रामा शंकर सिंह-
कार्टूनिस्ट या व्यंग्यचित्रकार का काम होता आया है सत्तासीनों धनाढ्यों ताकतवर लोगों, उनके गलत कामों का मज़ाक़ उड़ाना आलोचना निंदा करना और कार्टूनिस्ट के नाते सामान्य व्यक्ति की ताक़त को स्थापित करना। आज़ादी के बहुत पहले से और बाद अब तक कार्टूनिस्ट को सब प्रेम करते हैं आदर करते हैं।
कार्टूनिस्ट की आलोचना का बुरा नहीं माना जाता , किसी ने नहीं माना।
मंजुल कार्टूनिस्ट को आप सब जानते हैं
अब प्रधानमंत्री उनके कार्टून देखकर कुपित हो गये और मंजुल को अपने यार अंबानी के मीडिया हाउस की नौकरी से निकलवा दिया।
क्या कहेंगें “महाबली “ की सहिष्णुता और ताकत के इस बेजा अनैतिक अलोकतांत्रिक इस्तेमाल पर ?
सत्तर साल में पहली बार किसी प्रधानमंत्री के बारे में दैनिक समाचार पत्र ने यह हेडलाइन लगाई है- ‘वो जो कार्टूनिस्ट से डरता है’!
Comments on “सत्तर साल में पहली बार किसी अख़बार ने पीएम के लिए ऐसी हेडिंग लगाई है!”
वह केवल कार्टून से नहीं, हर उस खबर या गतिविधि से डरता है जो उस के, उस की सरकार और उस की पार्टी के खिलाफ हो या आलोचना करती हो।
…फिर वो एबीपी समूह के अखबार टेलीग्राफ से क्यों नहीं डरता है, जबकि एबीपी को तो मोदी के कहने में चलने वाला बताया जाता है? मुझे महसूस होता है कि जब-जब भी आप टेलीग्राफ के हैडिंग दिखाते हैं तो अनजाने ही आप मोदी की तारीफ कर जाते हैं क्योंकि टेलीग्राफ के हैडिंग बार-बार यह साबित कर जाते हैं कि देश में तानाशाही नहीं है, भरपूर लोकतंत्र है। भविष्य में कोई भी विश्वास नहीं करेगा कि कथित तानाशाही में ऐसे हैडिंग लग सकते थे। छह साल से मंजुल, अंबानी के संस्थान में काम कर रहे थे और मोदी के राज में मोदी के खिलाफ मनमाफिक कार्टून बना रहे थे। आखिर कैसे? इसे भी तो समझाइए।