दबंग दुनिया समूह के मालिक किशोर वाधवानी ने सरकारी दस्तावेजों में अपने अखबार का प्रसार पांच लाख से ऊपर बता रखा है। इसका मतलब प्रति माह दो करोड़ के आसपास प्रतियां इस अखबार की देश भर में छपती है।
इतनी प्रतियों को छापने में कई टन कागज़ और स्याही लगती होगी, या किसी बाहरी प्रिंटर से काम करवाया जाता होगा तो उसको भी पेमेंट होता होगा। इतने टन कागज़ की खरीदी वाधवानी ने नगद की है या कच्चे-पक्के में है। इतने टन कागज़ पर टैक्स चुकाया गया या नहीं। ये पेमेंट कैसे हुआ। इसका अकाउंट और दस्तावेज भी डिपार्टमेंट को जांच में लेना चाहिए।
किशोर वाधवानी के अखबार में छपे संस्करणों की संख्या के हिसाब से ये अखबार 15 शहरों से प्रकाशित होता है। इसके अलावा वे दबंग दुनिया-2 का भी प्रकाशन करते हैं। उसकी भी डिटेल ली जानी चाहिए। अखबार में यदि कागज़ भी कालाधन से हुआ और टैक्स चोरी की गई है तो टैक्स चोरी का आंकड़ा इस दस साल पुराने अखबार का 500 करोड़ से कम न होगा। डिपार्टमेंट को इसकी भी जांच करनी चाहिए।
जिन 15 शहरों से अखबार का प्रकाशन होता है, वहां के दफ्तरों के पते पर भी छापा मारना चाहिए। इनमे से जायदातर पते या तो फ़र्ज़ी है या वहां भी गुटखे का ऑफिस है। साथ ही इन शहरों में अख़बार कौन छापता है प्रिंट लाइन चेक कर वो हिसाब भी लेना चाहिए। अख़बार के बोर्ड की आड़ में गुटका ही बिक रहा है। ये मीडिया लॉ का भी उल्लंघन है। अखबार के संकरणों की फाइल का राज़दार किशोर का करीबी कोई महेश शर्मा है जो रिटायर्ड सरकारी अफसर है।
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