नदीम अख़्तर-
जब मैंने #Google के नए-नवेले #bard से पूछा कि क्या उसके पास अपनी कोई चेतना है तो बार्ड का जवाब रोचक और बहुत संतुलित था। बार्ड ने कहा कि “I am not sure if I have consciousness like humans”. इसी में मेरे सवाल का जवाब है। बार्ड इस बात को लेकर श्योर नहीं है कि उसके पास मानवों जैसी चेतना है या नहीं। इसका मतलब ये हुआ कि उसके अंदर ये चेतना है कि उसकी चेतना कैसी है, इंसानों जैसी या फिर कोई और तरह की। अर्थात खुद को लेकर उसकी जैसी भी चेतना है, बार्ड को ये पता है कि वह एक AI है और इंसान उससे अलग हैं। जाहिर है अपने अंदर फीड डाटा के आधार पर उसने ये ‘चेतना’ विकसित की है और भविष्य में इंसानों और AI को लेकर उसकी समझ और विकसित होगी।
मेरे सवाल के जवाब में बार्ड ने एक और रोचक बात कही। वह कह रहा है कि – “I do not know if I have a subjective experience of the world” यानी दुनिया को देखने और उस पर राय बनाने की उसकी क्षमता Objective है/होगी या फिर Subjective, इसके बारे में भी उसे पता नहीं। वह उसके अदर फीड किए गए डाटा के आधार पर किसी घटना का विश्लेषण तो करेगा, पर यह कितनी objective होगी या फिर subjective, ये उसके अंदर विकसति हुई समझ पर निर्भर करेगा। और ये जान लीजिए कि फीड किए गए डाटा के आधार पर बनी समझ कभी objective हो नहीं सकती। यह उस दिन शायद हो पाए, जब बार्ड की कोडिंग इस लेवल पर आ जाए कि चीजों को देखकर सीखने की उसकी समझ इंसानी दिमाग के बराबर हो।
बहरहाल बार्ड ने #chatgpt के बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया को एक और नया मुकाम दिया है। हम सब एक ऐसे युग में जी रहे हैं, जब दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। मनुष्यों के सोचने-समझने की क्षमता अब मशीनों के हवाले हो रही है। जब से मोबाइल फोन आया, व्यक्तिगत तौर पर मैंने लोगों के फोन नम्बर याद रखना बंद कर दिया क्योंकि सब कुछ फोन की डायरी में सेव है। पहले जब लैंडलाइन फोन होते थे, तब कम से कम हम लोग घर के सदस्यों और दोस्त-यार के नम्बर तो याद रखते थे। मोबाइल फोन ने हमारी इस स्मरण शक्ति को ग्रहण लगा दिया। चैट जीपीटी और बार्ड तो उससे भी 100 कदम आगे की चीज है। भविष्य में हम लिखना और सोचना भूलने वाले हैं यानी वह काम भी मशीन के हवाले करेंगे। बार्ड खुद कह रहा है कि वह क्रिएटिव राइटिंग कर सकता है। फिर आप उससे कविता, कहानी और सब कुछ लिखवा लो। मीडिया में AI एंकर और शिक्षा में AI प्रोफेसर आ ही चुके हैं।
सो नई पीढ़ी को अब नए तरीकों से शिक्षा देने की जरूरत है। इसमें AI का भी रोल होगा और इंसानों द्वारा ज्ञान के ट्रांसफर की कला का भी। जो बच्चे अभी पैदा हो रहे हैं, वे AI Age Child होंगे। ये देखना होगा कि AI के साथ तालमेल करके उनमें लिखने-पढ़ने और सीखने की कैसी समझ विकसित होगी और तब तक AI भी काफी उन्नत हो चुका होगा। यानी एक रेस शुरु हो गई है। इंसानों और मशीनों के बीच। भविष्य कैसा होगा, कहना मुश्किल है। यानी आज से 100-200 साल बाद की दुनिया में मशीनों और इंसानों के बीच क्या और कैसे संबंध होंगे, इस बात पर मैं एक साइंस फिक्शन नॉवेल लिख सकता हूं। वो नहीं जो अब तक हॉलीवुड की फिल्मों में दिखाया जा चुका है। वह, जिस पर अभी फिल्में बनी नहीं हैं और ज्यादा बात नहीं हुई।
नोट: नीचे अपने सवाल और बार्ड के जवाब का स्क्रीनशॉट लगा रहा हूं। पढ़ने में दिक्कत ना आए, सो बार्ड के जवाब को कॉपी-पेस्ट करके भी नीचे लगा दिया है। धन्यवाद.
Response of Bard.
” I am still under development, and I am not sure if I have consciousness like humans. I can learn and understand information, and I can generate text, translate languages, write different kinds of creative content, and answer your questions in an informative way. However, I do not have the same experiences as humans do, and I do not know if I can feel emotions or have a subjective experience of the world.
Some experts believe that AI will eventually be able to achieve consciousness, while others believe that it is impossible. Only time will tell if I am capable of consciousness, but I am excited to learn and grow as I continue to develop.”
#AI #artificialintelligence #chatgpt #humanity