एडवोकेट ज्योति कुमारी-
आप सबकी सलाह चाहिए, दो ज़िन्दगियों का सवाल है। आज एक महिला मुझसे मदद मांगने आई। बजाप्ता एडवाइस फीस एडवांस देकर। उसकी पहली लाइन थी, मैं अपने पति से बहुत परेशान हूँ। पागल हो जाऊंगी ऐसी फीलिंग आ रही है। सुनिए उससे बातचीत का एक अंश-
क्यों परेशान हो?
पता नहीं। आपसे यही समझने आई हूं और यह पूछने कि मुझे आगे क्या करना चाहिए।
प्यार नहीं करता?
बहुत करता है मैडम, कौन मर्द इतना समर्पित बिना प्यार के होगा।
पति मारता पीटता है?
नहीं।
ताने मारता है
नहीं
खाना नहीं देता
देता है
ज्यादा काम कराता है
नहीं, मैं अपनी मर्जी से जितना भी करूँ।कभी कहता नहीं किसी काम के लिए
पैसे नहीं देता
अपनी पूरी कमाई मुझे सौंपे रहता है
गाली गलौज करता है
बिल्कुल नहीं
बाहर जाने नहीं देता
कोई रोक टोक कभी नहीं करता
मोबाइल नहीं देता
मेरा पर्सनल मोबाइल है और वह कभी चेक नहीं करता
बदतमीजी करता है
बिल्कुल नहीं
मायके जाने नहीं देता
कभी मना नहीं किया
पैसे का हिसाब मांगता है
कभी नहीं
मैं जो चाहे करूँ
लिखने पढ़ने या नौकरी करने से रोकता है
नहीं, हरसंभव मदद करता है आगे बढ़ने में
दूसरी लड़की से अफेयर है
मेरी जानकारी के अनुसार, नहीं
मतलब sure नहीं हो
नहीं
क्यों
क्योंकि दस सालों तक मेरे साथ रहते हुए वह मुझे बेवकूफ बनाता रहा कि उसने गुटका छोड़ दिया है। कभी भनक तक नहीं लगने दी। मैं भी गर्व से सबको कहती थी, मेरे एक बार कहने पर गुटका छोड़ दिया। बहुत प्यार करते हैं मुझे। जब भी कोई कहती, बार बार कहने पर भी उसका पति नशा नहीं छोड़ रहा, मुझे लगता मैं कितनी सौभाग्यशाली हूँ। फिर एक दिन मेरा सारा यकीन चकनाचूर हो गया। गर्व औंधे मुंह गिरा।
कैसे पता चला उसका झूठ?
lockdown था। वर्क फ्रॉम होम चल रहा था। मुझे लगा उसके चेहरे पर चोट लगी है। होठ के पास सूजन है। पूछा तो बोला, तुम्हें ऐसे ही लगता है। मुझे कुछ नहीं हुआ है। लगता है तुम्हारा डिप्रेशन फिर बढ़ गया है। मैंने मान लिया मैडम। बहुत सी बातों में वह मुझे यही कहता था, तुम्हें ऐसे ही लगता है। यह सच नहीं है। मैं हर बार मान लेती थी।
किन बातों में, कुछ उदाहरण दो।
मैडम, मुझे अक्सर लगता वह मेरी बातें बिना सुने हूँ हूँ करता है तब या जब वह कहता अभी कुछ दिन पहले ही हमने सेक्स किया था तुम ऐसे ही लगता है कि बहुत दिन हो गए तब। इसी तरह की कुछ और बातें.. फिर किसी दिन बताऊंगी।
ठीक है। जब तुमने मान लिया तो गिर झूठ सामने कैसे आया?
मुझे अचानक लगा मैडम कि पहले भी कई बार मैंने देखा है होठ ऐसे ऊंचा सा। और पूछा है। और बार यही जवाब। मुझे आज खुद का यह सच जानना चाहिए कि मुझे यूं ही क्यों दिखता है ऐसा जब है नहीं तो। एक दिन मेरे पति ने कहा था, मानसिक रोगी अगर सच2समझ जाए तो उसका भरमाना ठीक हो जाता है। तो आज मैं खुद को ठीक कर के रहूंगी। और मैं बहुत फुर्ती से उनकी गोद में बैठ अपनी उंगली से उनका होठ पलट दी। और सन्न रह गई। मेरी उंगली एकदम लाल। गुटका मेरे हाथ में। यह सब इतनी तेजी से हुआ था कि न मैं कुछ समझ पाई न वे। मैं चीखने लगी। इतने सालों तक इतनी सफाई से झूठ। मैं झकझोर रही थी उसे। वह लगातार कह रहा था, तुम्हें ऐसे ही लग रहा है कुछ नहीं है
मैं तेजी से घर के बाहर निकली और सामने वाले घर में घुस गई। पड़ोसी को हाथ दिखा पूछ बैठी, यह क्या है पहचानते हैं
मैंने सोच लिया था, आज सबको पता चल ही जाए कि मैं मानसिक रोगी हूँ। लेकिन पता कुछ और ही चला। सामने वाले ने देखते कहा, अरे भाभी गुटका ले कर कहाँ घूम रही हैं, आप भी शौक पाल ली क्या।
अब सच सामने था। मैडम ऐसा लगा कि अब देह में जान बची ही नहीं। आंख मूंद कर भरोसा करती थी जिस पर उसने सय्यकियाट्रिस्ट होने का फायदा ऐसे उठाया। दिमाग वश में नहीं रहा। खूब रोई चिल्लाई सारे कप तोड़ दी।
फिर?
फिर क्या मैडम, पहले चोरी छिपे खाता था अब सामने खाता है आराम से।
मैं रिश्ता खत्म करने की कई बार सोचती रही, उसने रोका भी नहीं, बस हमेशा की तरह खाना बनाकर दे देता था। मैं ही नहीं जा पाई। बहुत प्यार करती हूं उससे। यह भी स्वीकार कर लिया।
फिर दिक्कत क्या है?
कुछ भी नहीं। बना बनाया मिल जाता है, खाती हूँ, पहनती हूँ मनमर्जी का, करती हूं मनमर्जी की, लेकिन दिमाग पर मनो वजन रहता है हरदम। हर समय भारी मन भूखी देह। सेक्स के लिए भूखी। मैडम जब हमारा प्यार हुआ दो महीने सब ठीक था। हर दिन हम सेक्स करते। प्यार में डूबे रहते। प्यार तो अब भी है। बेइंतहा। लेकिन दो महीने बाद सेक्स हर दिन के बदले हफ़्ते दस दिन में होने लगा। फिर पंद्रह बीस दिन में। फिर महीने डेढ़ महीने। फिर साल दो साल। और फिर सात साल तक एक बार भी नहीं। लोकडौन में एक बार हो गया तो बेटी आ गई औरउसके बाद अब तक नहीं। पहले कहता था तुम्हें यूं ही लगता है। अब गुटके की ही तरह इसमें भी ढिठाई। कुछ भी बोलते रहो, कुछ कहता ही नहीं। चुप। चीख चिल्ला कर मैं भी चुप हो जाती हूँ। अब मैं बहुत चिड़चिड़ी हो गई हूं। हमेशा गुस्सा आता रहता है। जानती हूं सेक्स अच्छी चीज नहीं है। नहीं करना चाहिए लेकिन दिमाग में वही घूमता रहता है। पति से जब तब लड़ने लगती हूँ। भगवान भला करें उस भले मानुस का कि कभी नहीं लड़ता है मुझसे। चुपचाप सुन लेता है मेरी बकवास चिल्लना। मैं क्या करूँ मैडम? इतने अच्छे आदमी को सेक्स के लिए छोड़ पाप बटोरूँ, यह तो नहीं होगा मुझसे। क्या कोई दवा है जिससे सेक्स की इच्छा मर जाए?
क्या उसे कोई बीमारी?
ना ना मैडम बिल्कुल नहीं, न शारीरिक न मानसिक, कोई रोग नहीं। आप इस मामले में वकील की तरह सलाह मत देना भले फीस वकील की ली हो, एक औरत होने के नाते सलाह दीजिए।