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वेब-सिनेमा

ज़्यादातर डिजिटल एडिटर ब्राह्मण हैं?

समरेंद्र सिंह-

दो दिन पहले जितेंद्र कुमार (Jitendra Kumar) भाई ने एक आंकड़ा दिया। वो “अश्लील” आंकड़ा था। उसमें चोटी की हिंदी वेबसाइटों के संपादकों के नाम थे। मुझे अंदाजा तो था कि भांग घुली हुई है, लेकिन भांग कुछ ज्यादा ही घुली हुई है। मैं उनसे गुजारिश करुंगा कि वो वेबसाइट संपादकों से थोड़ा ऊपर जाएं। समूह संपादकों और एचआर हेड तक जाएं। मालिकों तक जाएं। तस्वीर थोड़ी व्यापक उभरेगी। मुझे लगता है कि ज्यादातर मीडिया संस्थानों में एचआर हेड ब्राह्मण होंगे। कुछ अपवादों को छोड़ कर सीईओ और समूह संपादक भी ब्राह्मण होंगे।

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ये एक नेक्सस है। और ये नेक्सस यहीं तक नहीं है। तथाकथित तौर पर हर तरह के बुद्धिजीवी तबके में है। सियासत में है। दलितवादी पार्टी होगी तो प्रवक्ता इनका। समाजवादी विचारधारा से जुड़ी पार्टी होगी तो प्रवक्ता इनका। गांधीवादी कहलाने वाली पार्टी होगी तो प्रवक्ता इनका। यूनिवर्सिटी में सबसे ज्यादा प्रोफेसर यानी तथाकथित विद्वान इनके। कुछ जगहों पर दूसरी जातियों के प्रतिनिधि नजर आएंगे, लेकिन उनके चारों तरफ ब्राह्मणों की भरमार होगी।

और इतना सबकुछ होने के बावजूद सबसे नाराज अगर कोई जाति रहती है तो वो ब्राह्मण जाति है। ये अपने अपराधियों का बचाव भी बेशर्मी से करते हैं और अपनों की तारीफ भी खुल कर करते हैं। समझने में आपका भेजा चकरा जाएगा।

उदाहरण के तौर पर राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े घोटाले को ही लीजिए। ट्रस्ट इनका, घोटाला इनका – लेकिन बात इनके घोटाले की नहीं होगी। “हीरो” की होगी। आपको लगेगा कि ये कितने न्यायप्रिय हैं, देखिए न घोटाला उजागर कर दिया! मतलब पक्ष और विपक्ष सब यही हैं। कृष्ण झूठ बेलते थे कि सब जगह वो हैं। दरअसल ब्राह्मण ही कृष्ण है। ब्राह्मण ही राम है और ब्राह्मण ही परशुराम है। ब्राह्मण ही देवता है। ब्राह्मण ही भगवान है।

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इसलिए तो सभी जगह मुख्यमंत्री, मंत्री, नेता इन्हें पूजने में और खुश करने में लगे रहते हैं। वजह ये है कि ये विरोध का बिगुल एक साथ बजाते हैं। जाति के सवाल पर कुछ स्वतंत्र विचार वाले न्यायप्रिय ब्राह्मणों को छोड़ कर सभी सामूहिक तौर पर “श्राप” देने लगते हैं। अचानक उठा “शोर” सबके मन में “भय” पैदा करता है। यही भय इनकी ताकत है।

ये मैंने क्या लिख दिया.. क्यों लिख दिया… मुझे अब डर लग रहा है! ब्राह्मण देवता की जय!

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(संपादकों की सूची जितेंद्र भाई के फेसबुक पेज से साभार ली गई है।)


जितेंद्र कुमार-

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कुछेक दिन पहले मैंने फेसबुक पर पहली तस्वीर लगाई थी. सभी समृद्घ -विचारवान-सवर्ण सुधिजन बेतरह नाराज हो गए थे. आज उस पुरानी तस्वीर के एक दूसरी तस्वीर भी लगा रहा हूं. खुद देखकर समझने की कोशिश कीजिए!

यह सत्याग्रह डॉट कॉम का तीन मिनट पहले का स्क्रीन शॉट है. कवर पेज पर पांच मुख्य स्टोरी का जिक्र है. सारे लेखकों के उपनाम पढ़ लीजिए. हमारे लेखकीय समाज में कितनी बहुलता है इसका पता चल जाएगा.

यकीन मानिए, दलित-पिछड़ व अल्पसंख्यक नेतृत्व को इसकी बिल्कुल भी परवाह नहीं है. मानसिक रुप से वे सवर्णों के आज भी उतने ही गुलाम हैं!

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10 Comments

10 Comments

  1. संदीप दुबे

    June 14, 2021 at 11:37 pm

    सिंह साहब गनीमत है कुछ तो बचे है
    हम ये नही भूलना चाहिए कि भारतीय पत्रकारिता के जनक ब्राह्मण ही थे

  2. Abhishek Kumar

    June 15, 2021 at 12:12 am

    Very true , correct , to the point review

  3. Pramod Kaushik

    June 15, 2021 at 9:15 am

    आप एक अति कुंठित व्यक्ति लगते हैं. जिन लोगों की आप बात कर रहे हैं उनमें से ज्यादातर, कुछ एक अपवाद को छोड़कर, अपनी काबिलियत के कारण इस मुकाम पर होंगे. क्या कोई भी मीडिया संस्थान किसी भी नाकाबिल को बर्दाश्त करने का जोखिम ले सकता है?
    सलाम है तुम्हारी इस खोजी पत्रकारिता को श्रीमान कुंठित सिंह जी

  4. Abhay Tripathi

    June 15, 2021 at 9:55 am

    जातिवाद का जहर समाज मे घोलने की जगह पहले समाज के लिए कुछ करो, केवल अपने स्वर्थ के लिए ब्राम्हण जाति को टारगेट करते हो।

  5. भड़ास को मेल पर प्राप्त एक कमेंट

    June 16, 2021 at 9:55 am

    ये पत्रकार हैं कि कुछ और!

    आदरणीय सर,

    समरेंद्र सिंह कौन हैं मुझे नहीं पता लेकिन उन्होंने को आर्टिकल लिखा उससे मुझे उनके पत्रकार होने पर संशय है… उनके लेख ज्यादातर डिजिटल एडिटर ब्राह्मण हैं में उन्होंने जिस तरह की भाषा का उपयोग किया वह घोर निंदनीय है…. ये किसी एक जाति, वर्ण को टारगेट कर रहे हैं … मैं इनसे पूछना चाहता हूं कि इनके पास कोई काम है कि नहीं… या फिर जलन है ब्राह्मणों से इन्हें?

    ब्राह्मणों के लिए मीडिया ही ऐसा माध्यम है जहां वो जा सकते हैं… भर्ती करने वाले क्या ब्राह्मण ही होते हैं… कोई और जाति के लोग नहीं होते?? इनकी मानसिकता पर मुझे तरस आती है…. ऐसे लोग किसी विशेष जाति वाली पार्टी में शामिल हो जाएं… और अपना एजेंडा चलाएं…समाज को बांटने का काम न करें… नफरत न फैलाएं… अगर दम है तो मुकाबला करके दिखाएं…

    आरक्षण की मार झेल रहे सवर्ण या ब्राह्मण अगर मीडिया सेक्टर में आते हैं तो इससे इनको मिर्ची क्यों लग रही है?? यानी ब्राह्मण अब भीख मांगें कटोरा लेकर तब इनके दिल को ठंडक पहुंचेगी… शर्म आनी चाहिए ऐसे लोगो पर … चुल्लू भर पानी में डूब कर कर जाएं…

    (उपरोक्त आर्टकिल पर ये टिप्पणी भड़ास को मेल से प्राप्त हुई है. लेखक ने नाम गोपनीय रखने का अनुरोध किया है. -एडिटर भड़ास)

  6. Harish Chandra

    June 17, 2021 at 9:11 am

    ये सज्जन ये लिखना भूल गए हैं कि ये सभी सेकुलर हैं और सेकुलर हिंदू मुस्लिम नहीं होता है। वह सेकुलर होता है तो जो हिंदू होकर हिंदू का विरोध करता है और हिंदू होकर मुस्लिम का समर्थन करता है। वैसे ब्राह्मणों के पास कोई कारोबार है नहीं। 90 फीसदी नंबर पाने वाला नकारा ब्राह्मण या सवर्ण सेलेक्ट नहीं हो पाता है और 30 फीसदी पाने वाला काबिल एससी और ओबीसी नौकरी पा जाता है। ये देश भी अजीब है। काबिलियत का पैमाना आरक्षण है। बहुत सही है। सुप्रीम कोर्ट और संविधान भी नहीं देखता है कि अगर किसी के 90 फीसदी आए हैं और किसी के 30 फीसदी। एक उदाहरण देता हूं। आरक्षण के बल पर लोग एमबीबीएस डाक्टर बनते हैं और फिर आरक्षण के बल पर एमएस और एमडी। लेकिन कितने चार्ट्ड एकाउंटेट बने हैं ये भी बताए। क्योंकि आरक्षण लागू नहीं होता है। जय हो ऐसे समाज के लोगों की सही और गलत का फर्क ही नहीं कर पाते हैं।

  7. Rajeev kumar singh

    June 27, 2021 at 12:55 pm

    हे प्रभु समरेंद्र जी
    क्यों अपनी निजी खुन्नस में पूरे समाज की भद्द पिटवा रहे हैं। आपके चलते पूरा समाज गालियां खा रहा है। बस कीजिये महाराणा जी।

  8. Abhi

    June 27, 2021 at 7:48 pm

    Madherchod harish chandra kaha sc and obc ka cut off same jata hai batao sale, sc and st ka cut off kahi kahi 35 percent jata hai lekin mostly jagah 47 percent jata hai,I am from Bihar, india ya Bihar kahi bhi obc and general ka cut off same jata hai,ab toh bjp ne EWS jo ki general caste ko 10 percent reservation diya hai usse EWS ka cut off sc and st ke kam jata hai india and Bihar me, Bihar me state govt jobs me backward ko do bhago me bata gaya hai ebc and bc me, sara reservation ebc ko milta hai bc ko koi reservation nahi milta hai, all over India me muslim hindu ke nam par larwakar forward hindu ko age kiya ja raha hai,supreme court ke anusar reservation 50 percent hona chahiye lekin abhi 60 percent reservation diya ja kyo raha hai ews ko kyo 10 percent reservation diya ja raha hai ews me forward caste ko kyo ten percent reservation diya ja raha hai, india me ya Bihar me obc caste ka cut off general ke brabar ya usse adhik jata hai, EWS ka cutoff Bihar ya india me cut off obc ke cut off se adhe jata hai.bihar,jharkhand,orrisa,west bangal etc state me baniya caste obc caste me aati hai.north east state like tripura,assam,mizoram,Arunachal Pradesh etc state me baniya caste sc yani schedule caste me aata hai.

  9. Kamlesh kumar panchal

    July 1, 2021 at 11:29 pm

    90 फीसद no भी ब्राह्मण के जोगाड़ (( ब्रह्म तंत्र) आते है, ब्राह्मण ने भारत के जादू सडयंत्र ठग बुद्धि के अलावा ) विज्ञान का कोई आविष्कार अब तक नही किये क्यो, मेरिट गई घास चरने

  10. राहुल

    July 20, 2021 at 8:23 pm

    भैया आरक्षण नहीं है ना यहां भी आरक्षण कर दो सारे ब्राह्मणों की छुट्टी हो जाएगी। बेचारे सब बाहर बैठ जाएंगे। आरक्षण नहीं है तो अपनी काबिलियत के दम पर एडिटर बन गए हैं लेकिन श्रीमान कुंठित जी के लेख से लगता है कि ये यहां भी आरक्षण चाहते हैं।

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