सत्येंद्र पीएस-
श्याम मीरा सिंह अभी बहुत कम उम्र का लड़का है और सोशल मीडिया पर चर्चित। आप तमाम सरकार विरोधी एंकरों को यू ट्यूब पर चींखते चिल्लाते देखते होंगे। सरदर्द हो जाता है। श्याम ज्यादा मेहनती हैं और पूरे रिसर्च के बाद बहुत साधारण शब्दों/स्क्रिप्ट में अपनी बात रखते हैं।
मुझे लगता है कि इनके पास सरकार के विरोध में हांफते कांपते तमाम एंकरों/पत्रकारों जितने पैसे भी नहीं होंगे कि कोई टेक्निकल टीम और शोध के लिए 10 हजारी शिक्षित बेरोजगार युवाओं को लगा लिया हो।
तकनीकी बन्दा भी बेहतर काम कर रहा है। मतलब वीडियो एडिटिंग वाला। इनके यूट्यूब को देखें और प्रोत्साहन दें।
देखें ये वीडियो- https://youtu.be/6SmuVtWd38E
ये लड़का भला लगता है। ईटी में कुछ रोज काम किया, वहां सब मित्र ही थे, फाउंडिंग टाइम से। हालांकि कोरोना के कारण कभी भेंट मुलाकात नहीं हुई।
बड़के वाले एंकर सब पहले से खुद को खुदा समझते हैं। नए वालों को जब नेम फेम मिल जाता है तो धीरे धीरे वो भी खुदा बन जाते हैं। यहीं कृपा अटक जाती है। तमाम लोगों को बेरहम सोशल मीडिया से गायब होते भी देखा है। अच्छी नौकरी, बीवी मिली, बस सारी क्रांति गायब!
सबसे जरूरी होता है सच्चा होना। जब कोई खुदा बन जाता है तो उनमें ‘फाड़ के रख देंगे’ वाली धारणा आ जाती है। जबकि मैं मानता हूँ कि गांधीवादी होना चाहिए। जो सच लगे, वही कहें। जैसे इस रिपोर्ट में दिखाया गया कि ऐसे ऐसे हुआ।
कल को अगर आपकी आत्मा स्वीकार करती है, तथ्य पाते हैं कि मोदी ने दंगा रोकने की अथक कोशिश की, लेकिन रोक नहीं पाए और अगर आप पाते हैं कि यह सही है तो उसे कहें। उसके खिलाफ ताना बाना न बुनें कि फाड़कर रख देना है। बकिया तो जो है सो हइये है।