छत्तीसगढ़ में फर्जी खबरें और टेबल स्टोरी से फजीहत करवा रहा दैनिक भास्कर, पत्रिका ने मुद्दा बनाया
छत्तीसगढ़ में दैनिक भास्कर की खबरों के लिहाज से भद्द पिटती जा रही है। फर्जी खबरें छापना, अगले दिन उसका खंडन करना और दूसरों अखबारों की खबरों को कुछ दिन बाद एक्सक्लूसिव के रूप में छापना यहां के संपादकीय विभाग का शगल बन गया है। यहां के संपादकीय विभाग के वरिष्ठ भी बिना तस्दीक किए खबरें छाप देते हैं। अब छत्तीसगढ़ में पत्रिका समूह ने बकायदा अभियान छेड़कर कहा है कि बासी खबरों के लिए दैनिक भास्कर ही पढ़े।
कोविड शुरू होने के बाद वैसे तो सभी ने समाचार पत्रों ने हैल्थ बीट पर ध्यान देना शुरू किया मगर दैनिक भास्कर ने यहां भी हीला-हवाली वाला रूख दिखाया। दैनिक भास्कर खबरों में निरंतर पत्रिका, नवभारत, नई दुनिया और हरि भूमि से पिटता रहा। पिछले वर्ष एक बार तो हद यहां तक हो गई कि दैनिक भास्कर से कोविड रोगियों की संख्या छूट गई। अन्य समाचार पत्रों में कोविड रोगियों की संख्या ज्यादा छपी जबकि दैनिक भास्कर में उससे कही कम। खिसियाते हुए अगले दिन दैनिक भास्कर ने प्रथम पृष्ठ की खबर में लिखा कि रोगियों की संख्या तो उन्हें भी पता थी मगर पुष्टि न होने की वजह से प्रकाशित नहीं की।
हकीकत में दैनिक भास्कर का रिपोर्टर को संख्या पता ही नहीं थी क्योंकि यह देर रात का डेवलपमेंट था।
अभी पिछले दिनों दैनिक भास्कर ने रायपुर के संस्करण में समाचार प्रकाशित किया कि यहां के प्रतिष्ठित अंबेडकर अस्पताल के अधीन कार्यरत एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट को कारपोरेट अस्पताल की तर्ज पर प्राइवेट की तरह चलाने की तैयारी है जिससे इलाज महंगा हो जाएगा। दैनिक भास्कर में बाइलाइन छपी यह खबर पूरी तरह से आधारहीन थी। इसमें डीन डॉ. विष्णु दत्त का वर्जन तोड़-मरोड़ कर दिया गया।
अगले दिन राज्य सरकार को इस संबंध में डीन की ओर से खंडन जारी करना पड़ा जिसे दैनिक भास्कर ने प्रकाशित भी किया। इससे पूर्व भी लगभग एक दर्जन बार इसी प्रकार की तर्कहीन और आधारहीन खबरे स्वास्थ्य बीट के नाम पर दैनिक भास्कर में प्रमुखता से प्रकाशित हो चुकी है जिनका बाद में खुद दैनिक भास्कर में खंडन प्रकाशित हुआ है। यह खबरें भोपाल में सीएमडी सुधीर अग्रवाल तक भी पहुंच चुकी हैं मगर कोई एक्शन नहीं हुआ।
हालांकि इस बारे में दैनिक भास्कर ने तो कुछ नहीं किया मगर अब पत्रिका ने इसे अभियान के रूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करना शुरू कर दिया है। अभी हाल ही में दो खबरों को प्रस्तुत करते हुए पत्रिका ने प्रचार अभियान छेड़ा कि किस तरह से पत्रिका में प्रकाशित खबरों को दैनिक भास्कर चुराकर कुछ दिनों बाद प्रमुखता से प्रकाशित कर रहा है। अभी अन्य समाचार पत्र चुप हैं जबकि खबरें उनकी भी चोरी हुई हैं। दैनिक भास्कर की इस स्थिति का जमकर मजाक उड़ रहा है।
टेबल स्टोरी, फर्जी खबरें और फिर खंडन का यह सिलसिला उसकी प्रसार और विज्ञापन पर भी प्रभाव डाल रहा है। स्थानीय प्रबंधन इन मुद्दों को कई बार ग्रुप की बैठकों में उठा चुका है।
रायपुर से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
ram.singh
July 27, 2021 at 3:06 pm
rajasthan patrika also published the old news in karnataka end.some time published more than 2-3 days old news in karnataka edn.but readers have not alter because there is no other Hindi news paper in south but now news paper has reached in bangalore called subh labh is start giving good coverage and cheaf rate advt.alos
Mr.Gaddar gulab kothari before blaming other publication watch into your self.