Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

रिश्वत देने को तैयार दैनिक जागरण मजीठिया व पीएफ नहीं देगा, सुनें ऑडियो

हरेंद्र प्रताप सिंह-

दैनिक जागरण, कानपुर से जुड़ा एक ऑडियो भड़ास के हाथ लगा है। दो साल पहले एक कर्मचारी को उसकी बीमारी के चलते निकाल दिया गया, तो वह अपने हक के वेतन और पीएफ के लिए कोर्ट गया। कोर्ट ने उसे कर्मचारी मान पीएफ देने का आदेश दिया। इसके बावजूद उसी दिन कोर्ट से निकलकर दैनिक जागरण के मैनेजर पर्सनल अभिषेक तिवारी ने पीड़ित को रिश्वत ऑफर की, लेकिन उसने सिर्फ अपना पीएफ और मजीठिया मांगा। इस पर उन्होंने सब जगह पैसा देने की बात कही, लेकिन पीड़ित के हक के चंद रुपए वह देने को तैयार नहीं हैं।

सबसे बड़ी बात ये है कि अपने अधिकारियों के साथ मिलकर दैनिक जागरण के मालिक संजय गुप्ता तक एक कर्मचारी के चंद रुपए मारने को कोर्ट तक में मनमाने बयान दे रहे हैं। ऑडियो में अभिषेक तिवारी पीड़ित से कहते हैं कि, ‘संस्थान से लड़कर कोई जीत नहीं सकता। संस्थान को जब पैसा ही बर्बाद करना होगा तो सब जगह दे देगा, लेकिन तुम्हें नहीं देगा। अगर तुमको लगता है कि तुमको कुछ मिल जाए। हमारा काम चलता रहे तो सोच समझकर बताना। हम जीएम अवधेश सर से तुम्हारे लिए बात कर लेंगे। एक रुपया तुम्हें मजीठिया के नाम पर नहीं मिलेगा।’ पीएफ के सवाल पर बोले, ‘पीएफ तुम्हें क्यों मिलेगा। अगर ऐसे तुम्हें चाहिए हो तो ले देकर अपना खत्म करो। नहीं तो ऐसे ही मांगते रहो। तुम्हारे पास पूरी उम्र पड़ी है लड़ने के लिए और कंपनी के पास तमाम पैसा पड़ा है।’

Advertisement. Scroll to continue reading.

एमबीबीएस डॉक्टर की रिपोर्ट ठुकराकर पीड़ित को जबरन नौकरी से हटाने के मामले में वह कहते हैं कि स्थानीय संपादक जितेंद्र शुक्ला की जगह अगर तुम होते तो क्या करते? उन्होंने दूसरे अखबार में ज्वाइन करने की बात भी की। कहा, वहां भी नहीं कर पाए। जब पीड़ित ने वहां से उसे जबरन हटवाने की बात कही तो अभिषेक तिवारी मैनेजर पर्सनल ने कहा वो इनको नहीं पता। पीड़ित ने कहा वहां इंचार्ज बहुत मानते थे, जिस दिन से पता चला मजीठिया किया। उसी दिन से नाराज हो गए। अभिषेक तिवारी कहते हैं कि तुम बताओ कि तुम किसी संस्थान में काम करने जाओगे तो तुम्हारा कोई पॉजिटिव फीडबैक देगा या निगेटिव देगा, तुम्ही बताओ। उन्होंने इस प्रकार दूसरे संस्थानों में नौकरी के लिए जाने पर गलत फीडबैक देने की बात स्वीकार की।

पीड़ित का आरोप है कि इतने बड़े संस्थान और जिम्मेदार अधिकारियों को अपने कर्मचारी का मजीठिया और पीएफ का पैसा दबाने, रिपोर्टिंग के साथ डेस्क पर रोजाना 16-17 घंटे दोहरा काम कराने और दूसरी जगह भी निगेटिव फीडबैक देकर उसे दो साल से कहीं नौकरी न करने देने के लिए पूरी ताकत लगाने में शर्म नहीं आती। पीड़ित ने कहा कि, ‘उसने कोई एग्रेसिव मेल नहीं की। औरैया ट्रांसफर के बाद जब उसे परेशान किया तो संदीप जी को यथास्थिति मेल करके बताई। जब उसे टायफाइड होने पर हटाया तो वह डेढ़ महीने तक मेल करके नौकरी बचाने को निवेदन करता रहा। इसके बावजूद रिश्वत ऑफर करने के दौरान श्री तिवारी ने कहा कि अब तुम्हें नौकरी पर नहीं रखा जाएगा। जितेंद्र शुक्ला कुछ नहीं हैं ऊपर से आदेश है कि तुमको न रखा जाए। पीड़ित का ही घनघोर शोषण करने और उसके हक का वेतन और पीएफ न देने पर कोर्ट जाने पर उसी को दैनिक जागरण के मैनेजर पर्सनल अभिषेक तिवारी ने कालीदास भी बना दिया। बोले तुम कालीदास की तरह जिस डाल पर बैठते हो उसी को काटने लगते हो। वह सिखाते हैं कि जब आदमी नौकरी करने आता है न तो उसको तमाम चीजों में झुकना पड़ता है।’

Advertisement. Scroll to continue reading.

जब पीड़ित उनसे औरैया ट्रांसफर से पहले उसके नाम एक भी रेड स्टार यानी बेड एंट्री न होने और सिर्फ बेहतर कार्य के लिए मेडल मिलने की बात कहता है तो श्री तिवारी कहते हैं कि तुम जागरण में तीन बार संवाद सहयोगी बनकर काम कर चुके हो। पीड़ित पहली बार खुद को स्टाफर बताता है तो और वह पीएफ कटने की बात कहता है तो तिवारी जी पहली बार उसके ऑन रोल होने की बात स्वीकार करते हैं। पीड़ित कहता है कि यदि उसका व्यवहार और कार्य इतना खराब था तो बार बार हटाने के बावजूद उसे फिर तीन बार नौकरी क्यों दी गई? अभिषेक तिवारी कोर्ट को दिए जवाब में सिर्फ रिपोर्टिंग कराने यानि न्यूज लेने की बात लिखते हैं, लेकिन इस ऑडियो में ऑफिस के अंदर संस्करण निकलवाने और इलेक्ट्रोनिक मशीन पर पंचिंग यानि हाजिरी लगने की बात स्वीकार करते हैं। केस वापस कराने को श्री तिवारी रिश्वत देने को तो तैयार हैं, लेकिन पीएफ कमिश्नर अनूप कटियार ने अपने आदेश में पीड़ित को कर्मचारी मान लिया साथ ही कर्मचारी की पूरी परिभाषा कानून के सेक्शन के साथ लिखकर दी। उन्होंने पीड़ित को लिखित में कानूनन कर्मचारी माना, इसके बावजूद दैनिक जागरण के पर्सनल मैनेजर ने इस बातचीत में उसे एक बार भी उसके हक का मजीठिया और पीएफ देने की बात नहीं कही। वह खुलेआम उसे रिश्वत देने को तैयार हैं, लेकिन कानून के अनुसार पीएफ और मजीठिया नहीं देना चाहते।

दैनिक जागरण के प्रधान संपादक संजय गुप्ता, जीएम अवधेश शर्मा, स्थानीय संपादक जितेंद्र शुक्ला, स्टेट एडिटर आशुतोष शुक्ला, पूर्व स्थानीय संपादक नवीन पटेल, चीफ सब एडिटर दिवाकर मिश्रा, यशाँश त्रिपाठी, अनूप मिश्रा, मैनेजर पर्सनल अभिषेक तिवारी कोर्ट की ओर से कराई गई पुलिस जांच में लिखित में बता चुके हैं कि पीड़ित कभी उनका कर्मचारी नहीं रहा। वह शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार है। वह कंपनी पर दवाब बनाने के लिए यह सब कर रहा है। काकादेव थाने के दारोगा पवन सिंह ने बकायदा कोर्ट में यह रिपोर्ट दी है। इस ऑडियो में देख लीजिए कर्मचारी रिश्वत की जगह अपने हक का पैसा मांग रहा है, लेकिन मैनेजर पर्सनल खुद उसे रिश्वत ऑफर कर रहे हैं। वह पीड़ित का हक देने को तैयार नहीं हैं। ऊपर से कंपनी के पास बहुत पैसा होने और इधर उधर खर्च करने की बात कह रहे हैं। सबसे दुखद यह है कि जब पीएफ कोर्ट पीड़ित को कर्मचारी मान रही है इसके बावजूद कंपनी के मालिक और प्रधान संपादक संजय गुप्ता पुलिस जांच में उसे कर्मचारी नहीं मान रहे। सभी नौ आरोपी एक कर्मचारी के पीछे पड़े हैं।

जागरण ऑफिस के सूत्रों ने पीड़ित को बताया कि श्री तिवारी उसे रिश्वत इसलिए ऑफर कर रहे हैं, ताकि वह परेशान होने के कारण ऑफिस में पैसे लेने आए और वहां लगे सीसीटीवी कैमरों में रिश्वत लेते कैद हो जाए। इसके बाद वह वीडियो फुटेज कोर्ट में पेश करके यह साबित किया जाए कि यह दवाब बना रहा था और उसने घूस ले ली। इस प्रकार पीड़ित को जेल भिजवा देंगे। पीड़ित का कहना है कि दो साल बाद उसके बच्चों की अचानक अभिषेक तिवारी को फिक्र होने लगी और वह खुलेआम जीएम अवधेश शर्मा से बात कर घूस दिलाने को तैयार हैं। वह इस बात को भूल गए क्या मजीठिया के अनुसार प्रतिमाह पर्याप्त वेतन की जगह उनके द्वारा दिए चंद रुपयों से पीड़ित का खर्चा चल जाता था। वह तब भी अपने निजी स्रोतों से जीवन यापन करता था और आज भी कर रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

एक बड़े मीडिया घराने के मालिक से लेकर 8 अधिकारियों को न तो सीएम योगी आदित्यनाथ का डर है न कोर्ट और कानून का। मालिक संजय गुप्ता सहित उनके आठ अधिकारी एक छोटे कर्मचारी के मजीठिया और पीएफ के चंद रुपए हड़पने और उसे कहीं काम न करने देने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हैं, लेकिन पीड़ित का कहना है कि वह उनसे रिश्वत कभी नहीं लेगा। चाहे जितना संघर्ष करना पड़े वह कानूनन लड़ेगा और सिर्फ अपने हक का मजीठिया वेतनमान और पीएफ लेगा। कंपनी नौकरी दे चाहे कभी न दे। दे भी देगी तो कुछ दिनों बाद उसका सिलीगुड़ी या कहीं दूर ट्रांसफर कर देगी। छोटे से वेतन के लिए वहां कोई नहीं जाता। कई लोगों के साथ ऐसा हो चुका है।

विशेष नोट – दैनिक जागरण के मैनेजर पर्सनल अभिषेक तिवारी ने पीड़ित से यह बातें कानपुर ईपीएफओ ऑफिस के रिसेप्शन हाल में 25/09/2023 को शाम 4 बजकर 9 मिनट पर कहीं। पीड़ित और श्री तिवारी की सीडीआर रिपोर्ट इस समय वहीं की निकलेगी। साथ ही वहां सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इस समय और तिथि की फुटेज भी देखी जा सकती है।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement