गालियां छापने की होड़ मची है राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर में!

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दौलत शर्मा-

इन दिनों राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर अखबार में गालियां छापने की होड़ मची हुई है। शुरुआत राजस्थान पत्रिका में हुई। वहां नीचम के संस्करण में जैन समाज के बड़े कार्यक्रम में महिलाओं के लिए बेहद आपत्तिजनक शब्द छापे गए।

इस मामले में लोगों ने रतलाम के प्रभारी संपादक सिंकदर पारीक से शिकायत की। जैन समाज के लोग अपने समाज के संगठनों को इस समाचार को भेज कर पत्रिका का असली चेहरा दिखा रहे हैं। इस मामले में पत्रिका ने अपने तीन कर्मचारियों के तबादले किए हैं। उनमें से दो ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया है।

उधर दैनिक भास्कर झज्जर ने भी अपने अखबार में वही गाली छाप दी। वहां एक की नौकरी ले ली गई है।

देखें प्रकाशित गालियों के स्क्रीनशाट-

संपर्क- daulatsharma1974@yahoo.com

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Comments on “गालियां छापने की होड़ मची है राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर में!

  • दोनों ही अख़बारों में एक जैसी गलती हुई है। कोई भी जानबूझकर ऐसा नहीं करेगा। टाइपिंग मिस्टेक या फिर फॉण्ट की कोई दिक्कत हो सकती है। दोनों ही अख़बार में गणमान्य लोग उपस्थित थे लिखा जाना था, जो कुछ और हो गया।

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  • Pramod Jain "Ankush" says:

    दरअसल पिछले कुछ सालों से वॉइस टाइपिंग का दौर शुरू हो गया है। ग्रामीण क्षेत्र के संवाददाता और अलग-अलग समाजों के लिए ठेके पर काम करने वाले सेवानिवृत्त पत्रकार, या फिर भाषा का काम ज्ञान रखने वाले लोग अब मोबाइल पर बोलकर ही टाइप करते हैं। लगता है इसी दौरान “गणमान्य” शब्द के स्थान पर आपत्तिजनक शब्द प्रकाशित हो गया। अखबारों में समय का दबाव ज्यादा हो रहा है और अनुभवी लोगों की तादाद कम होती जा रही है। यह भी इस तरह की गलतियों का एक बड़ा कारण है। हिंदी पत्रकारिता को यदि अपनी साख बचाकर रखती है तो तकनीक के प्रयोग में सावधानी के साथ समझदारी और सतर्कता भी रखनी पड़ेगी।

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