Connect with us

Hi, what are you looking for?

टीवी

पंडितों की फतवानुमा बातों पर चैनल वाले हांय हांय क्यों नहीं करते?

Mrinal Vallari : गाजियाबाद के जिस इलाके में मैं रहती हूं वहां बहुत से मंदिर हैं और बहुत से पंडी जी भी हैं। कभी-कभी इन पंडी जी की बातों को सुनने का मौका भी मिलता है। अगर लड़कियों और औरतों के बारे में इनकी बातों पर ध्यान देने लगें तब तो हो गया। जींस पहनीं मम्मियां भी मंदिर आती हैं पंडी जी की बात सुनती हैं, और जो मानना होता है उतना ही मानती हैं।

<script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script> <script> (adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({ google_ad_client: "ca-pub-7095147807319647", enable_page_level_ads: true }); </script><p>Mrinal Vallari : गाजियाबाद के जिस इलाके में मैं रहती हूं वहां बहुत से मंदिर हैं और बहुत से पंडी जी भी हैं। कभी-कभी इन पंडी जी की बातों को सुनने का मौका भी मिलता है। अगर लड़कियों और औरतों के बारे में इनकी बातों पर ध्यान देने लगें तब तो हो गया। जींस पहनीं मम्मियां भी मंदिर आती हैं पंडी जी की बात सुनती हैं, और जो मानना होता है उतना ही मानती हैं।</p>

Mrinal Vallari : गाजियाबाद के जिस इलाके में मैं रहती हूं वहां बहुत से मंदिर हैं और बहुत से पंडी जी भी हैं। कभी-कभी इन पंडी जी की बातों को सुनने का मौका भी मिलता है। अगर लड़कियों और औरतों के बारे में इनकी बातों पर ध्यान देने लगें तब तो हो गया। जींस पहनीं मम्मियां भी मंदिर आती हैं पंडी जी की बात सुनती हैं, और जो मानना होता है उतना ही मानती हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पंडी जी बता रहे होते हैं कि स्त्री का सिर ढका क्यों होना चाहिए तो पंडी जी की बेटी जींस पहन कर शॉपिंग मॉल जा रही होती है। सांस्कृतिक रूप से मंदिर जाना अलग बात है और पंडी जी की बातों पर अमल करना दूसरी बात है। अच्छा है इन पंडी जी की बातों को फतवानुमा मानने की आदत नहीं है, नहीं तो दिन भर न्यूज चैनलों वालों को हांय-हांय करने का मौका मिल जाता।

पंडितों और मौलवियों की बातों को मंदिर और मस्जिद से बाहर मत आने दीजिए। बाजार का खेल समझिए कि वो मौलवियों को क्यों बीच बहस में ला देता है। अगर वो मौलवी कहेगा कि मुसलिम इलाके में एटीएम मशीनों की इतनी कमी क्यों है, निगम प्रशासन उपेक्षित क्यों रखता है, मदर डेयरी के बूथ हमारे तरफ कम क्यों लगते हैं तो एंकर महोदय को तो ये बातें वामपंथी लगने लगेंगी। कहां, किसका और कैसे करार हो रहा है यह समझना इतना आसान नहीं है भाई। भजन गाती मीरा से लेकर गीत गाती जोहरा तक को कौन रोक सका है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मृणाल वल्लरी प्रतिभाशाली पत्रकार हैं और जनसत्ता अखबार में कार्यरत हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement