विवेक / शीतल
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री कोरोना पॉज़ीटिव पाए जाते हैं तो घूम फिरकर मैक्स अस्पताल चले जाते हैं इलाज़ कराने। देश के गृहमंत्री संक्रमित होते हैं तो सीधे पांचसितारा अस्पताल मेदांता चले जाते हैं। सीएम शिवराज सिंह कोरोना पॉजिटिव होने पर एक निजी अस्पताल चिरायु में भर्ती होते हों।
आम आदमी संक्रमित होता है तो उसे सरकारी अस्पताल भी नसीब नहीं होता। सरकारी अस्पताल में जाने से डर लगता है हमारे भाग्यविधाताओं को। और हम फ़िर भी दुहाई देते हैं ‘लोकतंत्र’ की, जहां तंत्र चलाने वालों को अपने ही अस्पतालों पर रत्ती भर भरोसा नहीं और ‘लोक’? छोड़िए भी, ‘लोक’ के लोग तो दूसरों को सरकारी ‘रिकवरी रेट’ बताने में व्यस्त हैं! ऐसे में, मैं कौन? ख़ामख़ा!
बिहार / यूपी के बीजेपी अध्यक्ष, तमिलनाडु के गवर्नर, देश के गृहमंत्री समेत शासन प्रशासन के दर्जनों लोग कोरोना पीड़ित। उत्तर प्रदेश की कैबिनेट मंत्री की कोरोना से मृत्यु। रोज़ाना दर्ज किये जाने वाले मरीज़ों की संख्या में विश्व में दूसरा स्थान। प्रधानमंत्री जी का दावा :- भारत में कोरोना की स्थिति दूसरे देशों से बहुत बेहतर।
अमित शाह कोरोना पाज़िटिव होने पर अपने नियंत्रण वाले किसी सरकारी अस्पताल की जगह प्राइवेट अस्पताल मेदांता में भर्ती हुए हैं।
तमिलनाडु के गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित और उत्तर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव भी कोरोना पाजिटिव निकले। सुबह ही उत्तर प्रदेश सरकार की एक कैबिनेट मंत्री महोदया की कोरोना के चलते निधन होने की खबर आई थी।
ट्विटर पर सवाल दागना शुरू हो चुका है, किसी ने पूछा है कि आयुष मंत्रालय का काढ़ा नहीं पिया क्या?एक ने कहा कि भाभी जी का पापड़ खाया कि नहीं!
सुमित अवस्थी भी रगड़े गये, उन्होंने अपने ट्वीट में उन्हें AIIMS में भर्ती होना दिखाया था !