-दीपांकर पटेल-
देश भर के अखबार और मीडिया पोर्टल ये बता रहे हैं कि रीता बहुगुणा जोशी की पोती अपने दोस्तों साथ “पटाखे फोड़ते समय” जल गई थी, इसके बाद उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई.
लेकिन दैनिक जागरण की पूरी ख़बर से “पटाखों से खेलने” का जिक्र ही खत्म कर दिया गया. पूरी ख़बर में से पटाखों का जिक्र गायब करके माचिस को कारण बता दिया गया. पटाखों की जगह दियों को आग लगने का कारण बता दिया गया.
ख़बर से पटाखों का गायब किया जाना शायद पाठकों को सामान्य बात लगे, और “माचिस के जिक्र” को वो स्पेसिफिक समझने की भूल कर बैठें!
पर पिछले कुछ वर्षों में पटाखे को दीपावली के दौरान बढ़ते पॉल्यूशन का कारण बताने पर जिस तरह कट्टरपंथी समूहों द्वारा पटाखे फोड़ने को हिंदू अस्मिता के साथ जोड़ा गया है, उस मूर्खता के प्रभाव की मेनस्ट्रीमिंग दिखने लगी है.
और ऐसा प्रतीत होता है कि दैनिक जागरण ने इसी मानसिकता के प्रभाव वश अपनी पूरी ख़बर में बच्ची के “मौत के जिम्मेदार पटाखों” को विलेन नहीं बनने दिया, और पटाखों पर माचिस भारी पड़ गया.
खैर माचिस के बिना तो पटाखे भी नहीं फूटते, पर दीपावली पर बच्चों को माचिस भी पटाखे फोड़ने के लिए ही तो मिलती है.
दैनिक जागरण के पास अगर ये पुख्ता जानकारी है कि पटाखों से खेलने के दौरान ये हादसा नहीं हुआ तो “कोट” करके बताएं, मैं पोस्ट वापस ले लूंगा.
आखिर दैनिक जागरण बड़ी सफाई से सारे मीडिया संस्थानों से अलग बात कैसे बोल रहा है?
बचपन में हमें सिखाया जाता था पटाखे ख़तरनाक हैं, पटाखों से होने वाले नुक़सान और फोड़ने के दौरान घायल होने की संभावना पर अख़बारों में आलेख छपते थे, बच्चों को जागरूक करने की कोशिश की जाती थी.
लेकिन अब एक नयी पीढ़ी आ गयी है जो पटाखे फोड़ने को बकरीद पर बकरा काटने के कर्मकांड के साथ जोड़ देती है, कहती है पटाखे पर प्रतिबंध लगाते हैं तो बकरा काटने पर क्यों नहीं लगाते. फिर हिंदू अस्मिता को मिटाने के षड़यंत्र की बात करती है, और पटाखे के धमाके को धर्म की तीव्रता समझती है.
क्या ये पीढ़ी अपने बच्चों को पटाखों के दुष्प्रभावों के बारे में बता पाएगी? क्या ये अख़बार बच्चों को पटाखों के दुष्प्रभावों के बारे में बता पाएंगे?
तो क्या पटाखों को हिंदू भाई अमृत समझ रहे हैं.
जिस बच्चे की आंखों की रोशनी चली गयी,जो जल गया, जिसके कान अब सुन नहीं सकते.. उनसे पूछिए…. जिन पटाखों का धर्म के नाम पर अपरम्पार विस्फोट शुरू हुआ है… वो कौन सा अमृत हैं?
जिस बच्ची की झुलसने से जान चली गई वो तो बता नहीं पाएगी….