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मजीठिया मामले में दैनिक जागरण की रिव्यू पिटीशन भी हाईकोर्ट से खारिज

शशिकान्त सिंह-

अदालत ने फैसले में 20जे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि जागरण की बात मान ली गई तो एक्ट ही अप्रभावी हो जाएगा!

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जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड मामले में देश के जाने माने समाचार पत्र समूह दैनिक जागरण को इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक बार फिर झटका लगा है।हाईकोर्ट में उसकी रिव्यू पिटीशन भी खारिज हो गयी।

रिकवरी के मामले में सिंगल बेंच और डबल बेंच में हारने के बाद दैनिक जागरण ने सिंगल बेंच के ऑर्डर के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिव्यू पेटिशन डाली थी। जिसे माननीय अदालत ने मैरिट के आधार पर खारिज कर दिया। अदालत ने 20 जे को ढाल बनाने वाली कंपनियों पर टिप्पणी की और साथ ही कैटेगरी के मुद्दे पर एक कदम और आगे जाते हुए रिक्वासिफिकेशन पर भी स्थिति साफ कर दी।

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20जे और कंपनी की कैटेगरी/क्वासिफिकेशन में यह आदेश अन्य साथियों के लिए भी काफी काम का है। आज के रिव्यू और इससे पहले का आदेश सभी साथियों को अपने वकीलों को उपलब्ध करवा देना चाहिए। अदालत ने इस फैसले में 20जे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि जागरण की बात मान ली गई तो एक्ट ही अप्रभावी हो जाएगा। अदालत ने साथ ही वेजबोर्ड को लागू करने से बचने और समझौते की आड़ में इसकी सिफारिशों से कम वेतन देने पर कंपनियों की निंदा भी की और कहा कि कैसे सालों से वे समझौते की ढाल की आड़ में वेजबोर्ड की सिफारिशों से कम वेतन देते हैं।

अदालत ने कंपनी की कैटेगरी यानि वर्गीकरण पर विस्तार से लिखा है। साथ ही ये भी कहा है कि जागरण ने लेबर कोर्ट में इस बारे में कोई तथ्य पेश नहीं किए। मालूम हो कि कर्मचारियों ने लेबर कोर्ट में सुनवाई के दौरान जागरण प्रबंधन से कई दस्तावेजों की मांग की थी। जिसको जागरण प्रबंधन ने नहीं दिया था। अदालत ने भी पार्ट ऑर्डर में इन दस्तावेजों को फैसले के लिए जरूरी मानते हुए इन्हें जागरण प्रबंधन से तलब किया था। तब भी जागरण प्रबंधन दस्तावेजों को लेबर अदालत के समक्ष पेश नहीं किया था। जिसके बाद लेबर कोर्ट ने दूसरे व अंतिम पार्ट ऑर्डर में कंपनी द्वारा मांगे ना जाने पर दस्तावेज पेश ना किए जाने की बात का भी उल्लेख किया था।

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माननीय अदालत ने कहा कि मैरिट के आधार पर ये याचिका खारिज करने योग्य है । अदालत ने साथ ही किशन लाल मामले में लगी रिव्यू पेटिशन को भी खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि दोनों याचिकाओं में उठाए गए मुद्दे एक समान थे, इसलिए इस याचिका को देखने का कोई कारण नहीं दिखता। इन टिप्पणियों के साथ अदालत ने दोनों रिव्यू पेटिशन खारिज कर दी।

शशिकान्त सिंह
पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता

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1 Comment

1 Comment

  1. hanuman singh

    September 18, 2023 at 5:54 pm

    इन सभी मीडिया मालिकों का एक ही इलाज बचा की अब इनकी संपत्ति पर चस्पा लगा शरू कर देना चाहिए इनकी चमड़ी इतनी मोटी है की असर नहीं हो रहा चाहे जागरण हो या राजस्थान पत्रिका अथवा अन्य हिंदी समाचार पत्र हों ये सभी एक ही जाती के है , ये सफ़ेद हाथी हे इन पर सदेशो का कोइ असर नहीं होगा ये सभी अपने को कानून से बड़ा मानते हे साथ ही प्रशाशन भी दागदार हे तभी इनके खिलाफ कार्यवाही नही करता , सरकार भी दागदार है अन्यथा किसकी मजाल जो उच्चतम न्यायालय के आदेश के अवहेलना कर सके
    न्यायालय को चाहिए इनको अंतिम आदेश देकर इनकी संपत्ति की कुर्की करना शुरू कर देनी चाहिए यही अंतिम हथियार ये अखवार मालिक इतने उस्ताद है की अपने कार्यनमो को छिपाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हे बस वेज वॉर्ड न देना पड़े.
    राजस्थान पत्रिका के संपादक महोदय जनता का मन टटोलने के किये घूम रहे है जबकि अपने कर्मचारियों का मन आज तक नहीं टटोल पाए सच है ये तो एक बहाना हे मूल मकसद राज्य सभा जाना चाहते जो संभव नहीं है जनता समाज इनके आचरणों को अच्छी तरह जानती हे की ये महाशय कितने समाज सेवक ईमानदार है . अगर इनके कारनामो को गिनना शरू कर दे तो पेन की श्याही खत हो जाएगी .

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