चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने एजेन्सी की कार्य प्रणाली पर उठाये गंभीर सवाल
सीबीआई के अक्सर राजनीतिक प्रभाव में आकर काम करने की बात को स्वीकारते हुए 2013 में उच्चतम न्यायालय ने इसे पिंजरे का तोता कहा था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने भी सीबीआई की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि राजनीति से जुड़े संवेदनशील मामलों में सीबीआई की जांच गड़बड़ा जाती है, बाकी केसों में जांच सही रहती है। उन्होंने कहा कि सीबीआई को भी सीएजी की तरह ही संवैधानिक अधिनियम के जरिए स्वायत्तता मिलनी चाहिए।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सीबीआई पर तंज कसते हुए कहा कि जब मामला राजनीति से जुड़ा नहीं होता तो सीबीआई अच्छा काम करती है, लेकिन राजनीति से जुड़े संवेदनशील मामले में उनकी पड़ताल न्यायिक जांच के मानकों पर खरी नहीं उतरती। उन्होंने हाई प्रोफाइल मामलों में दोषी को सजा दिलाने में नाकाम रहने को लेकर भी सीबीआई की जमकर खिंचाई की।
डी पी कोहली मेमोरियल लेक्चर के 18वें संस्करण को सम्बोधित करते हुए चीफ जस्टिस गोगोई ने कहा कि सीबीआई की अपनी एक खास जगह है, लेकिन बहुत से मामलों में उसकी नाकामी ज्यादा चर्चा में रहती है। उन्होंने सीबीआई में असमानता को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि एक्जीक्यूटिव में 15 फीसदी पद खाली हैं, जबकि सीबीआई की टेक्निकल यूनिट में भी 28 प्रतिशत पदों पर भर्तियां नहीं हुईं। उन्होंने कहा कि सीबीआई के लीगल डिपार्टमेंट में भी 50 प्रतिशत पद खाली पड़े हुए हैं, इससे काम का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। सीजेआई ने कहा कि राजनीतिक प्रभाव के कारण जांच प्रभावित होती है। सीबीआई में पर्याप्त निवेश नहीं हो पा रहा है, जिससे जांच पर असर पड़ता है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसा क्यों होता है कि जब कोई राजनीतिक प्रभाव नहीं होता तो सीबीआई अच्छा काम करती है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने विनीत नारायण मामले में सीबीआई डायरेक्टर के पद के लिए गाइडलाइंस जारी की थी। इन सभी कारणों से सीबीआई की स्वायत्तता पर बुरा असर पड़ रहा है। गोगोई ने आगे कहा, सीबीआई की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए न्यायपालिका लगातार कोशिश कर रही है। सीबीआई को राजनीतिक प्रभाव से बचाने के लिए अदालतों ने कई गाइडलाइंस जारी की हैं।
दिल्ली के विज्ञान भवन में सीबीआई के पहले निदेशक डीपी कोहली की याद में मंगलवार को 18वां लेक्चर कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई रहे। समारोह में वायु सेना प्रमुख बीएस धनोहा और आर्मी चीफ विपिन रावत के अलावा मुख्य चुनाव आयुक्त और सीवीसी शरद कुमार भी रहे। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सीबीआई डायरेक्टर ऋषि कुमार शुक्ला ने कहा कि तकनीक से पब्लिक जस्टिस सिस्टम में लोगों का विश्वास बढ़ रहा है। उन्होंने सीबीआई की जांच की तारीफ की और बताया कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई पर लोग क्यों भरोसा करते हैं।
गौरतलब है कि सीबीआई के एक पूर्व निदेशक का कहना है कि सीबीआई का काम है भ्रष्टाचार के मामले और पेचीदे केस को देखना लेकिन उसे ज़्यादा से ज़्यादा काम दिया जा रहा है। उन्हें राजनीति से प्रेरित मामले दिए जाते हैं। सीबीआई की चार्टर ऑफ ड्यूटी तय है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट भी सीबीआई को जांच के आदेश दे देते हैं। सीबीआई ऐसे मामलों के लिए नहीं बनी है। कानून व्यवस्था या सामान्य अपराध से जुड़े मामले सीबीआई का काम नहीं है। सीबीआई के लिए जो काम निर्धारित हैं, एजेंसी के पास उन्हें करने के लिए भी वक़्त नहीं है। इससे स्वाभाविक है कि फ़ाइलों का बोझ बढ़ेगा और सीबीआई की कार्य क्षमता पर असर पड़ेगा। सीबीआई को वही काम दिए जाने चाहिए जिसके लिए उसका गठन हुआ है।
R N Tiwari
August 16, 2019 at 11:16 am
सीबीआई जिसकी भी सरकार होती है उसके दबाव में काम करती है सबको मालूम है इसी बात को लेकर DGP प्रकाश सिंह ने जांच के हर स्तर पर पारदर्शिता की व्यवस्था करने को कहा लेकिन कोई भी सरकार स्वार्थ वश नहीं कर रही है