फिल्म सिटी स्थित सूर्या समाचार में कार्यस्थल पर शारीरीक शोषण की शिकार हुई पीड़ित महिला पत्रकार के मामले में पुलिस के हाथ अभी तक खाली हैं। सबसे पहले तो नोएडा सेक्टर-20 थाना के पुलिसवाले पीड़ित महिला पत्रकार की शिकायत पर केस दर्ज करने के लिए राजी नहीं थे। करीब एक महीने के बाद भड़ास4मीडिया में खबर छपने के बाद थाने में केस दर्ज किया जा सका। लेकिन सेक्टर 20 थाने के आईओ साक्ष्यों को जुटाने में सक्रिय शुरू से ही नहीं दिखे।
कहा जा रहा है कि आईओ साहब मामले की तफ्तीश करने में न्यूज चैनल के मालिक और आरोपी अमिताभ भट्टाचार्या से खौफ खाते थे या फिर उनकी सेटिंग-गेटिंग हो गई थी। लिहाजा वहां जांच के लिए जाने से पहले इस केस के आईओ साहब आरोपियों को सूचित कर देते थे जिसकी वजह से आरोपी पुलिस के आने से पहले ही आराम से फरार हो जाते थे और पीड़िता से बार-बार यहीं कहा जाता था कि अपराधी का पता नहीं चल पा रहा है। इतना ही नहीं, कई बार तो पुलिसवाले पीड़िता से ही पूछते थे- ‘आप हमें बताइए आरोपियों का पता ठिकाना।’
इस मामले की जांच चल रही थी और नोएडा के पुलिस कप्तान बदल गए। नए एसएसपी वैभव कृष्ण आए तो केस दोबारा खुला। कप्तान साहब के पहल पर पीड़िता तथा आरोपी पक्ष की फिर से गवाही ली गई। थाने में गवाही के वक्त एसएसपी वैभव कृष्ण भी मौजूद थे। गवाही के वक्त पीड़िता के आरोपों को सुन और मामले में आईओ के टाल मटोल रवैये को देखते हुए एसएसपी ने आईओ को फटकार लगाई थी। यह मामला अब नोएडा सेक्टर-29 स्थित महिला थाने को ट्रांसफर कर दिया गया है।
इस मामले में कुछ ही दिनों पहले एक बार फिर पीड़िता की महिला थाने में गवाही हुई है। पीड़िता की गवाही के बाद महिला थाने की टीम मामले की छानबीन करने सूर्या समाचार के दफ्तर पहुंची। महिला पुलिस को ऑफिस में देख वहां हड़कंप मच गया। इस दिन छानबीन के दौरान पुलिस ने कार्यालय में मौजूद लगभग सभी कर्मचारियों से पूछताछ की और लिखित रूप से उनके बयान भी दर्ज किए। ढेर सारे कर्मचारियों ने अपनी रोजी-रोटी यानि नौकरी बचाने के डर से दबाव में आकर बयान दिया। कहा जा रहा है कि कार्यालय में तैनात वो कर्मचारी जो इस मामले में पीड़िता के पक्ष में थे, उन्हें चैनल के मालिक ने पहले ही चैनल से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
हालांकि अभी भी चैनल के कुछ कर्मचारी दबी जुबान से पीड़िता के पक्ष में बोल रहे हैं और आरोपों को जायज ठहरा रहे हैं। लेकिन नौकरी जाने के डर से यह सभी लोग खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं। ऐसे में अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस चैनल में बड़े-बड़े पत्रकारों ने थोड़े ही दिनों के लिए सही, लेकिन काम किया है, वहां अंदरुनी हालात कैसे हैं?
यह विडंबना है उस क्षेत्र में काम कर रहे लोगों के लिए जिसे संविधान का चौथा स्तंभ कहा जाता है। यहां के लिए ‘चिराग तले अंधेरा’ की कहवात बिलकुल सटीक बैठती है। अब जरा जान लीजिए कि अब तक इस मामले में कितने पेंच आएं और कैसे कछुए की रफ्तार से यह जांच चल रही है।
जब घटना के बाद पीड़िता की गुहार पर लिखित शिकायत सेक्टर 20 थाने में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं कि और उल्टे पीड़िता के साथ ही बदतमीजी से पेश आती रही तब पीड़िता ने भड़ास4मीडिया डाट काम तक अपनी पीड़ा पहुंचाई। भड़ास पर खबर छपने और पीड़िता द्वारा ट्विटर-फेसबुक पर लखनऊ में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करने के बाद नोएडा सेक्टर-20 थाने की नींद खुली और आनन-फानन में पीड़िता को थाने बुलाया गया और सेक्टर 20 थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई।
इसका एफआईआर नंबर 2018/1599 है। इसमें दो आरोपियों अमिताभ भट्टाचार्या और सुनील पर धारा 354, 504, 506, 376 और 511 के तहत अभियोग पंजीकृत है। इसके अलावा पीसीआर में कार्यरत बृजभूषण और स्वाति को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया है। लेकिन इन तमाम कोशिशों के बावजूद पुलिस अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। चैनल के कई कर्मचारी अभी भी अमिताभ भट्टाचार्या के जुल्म को सहने के लिए मजबूर हैं यानी पुलिस की मिलीभगत के चलते आरोपी आराम से नौकरी कर रहे हैं।
बता दें कि अमिताभ भट्टाचार्या के घिनौने कामों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली पीड़िता को अपनी गरिमा, इज़्ज़त और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए आवाज़ उठाने के कारण न सिर्फ नौकरी से निकाल दिया गया बल्कि उसकी उस महीने की सैलरी भी रोक दी गई। आरोपियों ने कई बार पीड़िता को मैसेज या फोन कर धमकी भी दी। यहां तक कि कोर्ट में गवाही के दिन भी पीड़िता को पुलिस के सामने बार-बार फोन कर गवाही देने से मना किया जा रहा था और गवाही देने पर जान से मारने की धमकी दी जा रही थी।
पीड़िता आज बेरोजगार है और आरोपी चैनल के पैसों पर ऐशो-आराम की जिंदगी गुजार रहे हैं। सूर्या समाचार पहले से ही अपनी कारस्तानियों को लेकर काफी बदनाम रहा है। इस मामले में चैनल प्रबंधन की मीडिया जगत में काफी थू-थू भी हुई है।