आजकल ज़माना करने का कम, दिखाने का ज़्यादा है। मोदीजी की मार्केटिंग और विज्ञापन वाली रणनीति को ढेर सारे नेताओं ने अपना लिया है। योगी-केजरी भी धुंआधार विज्ञापन देते हैं और खूब पैसा खर्चते हैं।
ये अलग बात है कि केजरीवाल जनता को बिजली पानी स्वास्थ्य शिक्षा में राहत देकर इसका विज्ञापन करते हैं लेकिन भाजपा के नेता तो बिना कुछ किए ही गाल बजाते रहते हैं। इसी चक्कर में दूसरे प्रदेश के फ़्लाईओवर तक को अपना बताकर जनता को मूर्ख बनाते हैं।
उत्तराखंड के सीएम भी विज्ञापनबाज़ी के रास्ते पर चल पड़े हैं। देहरादून के हर अख़बार के फ़्रंट पेज सीएम साहब के कारनामों से रंगे पड़े हैं। ये कारनामे कितने सही ग़लत हैं, इस पर तो वहाँ का कोई आज़ाद पत्रकार ही लिख सकता है।
सोशल मीडिया पर एक सज्जन ने अपनी भड़ास कुछ यूँ निकाली है-