Shrawan Singh Rathore : बाड़मेर के वरिष्ठ पत्रकार दुर्गसिंह राजपुरोहित को बाड़मेर पुलिस ने गिरफ्तार किया और बिहार पुलिस को सौंप दिया। न कोई नोटिस , न सुनवाई का मौका न FIR की जानकारी। व्हाट्सएप पर पटना के एसएसपी के नम्बर से बाड़मेर एसपी मनीष अग्रवाल को एक वारंट की फोटोकापी मिली। किसी आतंकी को भी उसका गुनाह बताए बिना सजा या गिरफ्तारी नहीं हुई लेकिन 18 वर्षों से पत्रकारिता कर रहे पत्रकार को एक सेकेंड में उठा कर अपने पुलिसकर्मियों के साथ पटना भेज दिया।
इंडिया न्यूज राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार दुर्ग सिंह जी राजपुरोहित को एससी एसटी का एक फर्जी प्रकरण बनाकर गिरफ्तार कर लिया है। बिहार में बने इस फर्जी प्रकरण में बाडमेर पुलिस ने कारवाई की है। दुर्ग सिंह जी बेहद ईमानदार और निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकार हैं। ये जिदंगी में कभी बिहार गए ही नहीं। जदयू – भाजपा के गठबंधन वाली नितिश सरकार ने झूठा प्रकरण बनाकर फंसाया है।
साजिशों के शिकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित…
असल में बिहार के राज्यपाल सतपाल मलिक के बार बार बाड़मेर दौरे और वहां के एक लव जेहाद प्रकरण को लेकर दुर्ग सिंह जी ने पिछले दिनों एक बेबाक टिप्पणी फेसबुक पर लिख दी थी। बताया जा रहा है कि भाजपा की एक महिला नेता ने अपने बिहार के रहने वाले नौकर से बिहार में भेजकर वहां दुर्ग सिंह के खिलाफ फर्जी प्रकरण दर्ज कराया है।
प्रदेश की बाड़मेर पुलिस ने महामहिम के दबाव में आकर दुर्ग सिंह को आज सवेरे उठा कर पटना लेकर रवाना हो गई है। पुलिस ने जो प्रकरण बनाया है, उसमें एससी एसटी एक्ट और धारा 406 लगाई है। ये गिरफ्तारी एसपी पटना के आदेश पर हुई है। ये सरकार पत्रकारों की आवाज दबाना चाहती है। हम भाजपा जदयू सरकार की लोकतंत्र का गला घोंटने वाली कार्रवाई का विरोध करते हैं।
एससी एसटी एक्ट की कोई गलती नहीं है। ये प्रकरण तो भाजपा की एक महिला नेता वियंका चौधरी ने अपने बिहार के रहने वाले नौकर से बिहार में दर्ज कराया है। जबकि दुर्ग सिंह ने उस नौकर को कभी देखा ही नहीं। असल में बिहार के महामहिम हर महीने बाड़मेर आ जाते हैं। उस महिला के वहां मेहमान बनकर। दुर्ग सिंह ने इस बात पर व्यक्तिगत बातचीत में महामहिम के बार बार आने के मुद्दे पर कोई सवाल उठाया होगा।
इससे नाराज महामहिम ने बिहार के थाने में अपने पद का सदुपयोग करके मामला दर्ज करा दिया। वहां की पुलिस ने एसपी बाड़मेर को मुकदमा दर्ज होने और वारंट की सूचना दी। इस पर एसपी बाड़मेर ने तुरंत दुर्ग सिंह को पकड़ कर बिहार पुलिस के हवाले कर दिया। ये कहानी है। अब आप बताओ, क्या सुझाव दे रहे थे भाई लोग।
ये महामहिम राष्टवादी पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके है। तब से बाड़मेर प्रचार के लिए आते जाते रहे हैं। कोई आरटीआई लगाकर उनसे बाड़मेर दौरे के विषय में राष्ट्रीय हित की जानकारी मांग सकता है। क्या ऐसे राज्यपालों के विषय में पत्रकारों को आंखें बंद कर के रहना चाहिए? क्या सवाल उठाना और पूछना भाजपा शासन में गलत है ? क्या सवाल पूछने पर सलाखों के पीछे बंद करोगे? क्या ये ही अच्छे दिन है?
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार श्रवण सिंह राठौर की एफबी वॉल से.
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आदित्य कुमार
August 20, 2018 at 2:44 am
लगता है कि महामहिम भी चाम के बहुत बड़े शौकीन हैं? फिर तो इनका भी ब्रजेशवा के साथ संबंध हो सकता है!
भारती शेखावत
August 21, 2018 at 6:08 am
एक निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित के साथ इस तरह का बर्ताव उचित नहीं था। उन्हें बिना सुनवाई का मौका दिए बिना जेल भेज देना अत्यंत निंदनीय है । संविधान के मूल आदर्शों विरुद्ध है। मामले निष्पक्ष जांच हो। दुर्ग सिंह राजपुरोहित को न्याय मिले।
जो दोषी हैं उन्हें सजा मिलनी चाहिए । जय हिन्द