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कोरोना से मीडियाकर्मियों की मौत पर शहीद का दर्जा देकर एक करोड़ रुपये की मदद मुहैया कराए सरकार

ग्वालियर : कोरोना महामारी के दौर में कोरोना योद्धा के रूप में मीडियाकर्मी भी जान का जोखिम लेकर प्रतिदिन अपना फर्ज निभा रहे हैं। इन विषम परिस्थितियों में भी पत्रकार विभिन्न सूचनायें एवं समाचार आम जनता तक पहुंचा रहे हैं। लेकिन मीडियाकर्मियों को कोरोना से बचाव के लिये आवश्यक उपकरण, स्वास्थ्य बीमा और आर्थिक सहयोग जैसी उनकी माँगों को अनसुना किया जा रहा है।

कोरोना ने पत्रकारों की जिंदगी छीन ली। देश के कई हिस्सों से कोरोना के चलते पत्रकारों के निधन की खबरें आ रही हैं। नवदुनिया के पत्रकार शिराज हाशमी का कोरोना से निधन हो गया। इससे पहले नवदुनिया भोपाल के मार्केटिंग विभाग के जसवंत बंसल का कोरोना से निधन होने की सूचना मिली।

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कोरोना महामारी की चपेट में आकर नईदुनिया अखबार के प्रबंध संपादक राजेन्द्र तिवारी का निधन हो गया है।

ग्वालियर प्रेस क्लब सभी के चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित कर ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उनकी आत्मा को शांति दें और उनके परिजनों को इस वज्रपात को सहने की शक्ति प्रदान करें।

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ग्वालियर प्रेस क्लब ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह पत्रकारों को भी कोरोना योद्धा की संज्ञा दें। वैश्विक संकट काल में मीडिया ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है। वे भी कोरोना से लड़ने वाले योद्धा हैं। इस समय किसी पत्रकार की मृत्यु हो जाती है तो उसे शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए। साथ ही सहयोग राशि के रूप में एक करोड़ देना चाहिए।

बैठक में ग्वालियर प्रेस क्लब के अध्यक्ष राजेश शर्मा, सचिव सुरेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार राम विद्रोही, अबध आनंद, सुरेश सम्राट, राकेश अचल, साबिर अली,प्रदीप तोमर, गुरुशरण सिंह आलूवालिया, सुरेंद्र माथुर, विनय अग्रवाल, जोगेंद्र सैन, अजय मिश्रा,, परेश मिश्रा, रामकिशन कटारे,अशोक पाल, राज दुबे, सुनील पाठक, विनोद शर्मा, नासिर गौरी, जावेद खान, दिनेश राव, संजय त्रिपाठी, प्रदीप शास्त्री, गौरव शर्मा , मनीष शर्मा, अभिषेक शर्मा, संतोष पारासर, रवि शेखर, मचंन सिंह वेश्य, गिर्राज त्रिवेदी, विष्णु अग्रवाल, छोटू जयसवाल, मुकेश बाथम, सतीश शाक्यवार, एकात्मता शर्मा, मीना शर्मा, उपेंद्र तोमर आदि शामिल थे।

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वक्ताओं ने कहा कि इन परिस्थितियों में रिर्पोटिंग कर रहे पत्रकारों के संक्रमण का खतरा है। इसके बावजूद भी पत्रकार अपनी भूमिका पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं। केवल पत्रकारिता पर जीवन यापन करने वाले पत्रकारों की हालत तो दिहाड़ी मजदूरों से भी अधिक खराब है। कोरोना महामारी में पूर्णकालिक पत्रकारों के सामने दोनों ओर से परेशानी है। बेहद कम वेतन पर नौकरी कर रहे पत्रकारों के एक समूह को घर से बाहर निकलकर रिर्पोटिंग करने पर वायरस संक्रमण से खतरा है, तो दूसरी ओर सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर घर बिठा दिये गये बहुत से पत्रकारों को छंटनी का डर सता रहा है।

इस समय छोटे अखबार और चैनल भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। आने वाले दिनों में बाजार में पूरी तरह मंदी हावी होने के आसार हैं। ऐसे में कोरोना वायरस के समाप्त होने तक कई छोटे-मझोले अखबार और चैनल दम तोड़ दें, तो आश्चर्य की बात नहीं होगी। ऐसे में पत्रकारों के सामने जीवन और करियर सुरक्षा को लेकर कोरोना से भी बड़ी चिंतायें हैं। केन्द्र एवं प्रदेश सरकारों द्वारा कोरोना योद्धा तमगे के बावजूद पत्रकारों को बीमा सुरक्षा और आर्थिक सहयोग नहीं मिल रहा है। उन्हें इसकी सख्त दरकार है। सरकार को इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

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