आगरा से वायरल हुए इस वीडियो को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कहीं मुफ़्त का राशन बंट रहा है या किसी भंडारे में प्रसाद बांटा जा रहा है।
जबकि असल में वीडियो में दिख रही यह भीड़ आगरा के पत्रकारों की है, जो मंडलायुक्त द्वारा की गई प्रेस वार्ता का हिस्सा बनने गये है।
पूरे आगरा जिले में पत्रकारों की भरमार हो गई है। लोगों के साथ-साथ अधिकारियों का हाल बेहाल है, यहां के ताजा हालात देखते हुए यह महसूस होता है कि यहां खबरें कम और पत्रकार ज़्यादा हैं। यहाँ तमाम तरह के वैसे बेरोज़गार युवक, जिनके पास भले ही किश्तों पर मोबाइल ख़रीदा गया है, वह यूट्यूब और फेसबुक पर अपना चैनल बनाकर दो सौ रुपये का माइक लेकर अपने आप को पत्रकार बताकर अधिकारियों के बीच चेहरा चमका रहे हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि शासन-प्रशासन ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने में नाकामयाब है।
खबरों के प्रचार-प्रसार के लिए प्रेस वार्ता का आयोजन कर लगभग सभी प्रमुख अख़बारों और टीवी चैनलों के स्थानीय रिपोर्टर को न्योता दिया जाता है। नेशनल टीवी चैनलों के कुछ पत्रकारों का कहना है कि लगातार इस प्रकार के लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है ऐसे में वास्तविक पत्रकारों द्वारा ऐसी जगह जाने में अपने ही सम्मान को ठेस पहुँचती है, और सबसे बड़ी बात इनमें कई ऐसे लोग भी हैं जिनके ख़िलाफ़ कई गंभीर धाराओं में मुक़दमा भी दर्ज है और जो पढ़े लिखे भी नहीं हैं।
ताज महोत्सव का आयोजन नज़दीक है। आयोजन की जानकारी देने के लिए मंडलायुक्त द्वारा एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया था। प्रेस वार्ता में प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर पुलिस के अधिकारी मौजूद थे, लेकिन पत्रकार के नाम पर की जाने वाली नौकरी के बिना ही ज़रूरत से अधिक यूट्यूब चैनल वाले भी पत्रकार वार्ता का हिस्सा सिर्फ़ इसलिए हो गये क्योंकि वहाँ चेहरा चमकाकर लोगों के बीच अपनी धाक जमकर दलाली का धंधा को आगे ले जाना था।
लेकिन नजारा देखकर ऐसा महसूस हो रहा था कि मानो यह पत्रकार वार्ता नहीं कोई भंडारे का आयोजन हो। ऐसे में सुबह नींद से जागने के बाद जैसे कुछ लोगों की खाने की आज की लॉटरी लग गई है।