Sandeep Kumar
देश का सबसे ‘विश्वसनीय’ और ‘नंबर एक’ अखबार अपने पहले पन्ने पर ख़बरनुमा विज्ञापन छापता है और पाठकों को बताना तक जरूरी नहीं समझता कि यह विज्ञापन है. यह वही अखबार है जिसने अपने समूह संपादक की आत्महत्या को दिल का दौरा बताते हुए खबर छापी थी. ये अखबार पोस्ट ट्रुथ से भी आगे निकल गया लगता है.
Rakesh Kumar Malviya
पाकिस्तान के थाना प्रभारी का साक्षात्कार छापने की क्षमता रखने वाले अखबार पर आप शक नहीं कर सकते।
Rahul Chouksey
यहां काम करने वाले शोषण की जो गाथा बताते हैं वो भयावह है। उसके बावजूद पाठक से लेकर विशेषज्ञ छपी खबरों पर उंगली उठाते रहते हैं। चटकारे लगाकर बातें बताने वाली अम्मा की तरह खबरें बताने वाला अखबार बन गया है यह।
सौजन्य : फेसबुक