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पांडे, तिवारी और बोधिसत्व का बाभनावतार… तीनों एकसाथ गालियां बक रहे हैं : अनिल कुमार सिंह

Anil Kumar Singh : उदय प्रकाश जी को गरियाते -गरियाते खूंखार जातिवादी और सांप्रदायिक भेडियों का झुण्ड मुझ पर टूट पड़ा है. ये दुष्प्रचारक अपने झूठ की गटर में मुझे भी घसीट लेना चाहते हैं. दो कौड़ी के साम्प्रदायिकता और अन्धविश्वास फ़ैलाने वाले टी वी सीरियलों का घटिया लेखक मुझे गुंडा बता रहा है. ये परम दर्जे का झूठा है और अपने घटिया कारनामों के लिए शिवमूर्ति जैसे सरल और निश्छल लेखक को ढाल बनाता रहा है. इसे मेरी भाषा पर आपत्ति है. कोई बताओ कि ऐसे गिरे व्यक्ति के लिए किस भाषा का प्रयोग किया जाय. और, आमना -सामना होने पर इससे कैसा व्यवहार किया जाय.

<p>Anil Kumar Singh : उदय प्रकाश जी को गरियाते -गरियाते खूंखार जातिवादी और सांप्रदायिक भेडियों का झुण्ड मुझ पर टूट पड़ा है. ये दुष्प्रचारक अपने झूठ की गटर में मुझे भी घसीट लेना चाहते हैं. दो कौड़ी के साम्प्रदायिकता और अन्धविश्वास फ़ैलाने वाले टी वी सीरियलों का घटिया लेखक मुझे गुंडा बता रहा है. ये परम दर्जे का झूठा है और अपने घटिया कारनामों के लिए शिवमूर्ति जैसे सरल और निश्छल लेखक को ढाल बनाता रहा है. इसे मेरी भाषा पर आपत्ति है. कोई बताओ कि ऐसे गिरे व्यक्ति के लिए किस भाषा का प्रयोग किया जाय. और, आमना -सामना होने पर इससे कैसा व्यवहार किया जाय.</p>

Anil Kumar Singh : उदय प्रकाश जी को गरियाते -गरियाते खूंखार जातिवादी और सांप्रदायिक भेडियों का झुण्ड मुझ पर टूट पड़ा है. ये दुष्प्रचारक अपने झूठ की गटर में मुझे भी घसीट लेना चाहते हैं. दो कौड़ी के साम्प्रदायिकता और अन्धविश्वास फ़ैलाने वाले टी वी सीरियलों का घटिया लेखक मुझे गुंडा बता रहा है. ये परम दर्जे का झूठा है और अपने घटिया कारनामों के लिए शिवमूर्ति जैसे सरल और निश्छल लेखक को ढाल बनाता रहा है. इसे मेरी भाषा पर आपत्ति है. कोई बताओ कि ऐसे गिरे व्यक्ति के लिए किस भाषा का प्रयोग किया जाय. और, आमना -सामना होने पर इससे कैसा व्यवहार किया जाय.

मैंने इलाहाबाद वि वि के यूनियन हाल पर तो इससे विनम्र भाईचारे का व्यवहार किया था जिसे इसने अपनी जाति-विरादरी में मेरे द्वारा धमकाने का प्रचार किया था. तब शायद इसे अपनी जरायम महत्वाकांक्षी योजनावों के लिए अपनी ब्राह्मण बिरादरी की सहानुभूति और गोलबंदी की जरूरत रही होगी. लेकिन अब तो इसका जरायम पेशा फल फूल चूका है. अब शायद यह आदतन ऐसा घटियापन कर रहा है. जातिवादी भेडियों तुम्हारी ताक़त और एकजुटता का मुझे खूब अनुभव है. मैं जानता हूँ गिरोहबंदी और दुष्प्रचार ही तुम्हारी ताक़त है. मैं कैसे कहूं कि मुझे तुमसे डर नहीं लगता? पांडे, तिवारी और बोधिसत्व का बाभनावतार… तीनों एकसाथ गालियां बक रहे हैं.

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फैजाबाद के सोशल एक्टिविस्ट अनिल कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से.

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