीवनकाल में सत्यजीत अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें उनके निजी कक्ष में जाने की इजाजत थी।
सत्य साईं बाबा के भतीजे व ट्रस्ट के सदस्य रत्नाकर, एस. वी. गिरी, वी. श्रीनिवासन और ट्रस्ट सचिव के. चक्रवर्ती भी इस दौरान मौजूद थे। अटकलें लगाई जा रही थीं कि यजुर मंदिर में दुनियाभर के भक्तों से दान में मिला सोना, आभूषण और नकदी भारी मात्रा में जमा है। भक्तों के एक वर्ग का आरोप है कि जब सत्य साईं जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे तब प्रशांति निलयम से सभी बहुमूल्य वस्तुएं निकाल ली गई थीं। वैसे ट्रस्ट ने इस बात से इंकार किया है। कुछ भक्तों की मांग थी कि उनकी मौजूदगी में यजुर मंदिर के ताले खोले जाएं।
खास बात यह है कि इस यजुर्वेद मंदिर का निर्माण 2006 में 35 करोड़ रुपए की लागत से कराया गया था।