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सुख-दुख

बागेश्वर बाबा को बर्दाश्त करना मुश्किल… आध्यात्मिक व्यक्ति की पहचान भाषा से होती है!

Karmendu Shishir-

बिहार में बागेश्वर बाबा का जलवा देखकर मुझे लगा इसका कुछ यूट्यूब सुनना चाहिए. चार-पांच यूट्यूब पर इनको थोड़ा-बहुत देखा और सुना. माथा भन्ना गया. चिढ़चिढ़ा गया. बर्दाश्त करना मुश्किल. न इनके पास कोई भाषा है और न शैली अंतर्वस्तु की तो बात ही छोड़िये.आध्यात्मिक व्यक्ति की पहचान भाषा से होती है.

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आप परमहंस रामकृष्ण वचनामृत के तीनों खंड पढ़िये या विवेकानंद के दस खंड. आपके भीतर एक विद्युत संचार सा अनुभव होगा.रामकृष्ण परमहंस की भाषा तो विवेकानंद से भी गहरी है.ऐसी संवेदनशीलता जैसे दूब पर अटकी भोर के ओस की बूंदे. कहा जाता है कि जब कोई पैदल उन दूंबों पर से आता तो परमहंस जी विह्वल हो जाते.वे मना करते.

अगर यह न पढ़ सके तो कम से कम रोमां रोला की लिखी तीन जीवनियां रामकृष्ण परमहंस, विवेकानंद और महात्मा गांधी को तो जरूर ही पढ़िये.जां क्रिस्तोफ जैसी अमर कृति रचने वाले इस फ्रेंच के महान् लेखक ने जिस सूक्ष्मता और तटस्थता से बिना विगलित रूप में प्रभावित हुए इन तीनों को देखा है,वह चमत्कृत करने वाला है.इन तीनों की ऐसी पहचान और समझ पैदा कर देता है जो खुद आपको ही आश्चर्य होने लगताहै.यही अहसास भारत पर गाय सर्मन को पढ़कर होता है.

उस देश में ऐसे लकड़सुंघवा के पीछे पढ़े लिखे प्रोफेसरों तक का जब लगाव देखता हूँ तो चिंता होती है और गुस्सा भी आता है.हम हीरा घर में रखकर बाहर पत्थर चुन रहे हैं.ऐसे बाबाओं का तो सारा कुछ ज़ब्त कर कहना चाहिए कि तुम उन संतो की तरह बिना साधन के दो साल जी कर दिखाओं.मेरा दावा है इनको सितुहा भर भी आध्यात्मिक उपलब्धि नहीं है.

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ये सब देश और समाज को बहुत पीछे ले जाते हैं.इस क्षेत्र के महान् व्यक्तित्व को और उन पर लिखे उत्कृष्ट साहित्य को पढ़ना चाहिए.ये सब तो धर्म के व्यापारी हैं.

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2 Comments

2 Comments

  1. Ajay balani

    May 17, 2023 at 9:50 pm

    जब अंत समय निकट हो तो विवेक मर जाता है, आपका स्वागत है आतंकी rogue nation हिंदू राष्ट्र में! और आपसे कहा किसने कि ये सड़कछाप गुंडा कोई संत- बाबा है? इसे लाला रामदेव की तरह ही मूढमति हिंदुओं से वोट लेने के लिए आगे लाया है आतंकी संगठन RSS -BJP ने, ये तो साला मोदी की टट्टी चाटने वाला सुवर है!

    • गुडमैन

      May 21, 2023 at 10:55 am

      तेरी भाषा बता रही है तेरे संस्कार।
      टट्टी तो तेरे मुंह मै है जो इस तरह की गन्दगी उगल रहा है।
      तुम जैसे लोग समाज पे कलंक हो।
      इंसान के नाम पर कलंक है तू

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